कुछ दिन पहले मेरा कुछ सामान
मैंने तुम्हारे पास रख छोडा था !
वो पहली नज़र ..
जिससे तुम्हे मैंने देखा था ;
मैं अब तक तुम्हे देख रहा हूँ..
वो पहली बार तुम्हे छूना..
तुम्हारे नर्म लबो के अहसास आज भी
अक्सर मुझे रातों को जगा देते है ..
वो सारी रात चाँद तारो को देखना ..
वो सारी सारी रात बाते करना ....
मैं अब भी तुम्हे चाँद में ढूंढता हूँ
वो तुम्हारे काँधे के पार मेरा देखना...
वो तुम्हारा खुलकर मुस्कराना
तुम्हारी मुस्कान अब तक मेरा सहारा बनी हुई है
वो साथ साथ दुनिया को देखना ..
वो अनजानी गलियों में भटकना ...
तेरे साथ का साया अब तक मेरे साथ है
वो तुम्हारी आँखों की गहरयियो में झांकना ..
वो तुम्हारी गुनगुनाहट को सुनना ...
वो तुम्हे जानना ,तुम्हे पहचानना
वो तुम्हारे कदमो की आहट ..
वो मेरे हाथो का स्पर्श ....
वो हमारा मिलना और जुदा होना
वो मेरा बोलना , वो तुम्हारा सुनना ..
वो मौन में उतरती बाते
वो चुपचाप गहराती राते
वो कविता ....वो गीत ..
वो शब्द ,वो ख़त ,
तुम्हारे लिखे ख़त अब , मेरी साँसे बनी हुई है
वो ढलती हुई शाम ..
वो उगता हुआ सूरज
वो ज़िन्दगी का चुपचाप गुजरना
वो तुम्हारा आना ..
वो तुम्हारा जाना ...
वो ये ;
वो वो .............
जाने क्या क्या ....
इन सब के साथ ,
मेरे कुछ आंसू भी है जांना तुम्हारे पास......
तुम्हे कसम है हमारी मोहब्बत की
मेरा सामान कभी वापस न करना मुझे !!!
© विजय
umda
ReplyDeleteबढ़िया एहसास |
ReplyDelete"मेरा सामान कभी वापस न करना मुझे"
ReplyDeleteस्मृतियों का उधार, सुन्दर परिकल्पना।
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