Saturday, December 5, 2009
मटमैला पानी – PART -I
दोस्तों ; ये कविता मैं दुनिया के सारे शराबियों को नज़र करता हूँ ..!!! " मटमैला पानी " शराब के जाम के लिए "कोड वर्ड" है . .. [वैसे शराब पीना बुरी बात है जी ]
मैं अपने सारे ब्लॉगर दोस्तों से ये अपील ,गुजारिश, निवेदन करूँगा की वो भी इस कविता में डुबकी लगाये और एक एक अंतरा जरुर लिखे ...कमेन्ट में....!!! मैं ये सारे अंतरे जोड़कर करीब एक महीने के बाद इस कविता का PART-II पेश करूँगा , जिसमे आप सभी के अंतरे शामिल करूँगा . मेरी ये गुजारिश मेरे गुरु श्री नीरज जी , मुफ्लिश जी , मनु जी , सुशील जी तथा अन्य सारे दोस्तों से है ..... , आईये , इस महफ़िल में अपने नाम का एक जाम जोडीये जरुर....अंतरे के रूप में .... ये एक नयी कोशिश है, मुझे लगता है की हम सब मिल कर एक नयी कविता के फॉर्म का जन्म देंगे ..
मटमैला पानी
सुन लो मेरी ये बात दिल लगा कर जानी
यारो में यार होता है मटमैला पानी !
नहीं किसी से भी इसकी दुश्मनी यारो
बस दोस्ती जन्मभर निभाए ये मटमैला पानी !!
सुन लो मेरी ये बात………….
कभी अपनों ने दिल दुखाया
कभी परायो ने दिल दुखाया
किस किस की बात करे ,सबने दिल दुखाया
पर जिसने हमेशा राहत दी , वो है मटमैला पानी
सुन लो मेरी ये बात……………
दुनिया के लाख झमेले है
इस को निपटाए या उसको निपटाए
दिन रात इसी में बीत जाते है
पर जिसने सारे झमेले निपटाए , वो है मटमैला पानी
सुन लो मेरी ये बात…………..
कौन हिन्दू, कौन मुस्लिम ,
कौन सिख और कौन है इसाई
पीकर जिसे बन जाते है सब हिन्दुस्तानी
वो है सबका प्यारा मटमैला पानी
सुन लो मेरी ये बात………………..
इश्क ने सताया , घर ने सताया
दुनिया ने सताया , दोस्त ने सताया ,
दुश्मन ने भी सताया ...जिसको जानी
वो बस भूल जाये सबकुछ पीकर मटमैला पानी
सुन लो मेरी ये बात……………..
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har insaan ki apni jubaan
ReplyDeleteapna dukh apna dard hota hai
dusmani me maut bhi aaye to
paresaani nahi yaaro
pyaar me dokha dene wala
bahut bedard hota hai
saare jakhmo ki dawa ek
aur ek hi kahaani hai
har marj ki dawa ye matmaila paani hai.....................
neeraj pal
www.neerajkavi.blogspot.com
मीठा हो या कसैला,
ReplyDeleteचाहे हो खारा पानी।
सुन लो ये बात मेरी,
पानी ही जिन्दगानी!
जो नहीं पीते वो क्या कहें ? आप भी छोड दीजिये ये मटमैला पानी मन को भी मट मैला कर देता है । शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत पढ़ी-सुनी हैं इसकी कहानी,
ReplyDeleteकहते हैं जिसको मटमैला पानी,
पर हमने तो सिर्फ अपने रब की मानी,
मुबारक हो आप ही को ये मटमैला पानी.
इस पानी को जिसने मुह लगाया है,
ReplyDeleteछिन गया उससे, जो भी उसने पाया है,
सारा मयखाना पीकर भी कहोगे की मजा नहीं आया है,
आज तुम पीते हो, कल पिएगा तुमको ये मटमैला पानी...
सुन लो मेरी ये बात...
मीत
हम पीते रहे और जीते रहे
ReplyDeleteयुंही झंझावातों से लड़ते रहे
बात दुश्मनी,मुहबबत की नही
युं तन्हाईयों के साथ पीते रहे
जिसने नही पिया वो क्या जानेगा जानी
खुदा की एक नेमत है ये मटमैला पानी
मुबारक हो विजय भाई मटमैला पानी
पर बाबा जी तो कहते हैं
ReplyDeleteदारू पीना अच्छी बात नहीं है !
vijay ji
ReplyDeletehum to kabhi bhi iske kadradan rahe nhi isliye iske baare mein to kuch nhi kahenge balki aapko bhi salaah yahi denge ki ------
chhod do janaab
yeh hai bahut kharab
jeevan karti hai barbaad
har dil main jalti ek agni,
ReplyDeletekam padh jata aankhon ka paani!!
pyase mor si, mundti aankhen,
chal se sahi,bhiga jata matmaila paanee!!
bahut kamaal likha hai sir ji ....BADHAYEE!
....EHSAAS!
ये दुनिया है दोस्त आनी और जानी
ReplyDeleteसदा एक सी कहा है इसकी रवानी
फिर भी चाहते जो जिन्दगी बनानी
तो मेरी सलाह मानो दोस्त एक बार
हलक के नीचे खिसकाओ मटमैला पानी
ये दुनिया है दोस्त आनी और जानी
ReplyDeleteफिर भी चाहते जो जिन्दगी बनानी
तो मेरी सलाह मानो दोस्त एक बार
हलक के नीचे खिसकाओ मटमैला पानी
अकसर इसे कहते बुरा है सब अभिमानी
जिसने पी नहीं उसने कदर नहीं जानी
बिना पिए क्यों खुद को बताते है ज्ञानी
एक बार पिके तो देखो ये मटमैला पानी
जिसने भी जीवन मे मज़ा लेने की ठानी
उसने जाम को उलटा किया मजा हो गया जानी
इसे चख भर लो दासी भी लगे रानी
साम्यवाद का घोर प्रचारक ये मटमैला पानी
मीठा हो या कसैला,
ReplyDeleteचाहे हो खारा पानी।
सुन लो ये बात मेरी,
पानी ही जिन्दगानी!
