मोहब्बत
कल तुझे डूबते हुए सुर्ख सूरज के साये में
फिर एक बार देखा ...
रात , बड़ी देर तक तेरा साया मेरे साथ ही था ..
एक ख्वाब तेरा चेहरा लिए ;खुदा के घर से
दबे पाँव मेरी नींद की आगोश में सिमट आया ...
और रात की गहराती परछाईयो ने ;
तुझे और मुझे ;
अपने इश्क़ की बाहों में समेट लिया ...
सुबह देखा तो तेरी हथेली में मेरा नाम खुदा हुआ था ..
मेरे जिस्म में तेरे अहसास भरे हुए थे ...
बादलो से भरे आसमान से खुदा ने झाँका और
हमें कुछ मोती दिए मोहब्बत की सौगात में ....
कुछ तुमने अपने भीतर समा लिया
कुछ मेरे पलकों के किनारों पर ;
आंसू बन कर टिक गए ...
खुदा ने जो नूर की बूँद दी है
मोहब्बत के नाम पर ...
उसे अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है ;
जिसमे एक हथेली तेरी हो
और एक हथेली मेरी हो .....
आओ इस अहसास को जी ले ,
जिसे मोहब्बत कहते है .....
कल तुझे डूबते हुए सुर्ख सूरज के साये में
फिर एक बार देखा ...
रात , बड़ी देर तक तेरा साया मेरे साथ ही था ..
एक ख्वाब तेरा चेहरा लिए ;खुदा के घर से
दबे पाँव मेरी नींद की आगोश में सिमट आया ...
और रात की गहराती परछाईयो ने ;
तुझे और मुझे ;
अपने इश्क़ की बाहों में समेट लिया ...
सुबह देखा तो तेरी हथेली में मेरा नाम खुदा हुआ था ..
मेरे जिस्म में तेरे अहसास भरे हुए थे ...
बादलो से भरे आसमान से खुदा ने झाँका और
हमें कुछ मोती दिए मोहब्बत की सौगात में ....
कुछ तुमने अपने भीतर समा लिया
कुछ मेरे पलकों के किनारों पर ;
आंसू बन कर टिक गए ...
खुदा ने जो नूर की बूँद दी है
मोहब्बत के नाम पर ...
उसे अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है ;
जिसमे एक हथेली तेरी हो
और एक हथेली मेरी हो .....
आओ इस अहसास को जी ले ,
जिसे मोहब्बत कहते है .....
खुबसुरत एहसास मोहब्बत का..
ReplyDeleteसुन्दर रचना ..
आभार ।
सुबह देखा तो तेरी हथेली में मेरा नाम खुदा हुआ था ..
ReplyDeleteमेरे जिस्म में तेरे अहसास भरे हुए थे ...
अति उत्तम विजयजी. बहुत अच्छा लिखा है. मौहब्बत ही जिंदगी का दूसरा नाम है. जिसने जिंदगी जीने की कला सीख ली उसे मौहब्बत के मायने समझ में आ गए और जिसने मौहब्बत करना सीख लिया उसे जीना आ गया. कुछ दिन पहले मैंने मेरी एक रचना में कुछ ऐसा लिखा था कि -
"अब मैं जीना सीख गया हूँ
मैं प्यार करना सीख गया हूँ "
बहुत धन्यवाद एक सुन्दर शब्दों की माला वाली कविता के लिए.
परिभाषाओं से परिपूर्ण सुन्दर रचना!
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर अहसास मोहब्बत का.
ReplyDeleteWaah !! Ati Sundar !! Badhaai !!
ReplyDeleteBuzz पर आपकी इस कविता को देख चुका हूँ, बहुत पसन्द आयी कविता !
ReplyDeleteप्रेम-कविताओं का बेहतरीन संग्रह है इस ब्लॉग पर ! हर अहसास की प्रेम कविताएं !
आभार ।
वाह ! हथेली पर गुदा नाम.. क्या कल्पना है..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत एहसास लिये आपकी ये रचना विलक्षण है...बहुत दिन बाद आये लेकिन कमी पूरी कर दी आपने अपनी इस रचना...
