Wednesday, December 29, 2010

आहट प्रेम की , मृत्यु की और ईश्वर की ..



दोस्तों,
नमस्कार. इस बार मैंने एक नया प्रयोग किया है . जीवन के एक संकेत " आहट " को तीन अलग अलग छायाओ के साथ दर्शाया है . पहली कविता है "आहट प्रेम की" , दूसरी कविता है "आहट मृत्यु की" और तीसरी कविता है "आहट  ईश्वर की"  . पहली कविता में मैंने अपनी ही एक पुरानी कविता " रात भर यूँ ही " को  re - edit  किया  है . दूसरी कविता में मैंने अपनी ही एक पुरानी कविता "मृत्यु" को re - edit किया है .तीसरी कविता की प्रेरणा मुझे गुरुदेव श्री रविंद्रनाथ टैगोर के गीतांजलि काव्य संग्रह में से एक कविता  " आमार मिलन लागि तुमि  " [আমার মিলন লাগি তুমি ]  को पढ़कर मिली . It is basically backward integration management. पहले ईश्वर की आहट पर लिखा और फिर उसे cushioning के लिए प्रेम और मृत्यु की आहट को डाला . तीनो कविताओ की opening lines और closing lines  एक जैसी रखी है. मेरी आप सभी से नए साल की शुभकामनाओ के साथ ये गुजारिश है कि आप इसे पढ़े  और पढ़कर प्रेम से मृत्यु और मृत्यु से प्रभु की बांहों में जाने की प्रेरणा पाये. आपके आशीर्वाद और प्रेम भरे शब्दों का स्वागत है . प्रणाम   !!!




आहट  प्रेम  की …….!!!

ये कैसी अजनबी आहट है ..
कौन है  यहाँ , किसकी आहट है ये ...
जो मन में नए भाव जगा रही  है .

ओह.. ये तुम हो प्रेम...

तुम्हारी ही तो तलाश थी मुझे ..
शायद तुम्हारी आहट की वजह से ही  ;
किसी अजनबी ने प्यार मुझसे जताया .
अपनी आँखों से मुझे किसी ने पुकारा.

चुपके से हवा ने कुछ कहा शायद
या आँचल ने की कुछ आवाज़..
पता नही पर तुम गीत सुनाते रहो...

ये कैसी सनसनाहट है मेरे आसपास ,
या तुमने छेडा है मेरी जुल्फों को ,
पता नही पर तुम भभकते रहो..

किसने की ये सरगोशी मेरे कानो में ,
या थी ये सरसराहट इन सूखे हुए पत्तों की,
पता नही ,पर तुम गुनगुनाते रहो ;

ये कैसी चमक उभरी मेरे आसपास ,
या तुमने ली है ,एक खामोश अंगडाई
पता नही पर तुम मुस्कराते रहो;

एक छोटी सी आहट ने कितने प्रेम गीत
सुना दिए है  मुझे ,
आओ प्रेम तुम्हारा स्वागत है ...

अहा... इस आहट से मधुर और क्या होंगा ... 



आहट  मृत्यु  की ....!!!
 
ये कैसी अजनबी आहट है ..
कौन है  यहाँ , किसकी आहट है ये ...
जो मन में नए भाव जगा रही  है .

मेरे जीवन की , इस सूनी संध्या में ;
ये कौन आया है ….मुझसे मिलने,
ये कौन नितांत अजनबी आया है मेरे द्वारे ...

अरे ..तुम हो मित्र ;मेरी मृत्यु...
आओ स्वागत है तुम्हारा !!!

लेकिन ;
मैं तुम्हे बताना चाहूँगा कि,
मैंने कभी प्रतीक्षा नहीं की तुम्हारी ;
न ही कभी तुम्हे देखना चाहा है !

लेकिन सच तो ये है कि ,
तुम्हारे आलिंगन से मधुर कुछ नहीं
तुम्हारे आगोश के जेरे-साया ही ;
ये ज़िन्दगी तमाम होती है .....

मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूँ ,
कि ; तुम मुझे बंधन मुक्त करने चले आये ;

यहाँ …. कौन अपना ,कौन पराया ,
इन्ही सच्चे-झूठे रिश्तो ,
की भीड़ में,
मैं हमेशा अपनी परछाई खोजता था !

साँसे कब जीवन निभाने में बीत गयी,
पता ही न चला ;
अब तुम सामने हो;
तो लगता है कि,
मैंने तो जीवन को जाना ही नहीं…..

पर ,
अब सब कुछ भूल जाओ प्रिये,
आओ मुझे गले लगाओ ;
मैं शांत होना चाहता हूँ !
ज़िन्दगी ने थका दिया है मुझे;
तुम्हारी गोद में अंतिम विश्राम तो कर लूं !

तुम तो सब से ही प्रेम करते हो,
मुझसे भी कर लो ;
हाँ……मेरी मृत्यु
मेरा आलिंगन कर लो !!!

बस एक बार तुझसे मिल जाऊं ...
फिर मैं भी इतिहास के पन्नो में ;
नाम और तारीख बन जाऊँगा !!

