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सरहद
सरहदे जब भी बनी ,
देश बेगाने हो गये
और इंसान पराये हो गये !!!
हमने भी एक सरहद बनायी है ;
एक ही जमीन को
कुछ अनचाहे हिस्सों में बांटा है ;
उस तरफ कुछ मेरी तरह ही ;
दिखने वाले लोग रहते है ;
इस तरफ के बन्दे भी कुछ ;
मेरी तरह की बोली बोलते है ;
फिर ये सरहदें क्यों और कैसी ..
जब से हम अलग हुए ,
तब से मैं ...इंसान की तलाश में ;
हर जगह अपने आप को ढूँढता हूँ
कभी इस तरफ के बन्दे जोश दिखाते है
कभी उस तरफ से नफरत की आग आती है
कभी हम मस्जिद तोड़ते है
कभी वो मन्दिर जलाते है ...
देश क्या अलग हुए .
धर्म अंधा हो गया
और खुदा और ईश्वर को अलग कर दिया
सुना है कि ;
जब सियासतदार पास नहीं होते है
तो ;
दोनो तरफ के जवान पास बैठकर
अपने बीबी -बच्चो की बातें करते है
और साथ में खाना खातें है
मैं सोचता हूँ
अगर सियासतदारों ने ऐसे फैसलें न किये होतें
तो आज हम ईद -दिवाली साथ मनाते होतें !!!!
कुछ सियासती लोगो की वजह से ही
ReplyDeleteयह हाल है..वरना..सच्चे देशभक्त भी है यहाँ...
बदलेगा सब इसी आशा और विश्वास के साथ
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये..
:-)
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteसच बयान करती बहुत खूबसूरत रचना………………स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteअगर सरहदे अलग ना हुई होती तो सम्पूर्ण विश्व के आगे हम लोगो की ताकत ही कुछ अलग सी होती ....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत और गहन भाव लिए रचना...
ReplyDeleteस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
सादर
अनु
sarahadon ke bahaane siyaasat par tippni sach bhitar ko chootii huii
ReplyDeletepar prashn yah bhii ki is tarah kii siyaasat se bache kaise aam aadmii
saneh
jai hind jai bhaarat jai vishva
प्रियवर
ReplyDeleteकविता अद्भुत
पर प्रश्न यह करती हुई भी कि-
ये सरहदें बनना आखिर बंद कब और कैसे होगा,
क्योंकि राजनीति तो हमेशा ऐसे ही करती आई है?
कविता से यह प्रश्न उठवाने लिए ढेर सारी बधाइयां
सनेह
आपका ही
व प्र जैन
घरती पर धार दिखा भी लो,
ReplyDeleteपर हृदय कहाँ से बाँटोगे।
सच्चाई की तस्वीर दिखलाती कविता. इस सच्चाई को सब जानते हें फिर भी दुश्मनी मानते हें.
ReplyDelete--
bahut sundar sarthak post badhai
ReplyDeletesach ka swaroop sundar bhav ......:)
बहुत सुन्दर सार्थक रचना अपनी बात को बखूबी कहने में सफल |
ReplyDeletebahut khubsurat bhaw... bhai sahab:)
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