Saturday, May 20, 2017

जीवन


हमें लिखना होंगा जीवन की असफलताओं के बारे में
ताकि फिर उड़ सके हम इतिहास के नभ में
हमें फूंकना होंगा टूटे हुए सपनो में नयी उर्जा 
ताकि मृत जीवन की अभिव्यक्ति को दे सके
कुछ और नयी साँसे !
© विजय

No comments:

Post a Comment

एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता

घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...