कितने ही स्वपन अधूरे से रह गए है ;
कितने ही शब्दों को ,
मैंने कविता का रूप नहीं दिया है ;
कितने ही चित्रों में ,
मैंने रंग भरे ही नहीं ;
कितने ही दृश्य है ,
जिन्हें मैंने देखा ही नहीं ;
सच तो ये है कि ,
अब लग रहा है कि मैंने जीवन जिया ही नहीं

पर स्वप्न कभी भी तो पूरे नहीं हो पाते है

हाँ एक स्वपन ,
जो मैंने ज़िन्दगी भर जिया है ;
इंसानियत का ख्वाब ;
उसे मैं छोडे जा रहा हूँ ...
मैं अपना वो स्वप्न इस धरा को देता हूँ......

मेरी मृत्यु...
आओ स्वागत है तुम्हारी आहट का ,
जो मेरे जीवन की अंतिम आहट है .

अहा... इस आहट से मधुर और क्या होंगा ... 




आहट ईश्वर की ......!!!

ये कैसी अजनबी आहट है ..
कौन है  यहाँ , किसकी आहट है ये ...
जो मन में नए भाव जगा रही  है .

ये तो तुम हो मेरे प्रभु....

हे मेरे मनमंदिर के देवता
कबसे तुझसे मिलने की प्यास थी मन में .
आज एक पहचानी सी आहट आई
तो देखा की तुम थे मेरे मन मंदिर के द्वार पर .
अहा ...कितना तृप्त हूँ मैं आज तुम्हे  देखकर .
बरसो से मैंने तुम्हे जानना चाहा ,
पर जान न पाया
बरसो से मैंने तुम्हे देखना चाहा
पर देख न पाया
तुम्हे देखने और जानने के लिए
मैंने इस धरती को पूरा ढूंढ डाला .

पर तुम कहीं न मिले ..

और देखो तो आज तुम हो

यहाँ मेरे मन मंदिर के द्वार पर ..
और तुम्हे यहाँ आने के लिए कोई भी न रोक पाया .
न तुम्हारे बनाये हुए सूरज और चन्द्रमा
और न ही मेरे बनाये हुए झूठे संसार की बस्ती.

अचानक  ही पहले  प्रेम की और फिर  मृत्यु की आहट हुई  ,
मैं  नादान ये जान नहीं  पाया की वो दोनों  तुम्हारे ही भेजे  हुए दूत  थे
जो की मुझसे  कहने  आये थे ,
कि अब तुम आ  रहे  हो ..आने वाले हो ...

आओ
  प्रभु ,
तुम्हारा स्वागत है ..
जीवन के इस अंतिम क्षण में तुम्हारे दर्शन  हुए..
अहा , मैं धन्य  हो गया  .
तुम्हारे आने से मेरी वो सारी व्यथा दूर हो जायेंगी ,
जब तुम मुझे अपनी बाहों में समेटकर  मुझे अपना  लोंगे ..

और न जाने क्यों , अब मुझे कोई भय नहीं रहा ,
तुम्हे जो देख लिया है
तुम्हारी आहट ने
मेरे मन में एक नयी उर्जा को भर दिया है
;
कि
मैं फिर नया जन्म लूं
और तुम्हारे बताये हुए रास्तो पर चलूँ

मेरा प्रणाम  स्वीकार करो प्रभु ....

अहा... इस आहट से मधुर और क्या होंगा ...






आप सभी को नए वर्ष कि शुभकामनाये !!!--- विजय कुमार

Monday, December 13, 2010

मुझे तेरा इन्तजार है .....जानां !!!



हमेशा की तरह ,
आज भी अजनबी शाम को ढलते हुए सूरज के संग ,
उदास रंगों को आसमान में बिखरते  हुए देख रहा था ;
और सोच रहा था ,
उन शामो के बारे में ,
जब तुम मेरे साथ थी ...!!

ऐसा लगता है कि
वो किसी और जनम की  बात थी ,
जब मैं इन्ही रंगों को तेरे चेहरे  पर
अपने प्यार  के साथ घुलते हुए देखता था ....

सच में वो किसी और जन्म की बात लगती है ,
जब हम हाथो में हाथ डाल कर ;
किसी पुराने शहर की गलियों में घुमते थे ;
जब मंदिर के सारे देवता ;
गर्भगृह  में हमारी ही  प्रतीक्षा करते  थे .
या , 
वो नदी के बहते पानी में अपने अक्स को देखना ..
और वो लम्बी लम्बी सडको पर ;
बिना किसी मंजिल के दूर तक बहते चले जाना
और वो अनजान जंगलो की ,
फूलो की झुकी हुई डालियों पर तेरे प्यार को ठहरा हुआ देखना ,
किसी तेरे शहर की झील में ;
सूरज, शाम और पानी के साथ तुम्हे  disk jockey जैसे mix करना
और ज़िन्दगी के रुके हुए पलो में तुम्हे अपने camera में ;
एक immortal तस्वीर की तरह कैद कर लेना ...
सब कुछ किसी और जन्म की बात ही लगती है ..जानां  ..

