tag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post783971148174067113..comments2024-03-04T16:16:16.546+05:30Comments on कविताओं के मन से....!!!!: नामvijay kumar sappattihttp://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-60967434452431821422016-10-17T13:06:02.589+05:302016-10-17T13:06:02.589+05:30bhavna ji ,
aapka bahut bahut shukirya ji
aapne ...bhavna ji , <br />aapka bahut bahut shukirya ji <br />aapne bahut acchi kavita likh di hai .<br />aabhar <br />Vijay vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-52721343807423892882016-10-15T18:08:02.487+05:302016-10-15T18:08:02.487+05:30नारी...
उठो और ख़ुद को संभाल लो
क्यों किसी राम का ...नारी...<br />उठो और ख़ुद को संभाल लो <br />क्यों किसी राम का इंतजार करती हो<br />तू तब भी निष्पाप थी जब पथ्थर में चुनवाई गई<br />तू अब भी निर्दोष हे जब सिर्फ़ ज़िस्म बनाई गई<br />उठो और खुद को संभाल अब राम न आएगा<br />शक्ति हे नाम तेरा क्यों सुध बिसराई हे....<br />शक्ति हे नाम...तेरा क्यों..सुध..बिसराई ..Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03041590816810599983noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-68614840773456170082011-06-12T20:02:07.911+05:302011-06-12T20:02:07.911+05:30एक कड़वी सच्चाई समाज की ...दर्द भरी, सोचने को मजबू...एक कड़वी सच्चाई समाज की ...दर्द भरी, सोचने को मजबूर करने वाली रचना ...रजनीश तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10545458923376138675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-229030797416089632011-06-12T12:09:34.800+05:302011-06-12T12:09:34.800+05:30असह्य कुरूपता समाज की ... समाज का इतना घिनौना रूप ...असह्य कुरूपता समाज की ... समाज का इतना घिनौना रूप पढ़ कर ..एक बेचैनी सी हो गयी ...helplessness feel कर रही हूँ ...!!हाथ जोड़ कर इश्वर से प्रार्थना कर रही हूँ ..उतना ही मेरे बस में है ...!!<br />आभार इस कविता को लिखने के लिए और समाज को एक सोच देने के लिए भी ...!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-31726010200366559712011-06-12T11:57:07.945+05:302011-06-12T11:57:07.945+05:30ऐसी व्यथा पर लिखा है की इस रचना पर बस मनन किया जा ...ऐसी व्यथा पर लिखा है की इस रचना पर बस मनन किया जा सकता है कुछ कहा नहीं जा सकता ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-5086872887895357062011-06-12T11:44:17.767+05:302011-06-12T11:44:17.767+05:30एक सच्चाई को उभारा है आपने.
फिल्म चमेली में भी ऐसा...एक सच्चाई को उभारा है आपने.<br />फिल्म चमेली में भी ऐसा ही कुछ दिखाया गया है.<br /><br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-35889159186838226912011-06-12T10:59:20.253+05:302011-06-12T10:59:20.253+05:30आपकी पोस्ट यहाँ भी है……नयी-पुरानी हलचल
http://nay...आपकी पोस्ट यहाँ भी है……नयी-पुरानी हलचल<br /><br />http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-83691015786086736062009-02-07T21:01:00.000+05:302009-02-07T21:01:00.000+05:30Respected Vijaya ji,Post padh kar kuchh kshanon ke...Respected Vijaya ji,<BR/>Post padh kar kuchh kshanon ke liye stabdh rah gayee.apne aj ke ek katu yatharth ko ujagar kiya hai.ye himmat jutana har kavi naheen kar sakta.पूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-77402371488089053292009-02-07T19:40:00.000+05:302009-02-07T19:40:00.000+05:30आज ही आपके कविताओं के ब्लॉग से रूबरू हुआ.भाई वाह,ब...आज ही आपके कविताओं के ब्लॉग से रूबरू हुआ.भाई वाह,बेहद उम्दा किस्म के नज़्म-कार हैं आप.आपकी क़लम वाजिब अहसासों को शिद्दत और नरमी के साथ पिरोने की काबलियत रखती है.अब से मेरी हाज़िरी आप मुस्तकिल पाएंगे.Comic Worldhttps://www.blogger.com/profile/13259813356597463028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-8640106074875066632009-02-07T11:13:00.000+05:302009-02-07T11:13:00.000+05:30" read your poetry...it is one of the best poetry ..." read your poetry...it is one of the best poetry of yours....it has touched the soul of mine.....and felt very low and even helpless for her...."