Saturday, April 30, 2011

तुम्हे कैसे भूलू



बहुत देर से कोशिश कर रहा हूँ कि ,
तुझे भुला सकूँ,
लेकिन तुम निकल आती हो बाहर मेरे किताबो के पन्नो से
और निकल आती हो अक्सर मेरे बिस्तर से भी ;
और देख रहा हूँ कि  भगवान की मूर्ती में भी तुम हो.

थक कर चारो ओर निगाह घूमाता हूँ ;
तो देखता हूँ तुम्हे मेरी दीवारों पर टंगे हुए
और देखता हूँ ,
मेरे ख्यालो के साथ साथ  जिस्म पर भी तुम्हारा अक्स है !
थक कर अब  बैठ  गया हूँ मैं  !

तुम्हे भुलाना कुछ मुश्किल हो रहा है जानां; 
तुम हो मेरी तमाम यादो में .

तुम हो उन सारे सडको पर जिस पर हम साथ साथ चले
और हो उन कमरों में भी जहाँ हमने साथ साथ सांस ली थी
उन सडको को  , उन कमरों को  ,
और उन शहरो की परछाईयों  को देखता हूँ मैं ;
अपने वजूद में हमेशा के लिए समाये हुए....
तुम न ज़िन्दगी में हो और न ही ज़िन्दगी से बाहर हो
मैं सोचता हों तुम्हे कैसे भूलू....

हर दिन बस ;
कुछ ऐसे ही काट लेता हूँ
तुम्हे भूलने की कोशिश करना
और इसी  बहाने तुम्हे और याद करना ..

उम्र के कटती  हुई  तारीखों में ;
कुछ इसी तरह तुम्हे कुछ देर  और  याद कर लेता हूँ जानां....!!!



Friday, April 29, 2011

मोहब्बत की भाषा


अक्सर सोचता हूँ की
उस दिन ही मैंने पहली बार  कोई भाषा सीखी थी
जब मैंने तुमसे कहा कि मैंने तुमसे प्यार करता हूँ !

इन तीन शब्दों ने दी ;
एक नयी आजादी से भरी  भाषा का जन्म
जिसमे प्रेम से भरी मुक्तता और निकटता  का ही स्थान था
और था स्थान उन उस मौन  का जिसमे ;
प्रेम से भरे शब्द मुखर हो उठते थे !

इस अनोखी भाषा ने ;
बंधन सारे तोड़ दिए जीवन की गतिशीलता के ,
और दिया एक सहजता  का अनुभव .
जिसमे सिर्फ तुम और मैं थे
और जीवन का स्पंदन उभर कर आता था
तेरी आँखों में और मेरे होंठो पर !

इस भाषा ने हमें दिया , एक नए संसार को रचने का मौका ,
जहाँ तुम और मैं होते थे और हर बार  कोई एक नयी जगह .
मैं ; अक्सर तुमसे बाते करते हुए तुम्हे ले जाता था
एक ऐसे बंदरगाह पर
जहाँ जहाजों का शोर होता था
लेकिन हमें सुनाई नहीं देता था ;
क्योंकि उस वक़्त हम एक दुसरे की आँखों में देख रहे होते थे

और तुम्हे ले जाता था ऐसे भुतहा महल ,
जहाँ ज़रा सी आहट हमें डराने के बदले में
और करीब ले आती थी;
क्योंकि हम हर वक़्त ही एक दुसरे के करीब रहना चाहते थे

और ले जाता था ऐसी जगह ;
जो कभी बनी ही  नहीं इस दुनिया में
क्योंकि ऐसी जगह में मन्नते बसती थी
और खुदा की मेहर थी वहां आबाद
और थे कुछ दरवेश मोहब्बत के जो की
हमारी ही बोली बोला करते थे
मोहब्बत की भाषा …!!!

मोहब्बत की भाषा ;
सच बड़ी अनोखी होती है ,
बड़ी देर हुई जानां ;
तेरी आवाज़ में उस भाषा को सुने
एक बार फिर वापस आजा तो
दो बोल बोल लूं तुझसे !!!!



Thursday, April 28, 2011

फासला


 

कुछ सालो का फासला है ,
मेरी और तुम्हारी उम्र में ;

लेकिन , सच तो ये है कि ;
मेरे ह्रदय के धड़कन की उम्र वही है ;
जो तुम्हारी मुस्कराहट की है ,
जो तुम्हारी आँखों में ठहरी चमक की है ,
जो तुम्हारे आगोश की मुक्तता की है ,
जो तुम्हारे बालो के बिखराव की है ;
[ तुम्हारा बालो का तुम्हारे चेहरे पर बिखरना ,मुझे बहुत लुभाता है ],
और ऐसी ही कई सारी बाते, जहाँ आकर तुम्हारी उम्र रुक जाती है ,
सच कहता हूँ , कि मेरी उम्र भी वही  हो जाती है .

और फिर अक्सर ये फासले ढह जाते है ;
जब तुम अपने चेहरे को मेरे चहरे के करीब ले आती हो
और मैं तुम्हे अपनी बांहों में समेटता हूँ ,
और तुम्हारे होंठ
मुझसे कहते है कि
हम अभी तो मिले है
और उम्र और ज़िन्दगी के बीच खड़े है
इस पुल पर सिर्फ मैं हूँ और तुम हो ..


फिर सारे  फासले बादलो में बह जाते है ..
और रह जाते है ;
सिर्फ मैं और तुम और हमारा निश्चल प्रेम !!!!