क्या तुम्हे वो सारे लम्हे याद है ,
जब तुम्हारी साँसे मेरे नाम थी ,
जब तुम्हारी धड़कने भी मेरे नाम थी ,
जब तुम मुझे देखती थी प्यार के अद्बुत क्षणों में ..
जानां.. आज मैं बहुत उदास हूँ.
तुम बहुत याद आ रही  हो ..

जाने ,तुम दुनिया के किस जंगल में खो गयी हो ..
आ जाओ जानां, मुझे तेरा इन्तजार है ....!!!

Tuesday, December 7, 2010

" प्यार "

सुना है कि मुझे कुछ हो गया था...

बहुत दर्द होता था मुझे,
सोचता था, कोई खुदा ;
तुम्हारे नाम का फाहा ही रख दे मेरे दर्द पर…

 
कोई दवा काम ना देती थी…
कोई दुआ असर न करती थी…

 
और फिर मैं मर गया ।

जब मेरी कब्र बन रही थी,
तो;
मैंने पूछा कि मुझे हुआ क्या था।
लोगो ने कहा;
" प्यार "

 

Sunday, December 5, 2010

जबलपुर ब्लॉगर सम्मलेन : एक स्नेह भरा अनुभव



दोस्तोंनमस्कार . 

जबलपुर ब्लॉगर सम्मलेन मेरे लिए मात्र एक सम्मलेन ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ रहा ..मित्रता और प्रेम और आत्मीयता और स्नेह से भरे हुए दो दिन कैसे गुजरे , पता ही नहीं चल पाया. इसकी शुरुवात हुई , जब मैंने समीर जी से मिलने की इच्छा जाहिर की और फिर जबलपुर जाने का प्रोग्राम बन गया . फिर मुझे पता चला की भाई मैं मुख्य अतिथि हूँ तो मेरे होश उड़ गए क्योंकि , मैं कभी किसी सभा और गोष्टी में नहीं जाता हूँ.. पर समीर जी और दुसरे सारे दोस्तों से मिलने की ललक ने मुझे वहां  पहुंचा दिया . इस सम्मलेन के लिए मैं समीर जी का धन्यवाद दूंगा.

१ दिसम्बर  की शाम को होटल में पहुंचा और वह मेरा स्वागत गिरीश जी और ललित जी ने किया , फिर शाम होते होते बवाल जी विजय जी और समीर जी पहुंचे , फिर महेंद्र जी , संजय जी, प्रेम जी , विवेक जी , राजेश जी पहुंचे और फिर एक दुसरे से परिचय हुआ .. थोड़ी देर में सम्मलेन शुरू हुआ. हम तीनो को [ मुझे , ललित जी और अवदिया जी को  ] सम्मान पत्र दिया गया . मुझे बहुत ख़ुशी हुई . बाद में कई मित्रो से परिचय भी हुआ और फिर हम सबने अपनी अपनी बाते रखी . 

समीर जी एक बात ने मुझे बहुत प्रभावित किया की ,हमें अपना ब्लॉग्गिंग का आचरण अच्छा रखना चाहिए , क्योंकि , भविष्य में यदि हमारे पोते,नाती , हमारे बारे में जाने [ अगर हमने कुछ गलत लिखा है तो ] तो क्या होंगा . 

मैंने भी तीन बाते कही . [१] ब्लॉग्गिंग ,गाँव के चौपाल की तरह होना चाहिए , जहाँ स्वस्थ समाज का निर्माण होता हो , न की पान की दूकान , जहाँ जिसके जी में जो आया बोल दिया . [२] ब्लॉग्गिंग प्रेम, दोस्ती ,भक्ति इत्यादि अच्छे गुणों का extension होना चाहिए न की समाज के बुरे गुणों ,जैसे की ताने देना , छींटा  कशी करना इत्यादि गुणों का extension .. [ ३] ब्लोग्गेर्स में जो प्रेम भाव और भाई चारा रहता है वो काबिले तारीफ है और इस प्रेम को ख़त्म नहीं करना चाहिए .
 
मैंने तो जल्दी से अपनी बाते कह दी , क्योंकि मुझे mike से वैसे भी डर ही लगता है.. सारे मित्रो ने अच्छी अच्छी बाते कही , जो की गिरीश भाई ने अपने ब्लॉग में लिखी है .
 
शाम को मेरी , बवाल जी की , ललित जी , अवदिया जी की मण्डली में गाने का और कव्वाली  का प्रोग्राम पेश किया , याने की कहने वाले भी हम थे और सुनने वाले भी हम  ही थे.. बवाल जी की आवाज का जादू चल गया .. उनकी एक कव्वाली ने मुझे पर ऐसा सूफियाना जादू चलाया  की मैं सूफी नाच , नाचने लगा .

