Monday, December 13, 2010

मुझे तेरा इन्तजार है .....जानां !!!



हमेशा की तरह ,
आज भी अजनबी शाम को ढलते हुए सूरज के संग ,
उदास रंगों को आसमान में बिखरते  हुए देख रहा था ;
और सोच रहा था ,
उन शामो के बारे में ,
जब तुम मेरे साथ थी ...!!

ऐसा लगता है कि
वो किसी और जनम की  बात थी ,
जब मैं इन्ही रंगों को तेरे चेहरे  पर
अपने प्यार  के साथ घुलते हुए देखता था ....

सच में वो किसी और जन्म की बात लगती है ,
जब हम हाथो में हाथ डाल कर ;
किसी पुराने शहर की गलियों में घुमते थे ;
जब मंदिर के सारे देवता ;
गर्भगृह  में हमारी ही  प्रतीक्षा करते  थे .
या , 
वो नदी के बहते पानी में अपने अक्स को देखना ..
और वो लम्बी लम्बी सडको पर ;
बिना किसी मंजिल के दूर तक बहते चले जाना
और वो अनजान जंगलो की ,
फूलो की झुकी हुई डालियों पर तेरे प्यार को ठहरा हुआ देखना ,
किसी तेरे शहर की झील में ;
सूरज, शाम और पानी के साथ तुम्हे  disk jockey जैसे mix करना
और ज़िन्दगी के रुके हुए पलो में तुम्हे अपने camera में ;
एक immortal तस्वीर की तरह कैद कर लेना ...
सब कुछ किसी और जन्म की बात ही लगती है ..जानां  ..

क्या तुम्हे वो सारे लम्हे याद है ,
जब तुम्हारी साँसे मेरे नाम थी ,
जब तुम्हारी धड़कने भी मेरे नाम थी ,
जब तुम मुझे देखती थी प्यार के अद्बुत क्षणों में ..
जानां.. आज मैं बहुत उदास हूँ.
तुम बहुत याद आ रही  हो ..

जाने ,तुम दुनिया के किस जंगल में खो गयी हो ..
आ जाओ जानां, मुझे तेरा इन्तजार है ....!!!

21 comments:

  1. उम्दा लेखन,खूबसूरत अभिव्यक्ति.

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  2. वाह विजय भाई जी,
    बहुत जोरदार भावपूर्ण रूमानी रचना है ..... आभार

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  3. वे याद तुम्हारी
    रह रह कर आ जातीं,
    तुम न आयो गर।

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  4. Intzaar... sukhad ho sakta h agar ummeed ho k is intzaar ka ant sukhad hoga... sundar kavita :)

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  5. अति सुंदर रचना जी, धन्यवाद

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  6. shabdon ki mithas se bhari hui rachna......bahut sundar vijay ji.....

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  7. बहुत ही ख़ूबसूरत, बहुत बेहतर, बहुत वाजिब कहा विजय भाई आपने। बहुत पसंद आई रचना। आपका अंदाज़ ही निराला है।

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  8. पीड़ा की वेगवती नदी प्रचंड वेग से बह चली है...हाय !!!!
    लाजवाब अभिव्यक्ति...

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  9. ओह! इंतज़ार और प्रेम की विलक्षण प्रस्तुति ………………प्रेम की उत्कटता को बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है……………बहुत पसन्द आयी आपकी ये रचना।

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  10. हुत पसन्द आयी आपकी ये रचना।

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  11. तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

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  12. bahut khubsurat rachna sir
    http://bejubankalam.blogspot.com/search?updated-max=2010-06-07T12:28:00-07:00&max-results=7

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  13. गहरी साँस लेती चित्रमयी रचना ! बेहद भाव विभोर कर देने वाली कोमल रचना ! आभार !

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  14. इंतजार को इतनी खूबसूरती के साथ पिरोना ...मन के अतल गहराइयों को छू जाता है .कितना कोमल ..कितना मधुर .... सुन्दर पुकार ...वास्तव में बहुत अच्छा लिखतें है आप.आपको बधाई .

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  15. बेहद प्यारी रचना. आभार.

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  16. मन में बसे पुरानी यादों के खज़ाने में
    पड़े प्यार भरे शब्द जब काव्य का रूप लेते हैं
    तो निश्चित तौर पर ही विजय सप्पत्ती का नाम ही
    ज़हन में आता है .... वाह !!
    ऐसी खूबसूरती से बुनी गयी काव्यांजली पढ़ कर
    मन तृप्त हो गया है
    आभार .

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  17. इतनी लम्बी गैर-हाज़री के लिए
    क्षमा चाहता हूँ हुज़ूर ....

    "दानिश" भारती

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  18. क्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
    आशीषमय उजास से
    आलोकित हो जीवन की हर दिशा
    क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो
    जीवन का हर पथ.

    आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं

    सादर
    डोरोथी

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  19. ye intzaar ka waqt shayad sbhi ke jiwan me aata hai.............aur uss samay par puraani yaadon ko yaad kar ke sukoon milta hai........bahut acchi lagi kavita

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