बहुत सुंदर कविता.
इस मटमेले ओर भी कई रंगो मै अलग अलग नामो के पानी को मैने खुब पिया, लेकिन कुछ हांसिल नही हुया, ओर जब से हमारी शादी हुयी ्तब से इसे हम ने केद कर के आलमारी मै रख दिया, कोई इसे चाहने वाला आये तो पेश करते है, जो खुशी परिवार के संग मिले वो इस मै नही, यह तो परिवार से दुर ले जाता है
लगता है हमें भी ये मटमैला पानी पीना पडेगा जब ही इस संदर्भ में कह पाऐगे जी? वैसे पढकर हमें भी कुछ कुछ हो गया है जी। और हाँ अंतरा तो सोचना पडेगा क्योंकि इतने बडे लिखखड नही कि तुरंत ही कुछ लिख दे। वैसे रचना शानदार बन गई है। कौन सी पक्तियाँ छाँटू सभी जानदार बनी हुई है। वैसे मीत जी ने भी सही लिखा है। देरी के लिए माफी जी।
ReplyDeleteहैं मन की ये बातें,तो मन ही ने जानीं
ReplyDeleteहै कितनी हक़ीक़त, है कितनी कहानी
उलझ-सा रहा है पुराना ये क़िस्सा
रही दब के जैसे कसक इक पुरानी
हैं बातें तुम्हारी, सभी ये नुरानी
महकती हो जैसे कोई रातरानी
पिला दो मुझे भी कोई जाम-ए-उल्फत
समझ में तो आये ज़रा ज़िन्दगानी
हर इक सांस में है उसी की निशानी
है मुझ पर ख़ुदा की बड़ी मेहरबानी
बस इक घूँट 'उसकी' नज़र से मैं पी लूं
नशे में भी जिसके उसीकी हो बानी
बस ऐसे ही कुछ जाम मुझ को पिला दो
मैं पीता रहूँ ऐसा "मटमैला पानी"
.........
ReplyDeletehuzoor !!
vaise ...Dr Roop Chandji, NirmalaKapilaji, Mr ComicWorld, Sh Meetji,Sh Kaajal ji, Vandanaa ji, Sh.RajBhatiaji...
in sb ki nek raae par zroor dhyaan dijiye....
a u r .....
Sh. Lalit Sharmaji, Ehsaas ji, Sh.Hari Sharmaji,Sh.Susheelji ki
baat bhi sun leni chaahiye jeeeee
khair,,,jo bhi ho...
kabhi-kabhaar ek halki-fulki rachnaa bhi dilo-dimaag ko tazaa kar jaati hai .
b a d h a a e e e e . . .
बहुत सही है जी। पानी उत्तरोत्तर मटमैला ही होना है। लिहाजा उसका आदर ही होना चाहिये।
ReplyDeleteलगा था ये पहली नजर में तो हमको
ReplyDeleteन अब कह सकेंगे कोई भी कहानी...
पढ़ा जो बयां हमने 'मुफलिस' का यारो
लगा
जैसे लौटी कलम पे जवानी.....
:)
पी लिया करते हैं कभी जीने की तमन्ना मे।
ReplyDeleteडगमगाना भी जरुरी है संभलने के लिए॥
दोस्तों , जीवन की मदिरा से बढ़कर कोई नशा नहीं है , इसलिए दो और छंद पेश कर रहा हूँ ...
ReplyDeleteमेरा मटमैला पानी सिर्फ मदिरा नहीं है दोस्त मेरे
ये तो जीवन का अमृत है जिसके नशे में मैं हूँ जानी
आ जा तू भी दो घूँट लगा ले इस मदिरा के
जो है ईश्वर का दिया हुआ मटमैला पानी ..
जीवन की धाराओ में बह रहा हूँ मैं जानी..
प्यास मेरी बुझती नहीं है पीकर जीवन का पानी
प्रभु के इस मयखाने के द्वार कभी बंध नहीं होते
जब तक जीवन ख़तम नहीं होता जानी
बस पीते रह जीवन ,ज्ञान का मटमैला पानी
arre....
ReplyDeletelagtaa hai
aapko to
charh gayi hai jeeeee...
cheers !!
अभी तो बस हलक में उतरा है ये मटमैला पानी । जल्दी ही नज़राना पेश करुँगी जरा सुरूर उतर तो जाने दीजिये
ReplyDeleteआ गयी हूँ मैं अपनी मटमैले पानी कि कहानी ले के
ReplyDeleteसुख में सुर्ख़ सुनहरा नीला
दुःख में ज़र्द दुधिया पीला
कितने रंग बदलता
आया ये मटमैला पानी
जब भी मेरे पास ये आता
मेरा लहू उबलता पाता
आँखों में ही भाव छुपता
ग़म सीने में दफन कराता
फिर भी ये मटमैला पानी ???
जिसे पीने से दुनिया रंगीन नज़र आये वो पानी मटमैला कैसे हो सकता है....???:)) अच्छी रचना...अभी इस कड़ी पर मैं कुछ जोड़ नहीं पाउँगा फिर कभी कोशिश जरूर करूँगा...
ReplyDeleteनीरज