दुसरे दिन ललित जी ने मुझे धर्म पर कई बात सुनाई . मुझे बहुत अच्छा लगा.  अवदिया जी ने हिंदी पर मुझे बहुत कुछ बताया.

हम सभी भेडाघाट  घूमने पहुंचे .. वहां नाव की सैर में हमने फिर गाना गाया . मज़ा आ गया
और फिर बवाल जी ने एक शानदार dish हमे खिलाई -- गक्कड़ भरता और दाल .. वाह वाह ..
 
शाम को विजय जी ने अपनी कुछ रचनाये सुनाई , बहुत आनंद आ गया ; specially  उन्होंने एक इंग्लिश और हिंदी मिक्स रचना सुनाई  ..  

और रात को , मैं और बवाल जी ने अपना समां बाँधा  , कविता, कव्वाली, ब्लॉग्गिंग, गाना ... बस महफ़िल रात तक जमी रही .. सोचिये वो मेरी एक कविता ; समीर जी को देर रात को अपनी आवाज में सुनाये और समीर जी भी जवाब में अपनी एक कविता हमें सुनाये.. वाह वाह .. बवाल जी कि आवाज का मैं ऐसा कायल हुआ की मैंने ज़िन्दगी में पहली बार किसी को अपनी कविताओ की किताब दे दी .. मैं उनसे अपनी कविताओ को सुनना चाहूँगा .
 
सुबह , विजय जी अपनी पत्नी के साथ मुझे एअरपोर्ट छोड़ने आये , मन स्नेह से भर गया ..
 
जबलपुर मेरे लिए वैसे ही बहुत ख़ास है . अपने बहुत सी प्रेम कविताये मैंने यही लिखी है . और अब तो सारे जबलपुरिया ब्लोग्गेर्स ने मुझे अपना लिया है तो मुझे कहने के लिए कुछ नहीं बचता .
मैं इस प्रेम और अपनत्व के लिए सारे मित्रो का धन्यवाद देना चाहूँगा . और बार बार उन सब से मिलना चाहूँगा ..

मुझे समीर जी का soft spoken style . , महेंद्र जी का बोलने का style , गिरीश जी का public speaking , विजय जी का अपनत्व और स्नेह , राजेश जी का कार्टूनिंग , बवाल जी की दिलकश आवाज , तथा दुसरे सारे मित्रो का संग बहुत  याद रहेंगा .

मैं कुछ photos डाल रहा हूँ .. राजेश जी का बनाया हुआ कार्टून भी है .

मैं उन सभी मित्रो को दिल से धन्यवाद देता हूँ और जल्दी से फिर से मिलने की इच्छा रखता हूँ .

 प्रणाम 
























Sunday, November 28, 2010

६२२ मील लम्बा रास्ता और उम्र के बीस बरस ...



तुम थी किसी और दुनिया में ,
और मैं अपनी दुनिया में ...

मेरी दुनिया से तेरी दुनिया तक पहुँचने में
मुझे बहुत लम्बा रास्ता पार  करना पड़ा ,
वो रास्ता ६२२ मील लम्बा था
और मुझे उसे पार करने में २० बरस लग गए
लेकिन हमें तो मिलना ही था ;
ईश्वर ने ही  ये चाहा था .

तुझे पा लिया , सब कुछ पा लिया .
तेरे संग जो जिया , वो जी लिया .

बस तुमने मुझे छोड़ना नहीं था जानां ;

तुमने मुझे छोड़ दिया ,
मेरा सब कुछ खो गया ..                     
अब मैं अकेला हूँ
कोई दुनिया नहीं मेरे संग
कोई अपना नहीं मेरे संग
बस अब मैं अकेला हूँ !!!

शायद इसे ही तो  बेवफाई कहते है
हैं न जानां....!!!

लेकिन ;
मुझे तेरी बेवफाई नज़र आती है सिर्फ दूर  से ,
पास आता हूँ तो तुम सिर्फ मेरी जानां होती हो ..

ज़िन्दगी के फैसले क्यों मोहब्बत का खून करते है
 
 

Friday, November 26, 2010

एक नज़्म : सूफी फकीरों के नाम



















एक नज़्म : सूफी फकीरों  के नाम

कोई पूछे की
मैं हूँ कौन
लोग कहते है की बावरा हूँ तेरी मोहब्बत में
लोग कहते है की आवारा फिरता हूँ तेरी मोहब्बत में
लोग कहते है की जुनूने साये में रहता हूँ तेरी मोहब्बत में ;
सच कहता हूँ की
क़यामत आये और मैं  तुझसे मिल जाऊं
तुझमे मिल जाऊं

एक बार एक पर्वत पर गया
लोगो ने कहा था की तू है वहां
पर तू तो नहीं था
एक बार एक नदी में ढूँढा तुझे
लोगो ने कहा था की तू है वहां
पर तू तो नहीं था
एक समंदर ने मुझे बुलाया ,
लोगो ने कहा था की तू है वहां
पर तू तो नहीं था
एक झरने में देखना चाह तुझे
लोगो ने कहा था की तू है वहां
पर तू तो नहीं था