Wednesday, April 27, 2011

मर्द और औरत



हमने कुछ बनी बनाई रस्मो को निभाया ;
और सोच लिया कि
अब तुम मेरी औरत हो और मैं तुम्हारा मर्द !!

लेकिन बीतते हुए समय ने जिंदगी को ;
सिर्फ टुकड़ा टुकड़ा किया .

तुमने वक्त को ज़िन्दगी के रूप में देखना चाहा
मैंने तेरी उम्र को एक जिंदगी में बसाना चाहा .
कुछ ऐसी ही सदियों से चली आ रही बातो ने ;
हमें  एक दुसरे से , और दूर किया ....!!!

प्रेम और अधिपत्य ,
आज्ञा और अहंकार ,
संवाद और तर्क-वितर्क ;
इन सब वजह और बेवजह की  बातो में ;
मैं और तुम सिर्फ मर्द और औरत ही बनते गये
इंसान भी न बन सके अंत में ...!!!

कुछ इसी तरह से ज़िन्दगी के दिन ,
तन्हाईयो की रातो में  ढले ;
और फिर तनहा रात उदास दिन बनकर उगे .

फिर उगते हुए सूरज के साथ ,
चलते हुए चाँद के साथ ,
और टूटते हुए तारों के साथ ;
हमारी चाहते बनी और टूटती गयी
और आज हम अलग हो गये है ..

बड़ी कोशिश की जानां ;
मैंने भी और तुने भी ,
लेकिन ....
न मैं तेरा पूरा मर्द बन सका
और न तू मेरी पूरी औरत !!
खुदा भी कभी कभी अजीब से शगल किया करता है ..!!
है न जानां !!



Sunday, April 24, 2011

परायों के घर



कल रात दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई;
सपनो की आंखो से देखा तो,
तुम थी .....!!!

मुझसे मेरी नज्में मांग रही थी,
उन नज्मों को, जिन्हें संभाल रखा था,
मैंने तुम्हारे लिये ;
एक उम्र भर के लिये ...!

आज कही खो गई थी,
वक्त के धूल भरे रास्तों में ;
शायद उन्ही रास्तों में ;
जिन पर चल कर तुम यहाँ आई हो .......!!

लेकिन ;
क्या किसी ने तुम्हे बताया नहीं ;
कि,
परायों के घर भीगी आंखों से नहीं जाते........!!!
 

Monday, April 18, 2011

वक्त वक्त की बात


 
तुझसे रिश्ता जोड़ते हुए कोई मुश्किल नहीं हुई थी
बस वक्त ठहर सा गया था .
नब्ज़ रुक सी गयी थी
सांस थम सी गयी थी

लेकिन समय के पाँव , सुना है कभी नहीं रुकते ;
जिन्हें हम मंजिल समझते है ,वो अक्सर रास्तो के पत्थर होते है
जिसे शुरुवात समझते है , वो एक अंत की शुरुवात ही होती है

सो , जिंदगी कभी दिन पर पाँव रखते हुए
और कभी रात पर रुकते हुए
आज इस मोड पर आ गयी है ,
जहाँ से तुम ; मेरे हाथ से अपना हाथ निकाल रही हो ..

लेकिन बड़ी अजीब सी बात है ,
अजीब सा हादसा है .
आज रिश्ता खत्म करते हुए ….

फिर वक्त ठहर सा गया है ,
फिर नब्ज़ रुक सी गयी है
फिर सांस भी थम सी गयी है ..

वक्त वक्त की बात है जाना ,
तुम कल आकर देखना ,
मेरी लाश में तुम्हे ;
तेरे नाम का दिल धडकते हुए मिलेंगा !!


मोहब्बत




तुम अपने हाथो की मेहँदी में मेरा नाम लिखती थी
और मैं अपनी नज्मो में तुझे पुकारता था जानां ;

लेकिन मोहब्बत की बाते अक्सर किताबी होती है
जिनके अक्षर वक्त की आग में जल जाते है
किस्मत की  दरिया में बह जाते है ;

तेरे हाथो की  मेंहदी से मेरा नाम मिट गया
लेकिन मुझे तेरी मोहब्बत  की  कसम ,
मैं अपने नज्मो से तुझे जाने न दूंगा...
ये मेरी मोहब्बत है जानां  !!

Wednesday, April 13, 2011

बीती बातें.........!!!


दिल बीती बातें याद करता रहा ,
यादों का चिराग रातभर जलता रहा ;
नज़म का एक एक अल्फाज़ चुभता रहा,
दिल बीती बातें याद करता रहा.

जाने किसके इन्तेजार मे,
शब्बा ऐ सफर कटता रहा;
जो गीत तुमने छेड़े थे,
रात भर मैं वह गुनगुनाता रहा.
दिल बीती बातें याद करता रहा.

शमा
पिघलती ही रही थी,
और दूर कोई आवाज
था दे रहा;
जुंबा जो न कह पा रही थी,
अश्क एक एक दास्तां कहता रहा.
दिल बीती बातें याद करता रहा.

यादें पुरानी आती ही रही,
दिल धीमे धीमे दस्तक देते रहा;
चिंगारियां भड़कती ही रही,
टूटे हुए सपनो से कोई पुकारता रहा.
दिल बीती बातें याद करता रहा.

दिल बीती बातें याद करता रहा,
यादों का चिराग रातभर जलता रहा;
नज़म का एक एक अल्फाज़ चुभता रहा.
दिल बीती बातें याद करता रहा.


एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता

घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...