ReplyDeleteनीरज
खुदा ने जो नूर की बूँद दी है
ReplyDeleteमोहब्बत के नाम पर ...
उसे अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है ;
सुन्दर रचना
बहुत खुबसुरत एहसास है.
आभार ।
bahut hi achhi kavita likhi hain aapne
ReplyDeleteAlag alfaaz kahanse laun? Itni sundar rachanane nishabd kar diya!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है बधाई।
ReplyDeleteपता नहि मैं कैसे आज तक आपके ब्लॉग पर पहुँच नहीं पाया....... !!! आज पहली बार आया और आपकी "मोहब्बत" ने दिल चुरा लिया......... अब आना जाना लगा रहेगा.... ! बहुत ही अच्छी कविता है.... एक-एक शब्द दिल की गहराई में उतर जाता है........... !!! धन्यवाद !!!!
ReplyDeletepyaar ke anchuye ehsaas
ReplyDeletebahut achchi rachanahai badhayee ho vijay ji
ReplyDeletebuzz comment from Mr. Digambhar naswa---
ReplyDeletedigamber naswa - Wonderful thought ..
नमस्कार विजय जी
ReplyDeleteआज आप तक पहुंचा तो पाया बहुत कुछ खाली रहा हिस्सा , आज मोहब्बत का दामन थाम रहा है
आफाक अहमद
buzz comment from Mr. nadeem Akhtar --
ReplyDeleteNADEEM AKHTAR - आपके ब्लॉग में कमेंट लिखने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसमें कमेंट बॉक्स नहीं खुल रहा था। खैर, यहां जो कमेंट दे रहा हूं, उसे ही स्वीकार करें।
लाजवाब, बहुत ही सुंदर रचना है। वैसे भी आपकी ऐसी कोई रचना नहीं, जिसमें रूमानियत न हो।
इस सुंदर कविता के लिए बधाई ! मेरे एक शेर को आपने साकार कर दिया है-
ReplyDeleteएहसास की दुनिया में रोशन दिल की जागीरें हैं
कहते हैं जिसे सब प्यार यहाँ ख़ुशबू की लकीरे हैं
देवमणि पाण्डेय,मुम्बई
http://devmanipandey.blogspot.com/
बहुत अच्छे लफ़्ज़ों में आपने
ReplyDeleteमुहब्बत को बयां किया है ||
दिल से दिल को छूती हुई कविता ||
धन्यवाद .........
खुदा ने जो नूर की बूँद दी है
ReplyDeleteमोहब्बत के नाम पर ...
उसे अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है ;
जिसमे एक हथेली तेरी हो
और एक हथेली मेरी हो .....
ye panktiyan kavita ki jaan hain..........bahut hi sundar ahsaas bhare hein..........mohabbat aisi hi hoti hai jahan 2 kuch nhi hota sab ekhi hota hai.
विजय जी…अब तो मैं आपका नाम प्रेम कुमार सपत्ति रखना चाहता हूं :-)
ReplyDeletejokes apart...एक अच्छी और सच्ची कविता के लिये बधाई!
Bahut sunder rachna hai...
ReplyDeletebahut hi badhiya mohabbat ke baare me itni achhi line pehali baar ...padhi hai...
ReplyDeletebahut hi badiya sir
ReplyDeletedo check out
www.simplypoet.com
World's first multi- lingual poetry portal!!
do login and post...takki sabhi ko aapki khoobsurat karigari padne
ka mauka miley ..aur logon ko pata chalee ke aapke jaise kavi abhi tak blogging karte hain!!
recd by orkut scrap from Mr. Sanjay Navrekar..
ReplyDeletesanjay:
i have read ur poem on mohabbat and posted comment there too....really mohabbat ke baare me aise lines kabhi nahi padhe zindagi me .....infactaap ki doosri kavita ..mrityu....bhi padhi and i think it was ....truth of life.......everybody has to face!!!!!!!!!!!!!!wonderfull....keep it up...
recd by buzz comments from Mr. rajeev ..