फिर ,एक दिन एक ख्वाब में
अपने दिल में झाँका
लोगो ने कहा था की तू है वहां
और तू था वहां

जाने कहाँ कहाँ भटक आया हूँ
मदिर देखे
मस्जिद देखे
गिरजाघर भी गया
और ढूँढा  तुझे गुरूद्वारे में
पंडितो से मिला,
मौलवियों से मिला
कोई  तुझे जानता न था
कोई तुझे पहचानता नहीं था

अब थक गया हूँ मैं
मुझे अपने पास बुला ले

फकीरी का आलम है मुझ पर
तू दरवेश बन कर मुझ से मिल जा
इश्क का जादू है मुझ पर
तू हुस्न बन कर मुझ से मिल जा
ज़िन्दगी के सजदे किये जा रहा हूँ
तू मसीहा बन कर मुझ से मिल जा

तेरा मुरीद हूँ
मेरा खुदा बन कर मुझ से मिल जा

तारो से कहा की तुझे मेरा सलाम कहे
चाँद से कहा की तुझ तक मेरा सजदा पहुंचा दे
सूरज से कहा की मेरे दियो की रौशनी की तुझे झलक दिखला दे
पर किसी ने शायद मुझ पर ये करम मेहर नहीं किया
अब तेरी मेहर चाहिए मौला

मेरे महबूब मुझे अब तो मिल जा
मेरे जिस्म से मेरी रूह को आज़ाद कर दे
मुझसे मेरा सब कुछ छीन ले
कर दे राख मुझको
एक ही आरजू है अब मेरी
की मुझको , खुद से मिला दे तू
अपने में समां ले तू
अपना बना ले तू
मैं तुझमे और तू मुझमे
तभी मुझे सकून मिलेंगा .







Saturday, November 20, 2010

राह



सूरज चढ़ता  था और उतरता था....
चाँद चढ़ता था और उतरता था....
जिंदगी कहीं भी रुक नही पा रही थी,
वक्त के निशान पीछे छुठे जा रहे थे ,
लेकिन मैं वहीं खड़ा हूं ...
जहाँ तुमने मुझे छोडा था....
बहुत बरस हुए ;
तुझे ,  
मुझे भुलाए हुये !

मेरे घर का कुछ हिस्सा अब ढ़ह गया है !!
मुहल्ले के बच्चे अब जवान हो गए है ,
बरगद का वह पेड़ ,
जिस पर तेरा मेरा नाम लिखा था
शहर वालों ने काट दिया है !!!

जिनके साथ मैं जिया ,वह मर चुके है
मैं भी चंद रोजों में मरने वाला हूं
पर,
मेरे दिल का घोंसला ,
जो तेरे लिए मैंने बनाया था,
अब भी तेरी राह देखता है.....



Wednesday, November 17, 2010

अपनी बात - PART - II


दोस्तों , बहुत समय पहले मैंने एक पोस्ट लिखी थी अपनी बात - I , शीर्षक से . उसका लिंक है [ http://poemsofvijay.blogspot.com/2008/11/i.html    ]  इस पोस्ट में मैंने अपने जीवन की कुछ बाते SHARE की थी , इस पोस्ट को मैंने  25 नवम्बर 2008   को पोस्ट किया था . आज 17 नवम्बर को मेरा जन्मदिन है . ये मेरा 44th BIRTHDAY है .  इसलिए सोचा ,फिर से एक बार आप सब से कुछ बाते कर लूं  .. कुछ अपनी बात करू.
बीते दिनों में मेरी ज़िन्दगी में बहुत सारे बदलाव आये , तो सोचा की आप सभी के साथ उसे SHARE  करूँ . ज़िन्दगी की अपनी राह होती है ..और उस राह में सुख और दुःख के पेड़ राह के दोनों ओर लगे होते है . इसी राह पर चलते चलते मेरी उम्र के ४3 साल बीत गए . मुझे लगता है की मैं तीन जिंदगियां जी ली है ..एक तो वो जिंदगी है जो बचपन से नौकरी तक है , दूसरी वो जिंदगी है , जो नौकरी से ४० साल तक , और अब तीसरी जिंदगी है जो की ४० साल से बाद की है . इस पूरे सफर में जो एक बात COMMON  रही , वो सिर्फ मेरी माँ का प्यार और आशीर्वाद रहा . हालांकि माँ को गुजरे २४ साल से ज्यादा समय हो गया , लेकिन मैंने अब भी उन्हें अपने पास महसूस करता हूँ.   

४० साल के बाद की जिंदगी में बहुत से ऐसे बदलाव थे , जिन्हें मैंने 360 DEGREES CHANGES  कहूँगा .  ऐसे ही बहुत से बदलाव जिन्होंने मेरी सोचने , समझने की PROCESS  को बदला .. मेरी जिंदगी में बहुत सी तब्दीलियाँ आई  कुछ अच्छी थी और कुछ बुरी ,इन सब लम्हों में से कुछ को मैं आपके साथ बांटना चाहता हूँ .

