उस दिन जब मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ा ,
तो तुमने कहा..... नही..
और चंद आंसू जो तुम्हारी आँखों से गिरे..
उन्होंने भी कुछ नही कहा... न तो नही ... न तो हाँ ..
अगर आंसुओं कि जुबान होती तो ..
सच झूठ का पता चल जाता ..
जिंदगी बड़ी है .. या प्यार ..
इसका फैसला हो जाता...
वाह... बहुत सुन्दर...काश आंसू कह सकते...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteभाव पूर्ण रचना
ReplyDeleteअगर आंसुओं कि जुबान होती तो ..
ReplyDeleteसच झूठ का पता चल जाता ..
जिंदगी बड़ी है .. या प्यार ..
इसका फैसला हो जाता...
आपकी इस कविता के जवाब मे कुछ भाव उभर आये हैं वो लिख रही हूँ …………
उफ़ …………कब तक पढोगे
बेजुबानों की भाषा
पता है कुछ लिपियाँ ऐसी हो्ती हैं
जिन्हें पढने के लिये
खुद को मूक बनाना पडता है
और पीडा की इम्तिहाँ से
गुजरना पडता है
क्या दे सकोगे इम्तिहान
खामोश मोहब्बत का
जानते हो
इन इम्तिहानों के रिज़ल्ट नही निकला करते
और तुम जानना चाहते हो आंसुओं की भाषा
जो ना देवनागरी है ना ब्रेल ……………
आह!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!!
आंसुओं की भाषा कोई समझ पाता तो ये बहते क्यूँ????
अनु
bhaut khub...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ,,
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना...
आखों के आँसू शब्द लिये आते हैं..
ReplyDeleteChhot-si lekin badee hee sundar rachana!
ReplyDeleteबहुत अच्छी भावाव्यक्ति , बधाई
ReplyDeleteवाह... बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteवाह ..निशब्द करते भाव
ReplyDeletewaah bahut sundar bhav .......
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