tag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post5900843856047386423..comments2024-03-04T16:16:16.546+05:30Comments on कविताओं के मन से....!!!!: आहट प्रेम की , मृत्यु की और ईश्वर की ..vijay kumar sappattihttp://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-88834917432774633582017-09-07T15:12:56.531+05:302017-09-07T15:12:56.531+05:30जीवन की आहट... ज्वलंत हो उठी है, साधुवाद |जीवन की आहट... ज्वलंत हो उठी है, साधुवाद |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06399081465539525543noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-58177140019048829332011-01-11T22:01:27.583+05:302011-01-11T22:01:27.583+05:30बहुत सुंदर प्रयोग है कविता में दर्शन का ! चित्र भी...बहुत सुंदर प्रयोग है कविता में दर्शन का ! चित्र भी गजब के हैं ! नव वर्ष की शुभ कामनाएं !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-63346457962640615382010-12-31T21:30:55.899+05:302010-12-31T21:30:55.899+05:30दिल की गहराईयों को छूने वाली एक खूबसूरत, संवेदनशील...दिल की गहराईयों को छूने वाली एक खूबसूरत, संवेदनशील और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति. आभार.<br /><br />अनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में <br />तय हो सफ़र इस नए बरस का <br />प्रभु के अनुग्रह के परिमल से <br />सुवासित हो हर पल जीवन का<br />मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष <br />करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि <br />शांति उल्लास की <br />आप पर और आपके प्रियजनो पर.<br /><br />आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.<br />सादर, <br />डोरोथी.Dorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-49116906791793493562010-12-30T18:56:47.368+05:302010-12-30T18:56:47.368+05:30गहन प्रस्तुति!गहन प्रस्तुति!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-42245572223508702442010-12-30T16:35:10.748+05:302010-12-30T16:35:10.748+05:30आजतक आपकी जितनी भी रचनाएं पढ़ी हैं,ये रचनाएं उन सबम...आजतक आपकी जितनी भी रचनाएं पढ़ी हैं,ये रचनाएं उन सबमे सर्वाधिक परिपक्व और सुगठित लगी हैं मुझे..<br /><br />गहन चिंतन उत्प्रेरित कर गयी...<br /><br />चिंतन को आधार देती,बहुत ही सुन्दर रचनाएं ....वाह !!!!<br /><br />ऐसे ही सुन्दर लिखते रहिये....शुभकामनाएं...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-51274776580873961142010-12-29T22:52:24.607+05:302010-12-29T22:52:24.607+05:30आहटों का सम्मलित स्वरूप। तीसरी वाली मिल जाये तो शे...आहटों का सम्मलित स्वरूप। तीसरी वाली मिल जाये तो शेष दो भी साध्य हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-66635368052568619932010-12-29T18:42:02.148+05:302010-12-29T18:42:02.148+05:30जिंदगी को संभल कर रखिये
जिंदगी मौत की अमानत है
त...जिंदगी को संभल कर रखिये<br />जिंदगी मौत की अमानत है <br /><br />तीनों रचनाएँ और उनके साथ दिए चित्र अद्भुत हैं...लिखते रहिये.<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-25199215555676265532010-12-29T17:21:37.641+05:302010-12-29T17:21:37.641+05:30आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल...आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br /> प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (30/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br /> देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।<br />http://charchamanch.uchcharan.comvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-59083255623888349032010-12-29T16:00:06.638+05:302010-12-29T16:00:06.638+05:30विजय जी
आपकी ये रचना बहुत ही कमाल की है।
वैसे भी ...विजय जी<br />आपकी ये रचना बहुत ही कमाल की है।<br /><br />वैसे भी यही जीवन का शाश्वत सत्य है कि ज़िन्दगी मे वो ऊपर वाला हम सबको प्रेम से लबरेज़ करके भेजता है मगर हम उसका संदेश ग्रहण नही कर पाते जो वो कहता है समझ नही पाते और ज़िन्दगी की आपाधापी मे प्रेम को अवांछित वस्तु की तरह कहीं किसी कोने मे छुपा लेते हैं …………इसके बाद मृत्यु की अन्तिम घडी मे एक बार फिर इंसान चाहता है कि अब इस जीवन का क्या उपयोग तो क्युँ न मृत्यु को स्वीकारा जाये तो शायद मुक्ति मिल जाये इस ज़िन्दगी की भयावहता से मगर यहाँ भी वो नही समझ पाता अपने जीवन की उपयोगिता तब हारकर भगवान को खुद आना पडता है उसे बताने कि तेरी पूर्णता किसमे है और मैने तुझे क्योँ धरती पर भेजा था और जब सब पूर्ण मे समाहित हो जाता है तो चारों ओर सिर्फ़ आनन्द ही आनन्द होता है।<br /><br />आपने एक बहुत ही उन्नत और सारगर्भित रचना लिखी है………………बधाई।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-59828749744195354612010-12-29T15:46:28.729+05:302010-12-29T15:46:28.729+05:30Prem Anand hai
Mrityu Parmanand hai
Ishwar Chira...Prem Anand hai<br /><br />Mrityu Parmanand hai<br /><br />Ishwar Chiranand hai<br /><br />aapki aur bhi gehri hoti samvedna ko naman...aisa hi saarthak likhate rahein...<br /><br />aapka<br />Neelesh Jain, MumbaiNeelesh K. Jainhttps://www.blogger.com/profile/09803669760277678213noreply@blogger.com