1.  BLOGGING  की शुरुवात हुई . मेरी इस नयी जिंदगी की नींव सिर्फ ये ब्लॉग्गिंग है . इस ब्लॉग्गिंग ने मुझे नए मित्र दिए , नए आयाम दिए , , लोगो से मिलने और जुड़ने का ऐसा मौका शायद ही किसी और प्लेटफोर्म में मिलेंगा . मैंने ब्लॉग्गिंग को अजमाया और पाया की इसके जरिये मैंने अपने भीतर छुपे हुए कलाकार को बाहर निकाल सकता हूँ . और यही हुआ . मैं फिर से फोटोग्राफी करने लगा , मैं फिर से DRAWING , पेंटिंग करने लगा, बहुत सारे दुसरे ARTS को DEVELOP किया  , और इसी तरह से मैंने अपने कई ब्लॉग बनाये जो की मेरे भीतर के कलाकार के विविध रूपों को ज़हीर करते है ..

2.  मैंने अपने भीतर के CREATIVE  ARTS  को अजमाया और कई तरह के ARTS  में अपने को डुबो दिया .. ये है  [ PHOTOGRAPHY, POETRY , SCULPTING, COMIC ART/ CARTOONING , SINGING & DANCING, MUSIC COMPOSING, STORY & SCRIPT WRITING , PLAYING DRUMS ,SONG & SOUND PAINTING ,SKETCHING & DRAWING  ,CONCEPTUAL ART , PAINTING ,इत्यादि ]   हालांकि , मुझे किसी भी आर्ट में पूर्णता नहीं है , सब कुछ बस थोडा थोडा ही आता है ..आप कह सकते है की ,मैं JACK OF ALL  और MASTER OF NONE  हूँ  .

3.  एक और बात आप सब से बताना चाहता था . मैं पिछले 25 साल से SOUNDS पर EXPERIMENTS कर रहा हूँ , अलग अलग SOUNDS , अलग अलग INSTRUMENTS के साथ मैंने गायत्री मन्त्र पर बहुत से EXPERIMENTS किये है और अलोकिक अनुभवों को जिया है . म्यूजिक थेरपी पर कार्य करता हूँ . चिडियों की आवाजो से लेकर , समुद्र की लहरों से लेकर, हवाओं की तेज़ ध्वनी से लेकर, मृदंग की थाप से लेकर , HEAVY इलेक्ट्रिकल GUITAR के STRING SOUNDS , छोटे बच्चो की खिलखिलाहट , ढोलक पर छोटी छोटी थापे  ,तबले के तीन ताल से लेकर , AFRICAN DRUMS के HEAVY SOUND से लेकर युवावो की हंसी , इत्यादि ऐसे SOUNDS है , जो आपके MIND को SUPER RELAXATION दे सकते है . BEETHOVEN के 9TH SYMPHONY हो या ILLAIYAA RAJA के SYNTHESIZERS , चाहे जुबिन मेहता का OPERA SOUNDS हो या MOZART  का अद्बुत WESTERN CLASSICS . चाहे वो  JOHN WILLIAMS की JAMES BOND की धुन हो  या A. R . RAHMAN  का बॉम्बे THEME SOUNDTRACK , शोले फिल्म का MOUTHORGAN धुन हो या पाकीजा के घुंघुरू.  .चाहे वो COME SEPTEMBER की धुन हो , चाहे वो BERLIN MELODY  की सीटी  .. . चाहे वो शंकर जयकिशन के  VIOLIN COMPOSITIONS   हो , चाहे वो राजेश रोशन का SOFT SYNTHESIZER EFFECT   हो , चाहे वो R.D.BURMAN  के FAST TRACK SOUND  हो , चाहे वो रजनीगन्धा का TITLE TRACK  हो , चाहे सलिल चौधरी का BACKGROUND SCORE  हो , चाहे वो फिर O P NAIYAR  का SINGLE TEMPO MELODY TRACK हो जिसे आशा भोंसले गा रही हो , चाहे वो अजय  पोहनकर या करुणेश का  FUSION MUSIC हो , चाहे वो GODFATHER का BACKGROUND SCORE हो , या फिर क़र्ज़ फिल्म का GUITAR TUNE  हो , चाहे वो आम्रपाली में लता का गाया हुआ ,तुम्हे याद करते करते...में सितार की  FILL –IN  SCORE  हो , चाहे वो हौले हौले में हारमोनियम का FILL –IN  SCORE हो , चाहे हेमंत के SLOW COMPOSITIONS  हो ..  मैंने हर संगीतकार के संगीत को दिल से जिया है , मुझे गाने याद नहीं रहते , लेकिन मैं ये बता सकता हूँ कि मदनमोहन के बरसाती गाने तुम जो मिल गए हो के इंस्ट्रुमेंट्स कब स्लो होते है कब फास्ट होते है .. इसी तरह से  VOCAL SOUNDS OF ALL INDIAN AND INTERNATIONAL SINGERS   , चाहे वो भारतीय हो या विदेशी, मैं उन सभी VOCAL SOUNDS को खूब जिया है .हाँ ,गायकों की बात पर एक बात कहूँगा, बहुत वक़्त पहले एक सुबह के ओस की बूँद की तरह फ्रेश और HAUNTING VOCAL आवाज का जन्म हुआ था ,वो आवाज थी , नाजिया हसन की .. खुदा उसे जन्नत बक्श दे.. मैं आज भी उसकी आवाज का दीवाना हूँ, SPECIALLY अगर वो BIDDU की COMPOSITIONS हो ... मैं संगीत के लिये पागल हूँ, दीवाना हूँ   . 25 साल से मैं रेकॉर्ड्स, CASSETTES , CD , DVD   इत्यादि को जमा करते करते अनगिनत SOUNDS को जिया है , जाना है और अधाय्त्मिक आनंद लिया है. वैसे मेरा मनपसंद  TRACK -- X FILES का है , इसे मैंने अपने MOBILE का RING TONE बनाया हुआ है , जहाँ तक मुझे पता है , भारत में ये RING TONE सिर्फ मेरे पास ही है . !! वैसे एक बात कहूँ , सबसे अच्छे SOUNDS ,सिर्फ नन्हे बच्चो की होती है और हां, कोई अगर आपको प्यार से  I LOVE YOU कहे.. तो वो SOUND भी कानो को अच्छा लगता है ..