ReplyDeleteRajeev Nandan Dwivedi -
व्यस्त था आपके ब्लॉग पर नहीं जा सका,
कविता हमेशा की तरह एक और मास्टर पीस है. जितनी भी प्रशंसा की जाय कम है.
bahut badia....
ReplyDeleteखुदा ने जो नूर की बूँद दी है
ReplyDeleteमोहब्बत के नाम पर ...
उसे अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है ;
जिसमे एक हथेली तेरी हो
और एक हथेली मेरी हो .....
ye to lajawaab hai. kai baar padh gayi.
बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! सुन्दर एहसास के साथ लाजवाब प्रस्तुती! बहुत बहुत बधाई!
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत खुबसुरत एहसास है.
आभार ।
खुदा के नूर को मुहब्बत के नाम पर ...
ReplyDeleteओक से पीना एक साथ
और जीना जिंदगी को
इस एहसास के साथ ...
बहुत सुन्दर एहसासों से भरी कविता ......!!
nice
ReplyDeletePyar ki ehsas ki paati....
ReplyDeleteAndaj achha laga.
Shubhkamnayne
vijay bhai,
ReplyDeletewah, mohbbat ka yah ahasaas bahut kuch sikhata hai, badhai.
jisne jivan jeene ki kala samaz li wah mohbbat ke samndar me hi gote lagata rahta hai.
--kirti rana
www.pachmel.blogspot.com
मेरे जिस्म में तेरे अहसास .....
ReplyDeleteखुबसुरत मोहब्बत
अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है ;
सुन्दर
सुन्दर
सुन्दर
सुन्दर अहसासों से भरी हुई है आपकी ये रचना। मोहब्बत के भावों को बहुत खूब उकेरते है। कुछ लाईन तो गजब की है।
ReplyDeleteसुबह देखा तो तेरी हथेली में मेरा नाम खुदा हुआ था
..........
खुदा ने जो नूर की बूँद दी है
मोहब्बत के नाम पर ...
उसे अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है ;
जिसमे एक हथेली तेरी हो
और एक हथेली मेरी हो ...
सुन्दर।
खूबसूरत अहसासों की बानगी!!
ReplyDeleteअति सुन्दर.....
ReplyDeleteखुदा ने जो नूर की बूँद दी है
ReplyDeleteमोहब्बत के नाम पर ...
उसे अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है ;
जिसमे एक हथेली तेरी हो
और एक हथेली मेरी हो .....
आओ इस अहसास को जी ले ,
जिसे मोहब्बत कहते है .....
bahut hi khubsurat....
recd by email from Dr. Prem ....
ReplyDeleteप्रिय भाई
आपकी कविता व्यापक अर्थ से संपन्न है और एक अच्छी कविता में जो संवेदन को संप्रेषित करने का गुण होना चाहिए वोह आपकी कविता में है
कुछ पंक्तियाँ तो सीधे ह्रदय को सपर्श करती हैं
बधाई
Dr. Prem Janmejai
# 73 Saakshara Appartments
A- 3 Paschim Vihar, New Delhi - 110063
Phones:(Home) 011-91-11-25264227
(Mobile) 9811154440
प्रेम की अनुभूति को कतरा कतरा शब्दो मे पिरोकर उसकी मादकता से सरोबार कर आपकी लेखनी ने इस स्वप्निल अह्सास को सबके दिल मे उतार दिया है.
ReplyDeleteप्रणाम विजय जी ,,, इतनी बेहतरीन और संवेदन शील रचना,, आप ने अंतर्निहित भावनाओ को जो शब्द दिए अदभुद हैमै नतमस्तक हूँ
ReplyDeleteखुदा ने जो नूर की बूँद दी है
मोहब्बत के नाम पर ...
उसे अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है ;
जिसमे एक हथेली तेरी हो
और एक हथेली मेरी हो .....