<BR/><BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-3107635350323382772009-02-07T07:52:00.000+05:302009-02-07T07:52:00.000+05:30विजय जी,बहुत ही हिला देने वाली रचना,,,,,,,और एक अज...विजय जी,<BR/>बहुत ही हिला देने वाली रचना,,,,,,,<BR/><BR/>और एक अजीब सी सोच,,,,,,,,,,,,<BR/><BR/>की जो कोई एकाध राम जैसा है भी... तो... वो उधर क्यूं जायेगा.......???और गया भी तो.......<BR/> अगर वो राम आलरेडी शादी शुदा हुआ <BR/><BR/><BR/>तो बेचारा क्या कर लेगा...????<BR/><BR/>आप तो खैर मुझे जानते हैं.....पर बाकी लोगो से निवेदन है...की ग़लत ना समझे....manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-62842968299462099972009-02-06T23:13:00.000+05:302009-02-06T23:13:00.000+05:30मुझे समझ नहीं आता कि क्यों मंदिरों में देवी की मूर...मुझे समझ नहीं आता कि क्यों मंदिरों में देवी की मूर्तियां रखी हैं? क्यों लोग वैष्णों देवी जैसे तीर्थ स्थलों पर जाते हैं? क्यों लोग नवरात्रों में कन्याओं को खाना खिलाते हैं? और फ़िर क्यों हवस का शिकार बनने वाली ऐसी दुखियारियों के लिए इतंज़ार... हां सिर्फ़ इतंज़ार भी "राम" का करते हैं..।Meenakshi Kandwalhttps://www.blogger.com/profile/03328636440950300322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-56365982439433968542009-02-06T21:34:00.000+05:302009-02-06T21:34:00.000+05:30क्या कहूँ....नि:शब्द हूँ...! बस एक लंबी आह है......क्या कहूँ....नि:शब्द हूँ...! बस एक लंबी आह है...! बहोत खूबसूरत तरीके से पिरोया है दर्द....!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-71135084648583764772009-02-06T20:24:00.000+05:302009-02-06T20:24:00.000+05:30कल्पना लोक से सीधे ठोस धरातल पर आ कर एक अच्छी कृति...कल्पना लोक से सीधे ठोस धरातल पर आ कर <BR/>एक अच्छी कृति रच डाली आपने......<BR/>जिंदगी की इस तल्ख़ और नंगी हकीक़त से रूबरू करवा पाने में <BR/>सक्षम है आपकी ये कविता .........<BR/>इस सभ्य समाज में आज भी कई बुराइयां मुखौटे पहने <BR/>हमारी संस्कृति को ख़त्म करने पर हावी हैं .....<BR/>जिस्मों को रूह तो जाने कब से छोड़ कर जा चुकी है <BR/>खैर .....बधाई स्वीकारें .....<BR/>---मुफलिस---daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-4416475089807373432009-02-06T19:38:00.000+05:302009-02-06T19:38:00.000+05:30विजय जी, हम चाँद पर पहुँच गए है पर फिर भी कुछ बदरं...विजय जी, हम चाँद पर पहुँच गए है पर फिर भी कुछ बदरंग तस्वीरें भी बची रह गई है। जिन पर किसी का भी ध्यान नही जाता कभी। एक तस्वीर का जिक्र आपने कर दिया आज। आज पूरे दिन यह घटना याद आती रही। और आपने उनके दुख को एक रचना के माध्यम से लिखा है। सच ये आपकी अब तक की सबसे अच्छी रचनाओं में से एक होगी। शब्दों का चयन बहुत ही सुन्दर ढंग से किया जिससे पूरे भाव निकल के आ रहे है। <BR/><BR/>उस बंद कमरे में ;<BR/>मैंने उस से पुछा ,<BR/>तुम्हारा नाम क्या है ..<BR/><BR/>उसने कहा कि ,<BR/>नाम में क्या रखा है ,<BR/>मैं जिस्म हूँ !<BR/>यहाँ सब जिस्म के लिये आते है ,<BR/>और जिस्म से मिलकर जाते है '<BR/>नाम से कोई नही मिलता !<BR/><BR/>सच। इनका अपना वजूद होते हुए भी अपना कोई वजूद नही होता। <BR/><BR/>इस नाम को सिर्फ़ जिस्म मिलते है ......<BR/>क्या इसे भी कभी ;<BR/>कोई राम मिलेंगा !!!!<BR/><BR/>नि:शब्द सा क्या कहूँ इस पर। हमने तो मंटो के जरिए ही जाना था इनका दुख दर्द। और आज आपने फिर से रुबरु करा दिया उस दर्द से। दुआ करते है कि राम मिल जाए।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-40481181075449297902009-02-06T19:37:00.000+05:302009-02-06T19:37:00.000+05:30dua hai aisi har ahilya ko ek raam mil jaye.bahut ...dua hai aisi har ahilya ko ek raam mil jaye.bahut achhe bhav hai kavita ke badhaimehekhttps://www.blogger.com/profile/16379463848117663000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-50508655443581628422009-02-06T19:28:00.000+05:302009-02-06T19:28:00.000+05:30विजय जी आज जो रचना आपने लिखी है उसे लिख कर किसी भी...