Wednesday, August 15, 2012

सरहद


               Image Courtesy : Google Images

सरहद


सरहदे जब भी बनी ,
देश बेगाने हो गये
और इंसान पराये हो गये !!!

हमने भी एक सरहद बनायी है ;
एक ही जमीन को
कुछ अनचाहे हिस्सों में बांटा है ;

उस तरफ कुछ मेरी तरह ही ;
दिखने वाले लोग रहते है ;
इस तरफ के बन्दे भी कुछ ;
मेरी तरह की बोली बोलते है ;

फिर ये सरहदें क्यों और कैसी ..
जब से हम अलग हुए ,
तब से मैं ...इंसान की तलाश में ;
हर जगह अपने आप को ढूँढता हूँ

कभी इस तरफ के बन्दे जोश दिखाते है
कभी उस तरफ से नफरत की आग आती है
कभी हम मस्जिद तोड़ते है
कभी वो मन्दिर जलाते है ...

देश क्या अलग हुए .
धर्म अंधा हो गया
और खुदा और ईश्वर को अलग कर दिया

सुना है कि ;
जब सियासतदार पास नहीं होते है
तो ;
दोनो तरफ के जवान पास बैठकर
अपने बीबी -बच्चो की बातें करते है
और साथ में खाना खातें है

मैं सोचता हूँ
अगर सियासतदारों ने ऐसे फैसलें न किये होतें
तो आज हम ईद -दिवाली साथ मनाते होतें !!!!




Monday, August 13, 2012

" शायर "


सुबह से शाम , और शाम से सुबह ;
ज़िन्दगी यूँ ही बेमानी है दोस्तों ....

किसी अनजान सपने में ,
एक जोगी ने कहा था ;
कि, एक नज़्म लिखो तो कुछ साँसे उधार मिल जायेंगी ...

शायर हूँ मैं ;
और जिंदा हूँ मैं !!!

आसमान के फरिश्तों ;
जरा झुक के देखो तो मुझे....

मुझ जैसा शायर सुना न होंगा ,
मुझ जैसा इंसान देखा न होंगा ...

खुदा मेरे ;
ये साँसे और कितने देर तलक चलेंगी !!

Wednesday, August 8, 2012

आंसू



उस दिन जब मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ा ,
तो तुमने कहा..... नही..
और चंद आंसू जो तुम्हारी आँखों से गिरे..
उन्होंने भी कुछ नही कहा... न तो नही ... न तो हाँ ..
अगर आंसुओं कि जुबान होती तो ..
सच झूठ का पता चल जाता ..
जिंदगी बड़ी है .. या प्यार ..
इसका फैसला हो जाता...

एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता

घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...