अब क्या कहूँ आप की लायने ही मेरी भी बात कह देती है ,,,,
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
VIJAY JEE,AAPKEE KAVITA KEE EK-EK
ReplyDeletePANKTI DIL MEIN UTAR GAYEE HAI.
BAHUT BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA.
recd by email from aadarniya pran sharma ji .....
ReplyDeleteVIJAY JEE,
BAHUT DINON KE BAAD AAPKEE DIL MEIN UTAR JAANE WAALEE KAVITA PADHEE HAI.AAPKEE KAVITA PADHKAR MUJHE APNEE GAZAL KE CHAND SHER YAAD AA GAYE HAIN--
PYAR KARNA SIKHAA DIYA TOONE
ROG KAESA LAGAA DIYA TOONE
EK YE BHEE HAI TEREE DAANAAEE
MUJHKO PAGAL BANAA DIYA TOONE
KHWAAB DEKHA TO YE HUA MAHSOOS
MUJHKO AAKAR JAGAA DIYA TOONE
UF, YE TERE SHABAAB KEE GARMEE
MERA TAN-MAN JALAA DIYAA TOONE
AAP ISEE TARAH LIKHTE RAHEN,KUCHH APNEE,KUCHH JAG KEE AUR KUCHH PYAAR BHAREE BAATEN.
SHUBH KAMNAAON KE SAATH,
PRAN SHARMA
खुदा ने जो नूर की बूँद दी है
ReplyDeleteमोहब्बत के नाम पर ...
उसे अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है ;
bahut sunder lines...........
jaise papihey ki barst ke liye pyas .......
उसे अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है ;
ReplyDeleteजिसमे एक हथेली तेरी हो
और एक हथेली मेरी हो .....
खूबसूरत खयाल
काश ....
एक अरसे के बाद आये ...
ReplyDeleteलेकिन मुहब्बत का ऐसा नायाब तोहफा ले कर आये
खुशामदीद
एक एक लफ्ज़ में मुहब्बत की धड़कन सुनाई दे रही है
आपके मन की बात,,जाने कितने दिलों की
बात हो गयी है .....
ज़िन्दगी और मुहोब्बत
मुहोब्बत और ज़िन्दगी
दोनों को एक कर दिखाया आपने ...
बधाई
Accha hai...shukriya
ReplyDeleteबहुत सुन्दर........
ReplyDeleteअंत गजब का है 1 बहुत दिनों के बाद आपकी नई कविता पढने को मिली
bahot khoob. agli rachna ka intejar hai.
ReplyDeleteFantastic. Really very romantic. Fresh imagery.
ReplyDeleteBhuvendra Tyagi
Navbharat Times,
Mumbai
recd. by email from Ms.Shipla.....
ReplyDeleteBhai Shri Vijayji,
Namaste,
Apki kavita aur aapka parichay pakar khushi hui. Aache vichar achi
rachna main dhalkar aaye hain.Badhai.
Vaise aapko mera parichay kahan se prapt hua suchit kare, taki main
unhe apse milwane ke liye dhanyawad de sakun.
Subhakamnaon Sahit,
Bhavdiya,
Shilpa
recd. by email from Mr.Gangaprasad.....
ReplyDeleteDear sir,
these are nice poets.
Ganga
खुदा के दिये मोतियों को अंत तक बॉंधने की आपकी काव्यात्मक अभिव्यक्ति बहुत सशक्त है और हिन्दी काव्य में संग्रहणीय है।
ReplyDeleteबधाई।
मेरे जिस्म में तेरे अहसास .....
ReplyDeleteपूरी कविता चलचित्र की भांति समा गई आंखों में...मोहब्बत के खूबसूरत एहसास जो सिर्फ़ मोहब्बत करने वालों के लिए खुदा की नेमत हैं.विजय कुमार जी बहुत-बहुत बधाई इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए!!!
bahut khoob Vijay Bhai,bahut khoob.
ReplyDeleteबहुत गहराई वाली कविता है विजय जी!
