बड़ी देर हो गई है ,
कागज़ हाथ में लिए हुए !
सोच रहा हूँ ,
कि कोई नज़्म लिखूं !
पर शब्द कहीं खो गए है ,
जज्बात कहीं उलझ गए है ,
हाथों की उंगलियाँ हार सी गई है ;
क्या लिखु .... कैसे लिखु ...
सोचता हूँ ,
या तो ;
सिर्फ “खुदा” लिख दूं !
या फिर ;
सिर्फ “मोहब्बत” लिख दूं !
या फिर ;
तुम्हारा नाम ही लिख दूं !
इन तीनो से बेहतर भला
कोई और नज़्म क्या होंगी...!!!
© विजयकुमार