Saturday, February 13, 2016

नज़्म

नज़्म :
मुझ से तुझ तक एक पुलिया है
शब्दों का,
नज्मो का,
किस्सों का,
और
आंसुओ का .......

......और हां; बीच में बहता एक जलता दरिया है इस दुनिया का !!!!

© विजय

एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता

घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...