ReplyDeleteपढ़ कर आनन्द आ गया ।
बहुत बेहतरीन प्रस्तुती.मन के भाव कितनी सहजता के साथ सामने आये है खुबसुरत एहसास मोहब्बत का सुन्दर रचना
ReplyDeleteआभार ।
बहुत खूबसूरत ढंग से मोहब्बत के एहसास को कलमबद्ध किया ही बधाई...!!
ReplyDeleterecd by email from Mr. Md.Aftab Alaam ....
ReplyDeleteआदरणीय श्री विजय जी, नमस्कार
आपकी कविताओं का रसास्वाद लिया। बहुत अच्छी रचना है। इसमें गहराई है और अनोखापन है। ऐसी कविताओं को बार-बार पढ़ने का मन करता है। वरना आजकल तो लोग ऐसी कविताएं करते हैं कि वह किसी भी कोण से कविता कहलाने लायक नहीं रह जाती।
बादलों से भरे आसमान से खुदा ने झांका और
हमें कुछ मोती दिए मोहब्बत की सौगात में......
वाह क्या कहने............एक नया कान्सेप्ट है। बहुत अच्छा लगा।
आप ऐसी ही ढेर सारी रचनाओं से हम पाठकों को मालामाल करें, यही मेरी दुआ है।
आफताब आलम
संपादक, पत्रकारिता कोश/मीडिया डायरेक्टरी
मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
Mobile : 09224169416
Email: aftaby2k@hotmail.com
www.hindustanimedia.com
recd. by email from Ms.Veena Chopara ...
ReplyDeleteDIL KO CHHU GAYI HAI AAPKI KAVITA! Bahut hi pyare ahsaas hain!
Veena
recd by email from Ms. Abhilasha ......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..बधाई. सप्तरंगी प्रेम के लिए आपकी प्रेम आधारित रचनाएँ आमंत्रित हैं.
सादर,
अभिलाषा
www.saptrangiprem.blogspot.com
recd. by email from Ms. Vidya ...
ReplyDelete............
very nice poem
all the best
recd. by email from Shri kavi sunil jogi ji ...
ReplyDeletebadhayi.
sunil jogi
bahut hi khubsurat rachna
ReplyDeletemohbbat ke ehsaas ka achha varnan kiya hai
वाह क्या कल्पना है ... एक हाथ तेरा हो एक मेरा हो ... एक ही ओक से पीना है मुहब्बत के नूर को ....
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब और खूबसूरत नज़्म ... प्यार का नूर बिखेरते ...
बहुत ही खूबसूरत रचना !
ReplyDeleteन जाने कितने अहसासों को महसूस करा देती .
आप को अनेकों शुभकामनायें !
बहुत सुन्दर रचना है बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही ख़ूबसूरत भाव लिए हुआ है यह रचना....मुहब्बत के अहसास से लबरेज़ बहुत खूब..
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteBhai Sahab,
ReplyDeleteMaza aa gaya!
खूबसूरत अहसासों को शब्दों और चित्रों से सजा दिए आपने ! प्रेम के सांझेपन की अनूठी रचना ! आभार ! मेरी कविता मेरा ब्लॉग पसंद करने के लिए पुनह आभार !
ReplyDeletenice
ReplyDeleteapki kavita achchi lagi.badhai.
ReplyDeleteबहुत दिनों के बाद आये हैं आप, लेकिन इतनी सुन्दर कविता के साथ कि उसने इस अन्तराल की भरपायी कर दी. बधाई.
ReplyDeleteantas ki gahraiyo se nikli aur sundar shabdo me dhali ek acchhi rachna.badhai
ReplyDeleteखुदा ने जो नूर की बूँद दी है
ReplyDeleteमोहब्बत के नाम पर ...
उसे अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है ;
बहुत ख़ूबसूरत रचना!
विजय जी,
ReplyDeleteआपकी कविता के बारे में आैर जो तस्वीर आपने चस्पा की है उसे देखकर जो शेर याद आया उसे ही टिप्पणी के रूप में स्वीकार करें -
"डूबते सूरज को तस्वीरों में कैद कर चुका हूं मैं
देखना भर है इतना कि शाम कैसे ढल पाती है"
खुदा ने जो नूर की बूँद दी है
ReplyDeleteमोहब्बत के नाम पर ...
