बड़ी देर हो गई है ,
कागज़ हाथ में लिए हुए !
सोच रहा हूँ ,
कि कोई नज़्म लिखूं !
पर शब्द कहीं खो गए है ,
जज्बात कहीं उलझ गए है ,
हाथों की उंगलियाँ हार सी गई है ;
क्या लिखु .... कैसे लिखु ...
सोचता हूँ ,
या तो ;
सिर्फ “खुदा” लिख दूं !
या फिर ;
सिर्फ “मोहब्बत” लिख दूं !
या फिर ;
तुम्हारा नाम ही लिख दूं !
इन तीनो से बेहतर भला
कोई और नज़्म क्या होंगी...!!!
© विजयकुमार
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन सेर और सवा सेर - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteइन तीनो से बेहतर भला
ReplyDeleteकोई और नज़्म क्या होंगी...!!!
बहुत सुंदर।
सुन्दर रचना कुछ भी लिखो सब सब में समाये हुए हैं
ReplyDeleteखुदा की इबादत में जो लिखो वही नज़्म है .
ReplyDeleteवाह !!
ReplyDeleteमंगलकामनाएं आपको !
सुन्दर कविता। मनीषा जैन
ReplyDeleteइन तीनो से बेहतर भला
ReplyDeleteकोई और नज़्म क्या होंगी...!!!
वाह बहुत खूबसूरत
सिर्फ “मोहब्बत” लिख दूं !
ReplyDeleteया फिर ;
तुम्हारा नाम ही लिख दूं !
बहुत सुन्दर और प्यारे भाव ...
विजय जी आज ब्लाग पर गई तो आपकी टिप्पणी पढ़ी ,बहुत खुशी हुई ,सही कहा कई साल बाद यहां आना हुआ ,बच्चो की जिम्मेदारियो मे व्यस्त रही ,जल्दी ही फोन करती हूं समय मिलते ही ,आपकी सभी रचनाये पढ़ी बहुत अच्छी है
ReplyDeleteBari hi sundar kavita hai. Bahut hi pyara nazm aapne dhund nikala hai.
ReplyDeleteइन तीनो से बेहतर भला
ReplyDeleteकोई और नज़्म क्या होंगी...!!!
................................वाह बहुत खूबसूरत
Very great post. I simply stumbled upon your blog and wanted to say that I have really enjoyed browsing your weblog posts. After all I’ll be subscribing on your feed and I am hoping you write again very soon!
ReplyDelete