Monday, May 30, 2016

लम्हों का सफ़र....


किसी एक लम्हे में तुमसे नज़रे मिली
और
उम्र भर का परदा हो गया...
किसी एक लम्हे में तुमसे मोहब्बत हुई
और
ज़िन्दगी भर की जुदाई मिली......

लम्हों का सफ़र
लम्हों में ही सिमटा रहा !!!
© विजय

Sunday, May 8, 2016

माँ




हम भारतीयों के लिए तो हर दिन ही "mother's day' है . बिना माँ के दिन क्या और रात क्या , और तो और - बिना माँ के जीवन ही क्या है .
माँ है तो जीवन है .
दुनिया की हर माँ को मेरा प्रणाम .



एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता

घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...