4.  मैंने इस बीच कई कविताएं लिखी , जो की आप सब गुरुजनों ने खूब सराहा . कुछ कविताएं सरहद पार करके दुसरे मुल्को में भी नाम कमा लिया . जैसे, स्त्री- एक अपरिचिता, मोहब्बत, मौला , इत्यादि .कुछ  कविताओ पर म्यूजिक एल्बम भी बनने की बात हुई , देविका जो कैलिफोर्निया से है , उन्होंने कहा है . और यहाँ भी देश में कुछ लोगो ने कहा है ..  बस बाते चल रही है .

5.  मैंने ANIMATION FILMS और कार्टून SERIES  के लिए कुछ कहानिया और स्क्रिप्ट WRITING  भी की .एक दो कहानिया भी लिखी

6.  पहले मैं आलसी था , अब धीरे धीरे महाआलसी  बनते जा रहा हूँ . रोज सुबह उठ कर सोचता हूँ की " अजगर करे ने चाकरी , पंक्षी करे न काम, दास मलूका कह गए ,सब के दाता राम .. सोचता हूँ की कुछ मेरे साथ भी हो जायेंगा .. लेकिन कुछ नहीं होता है ..   AS THEY -- THERE IS NO FREE LUNCH IN THE WORLD. YOU HAVE TO EARN IT.  सोचता हूँ , कहीं से कोई खज़ाना मिल जाए या LOTTERY लग जाए , लेकिन , ऐसा नहीं होने वाला, मुझे पता है ...

7.  पिछले साल भर में मैंने कम से कम  100 किताबे पढ़ ली है . जिसमे १०-१५ सिर्फ मैनेजमेंट पर होंगी , बाकी सब सिर्फ अध्यात्म पर है .

8.  इस साल मैंने OSHO NEO SANYAAS  से संन्यास लिया , मेरा संन्यास का नाम ,स्वामी प्रेम विजय है .. अच्छा  लगा संन्यास लेकर.. मैं ओशो से २० साल से ज्यादा वक़्त से जुड़ा हुआ हूँ ,लेकिन कभी संन्यास की नहीं सोचा , अब लगा तो ले लिया और अब अच्छा लगने लगा है , मन में एक साक्षी भाव तो आता ही है . मेरा क्रोध लगभग ख़त्म हो गया ..

9.  पिछले दिनों , बारिशो के दिनों में , अचानक ही भीतर ,में एक TRANSFORMATION  हुई , जब मैं एक दिन बारिश में भीगा और जब मैंने वो कविता भी लिखी  TRANSFORMATION  के नाम से .इस कविता ने और इससे जुड़े अनुभव ने  बहुत ज्यादा बदलाव लाया मेरे भीतर. अब एक नया विजय था मेरे साथमैंने अपने भीतर ,बहुत ही बेहतर आंतरिक ताक़त को महसूस किया . और मुझे ख़ुशी होने लगी , हर बात में ..TRANSFORMATION  के बाद लगभग , मन और तन बहुत हद तक साधू  हो गया है ...

10.   मेरा INCLINATION  तो पहले ही था SPIRITUALITY  के तरफ , अब और ज्यादा हो गया . मैंने एक नया ब्लॉग और ग्रुप खोला . ह्रुदयम . , लोग इससे जुड़ने लगे है . अच्छा लगता है . सोचता हूँ , जल्दी से अपना एक आश्रम खोलू, बहुत दिनों की इच्छा है ..