विजय जी आज जो रचना आपने लिखी है उसे लिख कर किसी भी लेखक को अपनी लेखनी पर नाज हो सकता है...ये यकीनन एक उत्कृष्ट रचना है...आपने शब्द और भाव दोनों का बहुत ही बेहद खूबसूरती से इस्तेमाल किया है...ये एक ऐसा विषय था जिसको लिखते वक्त भावुकता लेखन पर हावी हो सकती थी लेकिन आपने बहुत कुशलता से इसे अति भावुक होने से बचा लिया है...आप जो कहना चाहते थे रचना उसे पाठक तक पहुँचने में कामयाब रही है...मेरी बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें...<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-1604644256632939382009-02-06T18:47:00.000+05:302009-02-06T18:47:00.000+05:30जीवन के इस बदरंग को आपने अपनी लेखनी में खूब ढाला ....जीवन के इस बदरंग को आपने अपनी लेखनी में खूब ढाला ..जाने क्या मज़बूरी होती होगी जो यह सब उन्हें अपनाना पड़ता होगा ..आपने बहुत भावपूर्ण लफ्जों में इसको लिखा हैरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-87498863831522103142009-02-06T17:32:00.000+05:302009-02-06T17:32:00.000+05:30बहुत सुंदर लिखा.....उसने सही कहा होगा.....कि वह रो...बहुत सुंदर लिखा.....उसने सही कहा होगा.....कि वह रो पडती है....आपकी कविताओं को पढकर....यूं ही आपकी लेखनी चलती रहे।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-35204986335062343802009-02-06T16:43:00.000+05:302009-02-06T16:43:00.000+05:30वाह बहुत सुन्दर लिखा है।वाह बहुत सुन्दर लिखा है।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-46969495228018309592009-02-06T15:52:00.000+05:302009-02-06T15:52:00.000+05:30भाई विजय जीकविता पढ़ी। जिस लड़की के लिये आपके मन म...भाई विजय जी<BR/><BR/>कविता पढ़ी। जिस लड़की के लिये आपके मन में भाव आए, वह अवश्य इसे पढ़ कर द्रवित हो गई होगी। हर जिस्म चाहता है कि कोई अवतार आ कर उसे उस नर्क से मुक्ति दिलवाए। कविता की बेहतरीन पंक्तियां हैं - <BR/><BR/>यहां सब जिस्म के लिये आते हैं<BR/>और जिस्म से मिल कर जाते हैं<BR/>नाम से कोई नहीं मिलता।<BR/><BR/>....... रोज़ सुबह जब आईना देखती हूं<BR/>अपने आप को नया नाम देती हूं।<BR/><BR/>शुभकामनाएं<BR/><BR/>तेजेन्द्र शर्मा - महासचिव कथा यू.के.<BR/>लन्दनतेजेन्द्र शर्माhttps://www.blogger.com/profile/15753407163299608362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-48210196434035508022009-02-06T14:10:00.000+05:302009-02-06T14:10:00.000+05:30मन के भावों को आपने सुन्दर लफ़्जों का जामा पहनाया ह...मन के भावों को आपने सुन्दर लफ़्जों का जामा पहनाया है..<BR/><BR/>कुछ के लिये है मजबूरियां<BR/>कुछ ख्वाहिशों से मजबूर हैं<BR/>कौन बिकता नहीं इस जहां में<BR/>जिस्म की छोडिये.. लोग रूह से भी दूर हैंMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-12813512506772148192009-02-06T13:52:00.000+05:302009-02-06T13:52:00.000+05:30विजय जी बहुत अच्छी कविता के लिए ढेर साडी बधाई. वाक...विजय जी बहुत अच्छी कविता के लिए ढेर साडी बधाई. वाकई आपकी कविताओं में दम है. ऐसी कविता जो किसी को रोने पर मजबूर कर दे...वाह. <BR/>आपको शब्द युद्ध ..प्रदर्शनी के लिए भी बधाई.पुरुषोत्तम कुमारhttps://www.blogger.com/profile/14737475432350019352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-84637897409677584312009-02-06T13:32:00.000+05:302009-02-06T13:32:00.000+05:30जीवन के इस रंग तो भी लिखना इतनी शिद्दत के साथ लिखन...जीवन के इस रंग तो भी लिखना इतनी शिद्दत के साथ लिखना, कहीं न कहीं दर्द को छिपाए रचनादिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3930257775613871058.post-23014450105162184772009-02-06T12:28:00.000+05:302009-02-06T12:28:00.000+05:30yatharth se ru-b-ru karwa diya jismon se bandhe ji...yatharth se ru-b-ru karwa diya <BR/><BR/><BR/>jismon se bandhe jismon ke rishtey <BR/>rooh ka safar kabhi tay nhi kar pate<BR/> <BR/>aisa hi kuch maine likha tha aur shayad wo in par thik baithta hai<BR/><BR/>kay kahun, dil bojhil ho gaya hai,<BR/>kabhi kabhi sach kitna kadva hota hai ki sahan nhi ho pata.<BR/><BR/>bas aur kuch nhi kah sakti,khamosh ho gayi hun.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com