उसे अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है
kya gazab ke alfaz hai ,itne dino ki kami is khoobsurat nazarane ne poori kar di ,sundar aur adbhut ahsaas .
आओ इस अहसास को जी लें
ReplyDeleteजिसे मोहब्बत कहते हैं ।
यही जज्बा़ हो तो ये दुनिया कितनी खूबसूरत हो ।
बहुत दिनों बाद आई आपके ब्लॉग पर पर आना सार्थक हो गया ।
bahut khoobsurat rachna
ReplyDeletevilakshan .......hai
aurangabad se madhu
ReplyDeletevijay ji bahot hi sundar rachana hai.
zaabardast...
ReplyDeletekamaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaal...........
NICCCCCCCCCE............
gooooooooooooooood.....
पहली बार यहाँ आना हुआ और ...अब क्या कहूँ ! जो नूर की बूँद मिली वो अद्भुत !!!अभी कुछ और लिखने के लिए शब्द चुक गए हैं ...बस उन पाक़ फिज़ाओं मे गुम हूँ ।
ReplyDeletebahut dino bad shairy padhi, achcha laga. very nice.
ReplyDeleteमोहब्बत का बहुत ही ख़ूबसूरत ...निर्मल एवं कोमल एहसास
ReplyDeleteबहुत अच्छे विजय जी |
ReplyDelete89 logon ki ray aa chuki ha meri jarurat to nahi par mujhe rachna bahut pasnd aayi isliye khud ko rok nahi payi...bahut2 badhai sundar bhavon ki abhivayakti ke liye...
ReplyDeleteएक हथेली तेरी और एक मेरी हो
ReplyDeleteक्या बात कही
बहुत अच्छे अहसास एक बार फिर
सुखद प्यार की कल्पना भावपूर्ण एहसास।
ReplyDeleteविजय, विजय को मिल सके चाह सुमन की खास।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
recd. by email from Mr. Sumeet Bhingare ...
ReplyDeletedear sir.
that is a good poem
thank you sir
hello Sirji.........
ReplyDeleteखुदा ने जो नूर की बूँद दी है
मोहब्बत के नाम पर ...........
bahut hi lajawab vichar hai..............
..........Shubhkamnaye
from _- AMAN KUMAR CHOLKAR
( Bhopal )
आपकी कविता बहुत सुन्दर एहसासों से भरी हुई है।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना ........
ReplyDeleteSIRF EK SHABDH.....
ReplyDeleteKHOOBSOORAT
bahut khoobsurat ehsaas hain
ReplyDeleteaur utna hi achcha baya karne ka andaj
hame ummed hai aur bhi sunder kavitayen padhne ko milengi
dhanyawad
Real feelings of Love in words.....
ReplyDeleteमोहब्बत में डूबी और एहसासों से भरी हुई बहुत प्यारी रचना है ये.
ReplyDeleteएक लम्बे अर्से बाद आ सका लेकिन बहुत प्यारी रचना पढ़ कर जा रहा हूँ .
wah! kya baat hai ! bahut khoob, behtreen, behad umda! Khuda kare janab ki sukhnwari aane wale waqton me bhi yun hi wah-wahi luutatii rahe.
ReplyDeleteवाह! आनंद आगया पढ़कर.
ReplyDeleteकुछ तुमें अपने भीतर समा लिया
कुछ मेरी पलकों के किनारों पर;
आंसू बनकर टिक कए...
खुदा ने जो नूर की बूंद दी है
मोहब्बत के नाम पर ..
उसे अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है
जिसमें एक हथेली तेरी हो
और एक हथेली मेरी हो .....
बहुत सुन्दर भाव हैं. मन को छू गई!
बधाई स्वीकारें.
महावीर शर्मा
recd. by email.. from Ms. Jayashree..
ReplyDeleteVery nice poem