11.  कुछ सपने पूरे होने में बहुत समय लग जाता है , बीते दिनों ,मैंने एक DIGITAL  SLR कैमरा ख़रीदा .. जो की मेरा १२ साल पुराना सपना था, कभी , पैसे नहीं होते थे [ ज्यादातर समय ] कभी परिस्तिथिया नहीं होती थी,. बस कुल मिला कर दुसरो को देखता था और सोचता था की कभी मेरे पास कुछ ऐसा आयेंगा . अब आ गया है .. नया कैमरा है  CANON 550D WITH 18-55 MM LENS AND A SEPARATE ZOOM  OF 75- 300 MM . अब कोशिश करूँगा की और अच्छे फोटो  खींचूं . लेकिन मेरी एक सलाह है , अपने सपने समय पर ही पूरे कर लीजिए , क्योंकि जब दांत होते है तो आंत नहीं होती और जब आंत होती है तो दांत नहीं होते. इतना अच्छा कैमरा खरीदने के बाद अब फोटोग्राफी के लिये मेरे पास समय और धैर्य दोनों ही नहीं है ...

12शरीर अब थोडा और खराब हो गया है .. हर साल कुछ न कुछ हो जाता था .ज़रा सोचिये , मेरे बाएं  पैर के घुटने का LIGAMENT कुछ साल पहले कलकत्ता के एक एक्सिडेंट में CRUSH हो गया था . दायें  पैर के घुटने का DE -GENERATION हो चूका है . दोनों हाथ और पैरो की हड्डियां टूट चुकी है . SPINE में L-4 और  L-5  का ऑपरेशन हो चूका है .पहले कमर दर्द से ही परेशान था अब SHOULDER में  MUSCLE TEAR हो गया है .बीच में दिल में भी दर्द उठा था .. ज़रा सोचिये की , इतने टूटे फूटे शरीर के साथ जीने में कैसा मज़ा आता होंगा . अक्सर सोचता हूँ की अगर ईश्वर का आशीर्वाद  न होता और मेरी इच्छा शक्ति न होती तो ,मेरा क्या होता ...BUT AS THEY SAY, GOD TAKES CARE OF EVERYONE AND IN MY CASE TOO , HE IS TAKING CARE WITH HIS BLESSINGS AND WARM LOVE !!

13.  FINALLY  , ब्लॉग्गिंग के जरिये , मुझे कुछ अद्बुत लोगो से मिलने, दोस्ती करने, बाते करने का मौका मिला , कुछ लोग है , जो बहुत गहरे जुड़ गए है .. कुछ लोग है , जिन्होंने खुशिया दी, कुछ ने दुःख दिए , लेकिन चलता है , वो कहते है न ,  IT TAKES ALL KIND OF PEOPLE TO MAKE THIS WORLD.  I AM THANKFUL TO EVERYONE ,WHO ONE WAY OR OTHER, TAUGHT  ME SOMETHING NEW. 

14बीते कई बरसो से मैं साधू संतो से मिलते आया हूँ . मुझे मेरी अध्यात्मिक रूचि की वजह से , इन सबमे बहुत रूचि है .. मुझे बहुत से साधुओं  ने बहुत सी बाते सीखाई , कुछ नयी विद्याये सीखी .. .. जीवन की गहराईयों को जानने का अवसर मिला.. एक और दुनिया की सैर करने को मिला , जहाँ इस ज़िन्दगी से परे कुछ और बाते है , जहाँ विज्ञान FAIL हो जाता है ... लेकिन  सत्य तो यही है की अपने कर्मो को उचित ढंग से करते हुए ईश्वर के प्रति श्रद्धा  का भाव रखते हुए अपने जीवन को जीना चाहिए.. 

अब मैं खुश रहता हूँ , जीवंत रहता हूँ. लोगो को खुश रखने की कोशिश करता हूँ...और हाँ , दुसरे सारे इंसानों की तरह मुझमे भी मानवीय कमजोरियां है .. मैं भी गलतियाँ करता हूँ . दुखी होता हूँ,. परेशान भी होता हूँ लेकिन हमेशा ही  भगवान के प्रति धन्यवाद का भाव रखा . I AM SO THANKFUL TO GOD, HE HAS BEEN VERY KIND TO ME , DESPITE ALL MY HURDLES AND PROBLEMS OF LIFE , HE IS ALWAYS WITH ME ALONG WITH BLESSINGS OF MY MOTHER.

FINALLY , EVERYDAY  MORNING I GET UP AND WONDER AND ASK MYSELF …की आज जीवन में नया क्या ? ज्वेलरी डिजाईन करना ?  नर्मदा के किनारे ध्यान लगाना ? मणिकर्णिका घाट पर प्रेत की तरह विचरना पूर्ण सन्यासी हो जाना ? या किसी के प्रेम में  हो जाना .....पता नहीं ... क्या क्या बचा हुआ है जीवन में .......पता नहीं ....!!!

अब विदा लेता हूँ , आप सबसे ये निवेदन है की मुझ पर  अपना प्यार और आशीर्वाद यूँ ही बनाये रखे .

नमस्कार !!!
आपका
विजय कुमार 
+91 9849746500

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एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता

घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...