Saturday, February 20, 2010

मेन इन यूनिफ़ॉर्म // MEN IN UNIFORM

दोस्तों , बहुत दिनों से कुछ लिखना चाहता था ,आर्मी पर !!!. आज मन आया तो लिख रहा हूं , ORGINALLY तो मैं कविताये ही लिखता हूं ,लेकिन इस बार एक छोटी सी कहानी लिखने का प्रयास किया है ... उम्मीद करता हूँ की  आप लोगो को पसंद आएँगी ...

दोस्तों , मैं फौजी ही बनना चाहता था , पर कहते है न , बहुत कम इंसान वो होते है , जो वही बन जाते है , जो वो बनना चाहते है ... मैं फौजी तो नहीं बना , लेकिन हर फौजी में मैं अपना COUNTER XEROX देखता हूं ... और मैं अपने देश के सारे फौजियों से बहुत प्यार करता हूं ... विविध भारती पर फौजी भाईयो के लिए जयमाला प्रोग्राम सुनने से लेकर कारगिल war के वक़्त ,अपने ऑफिस में सबकी एक महीने की SALARY COLLECT करने से लेकर, फौजियों की मौत पर चुपचाप रोने से लेकर , सुबह मेरे AREA में [ SAINIKPURI IN HYDERABAD ] फौजियों के साथ कदम मिला कर कवायद करने तक और उन्हें हंसकर सर की जुम्बिश से उन्हें सलाम करना , और मेरे बच्चो को सिखाना की सारे फौजियों को सलाम किया करो , उन्हें प्यार करो  और उनका आदर करो .....लिस्ट लम्बी है ,लेकिन मेरा प्यार मेरे देश के फौजियों के लिए अनंत .... मैं इस पोस्ट के जरिये , अपने देश के फौजियों को सलाम करता हूं ....जिनके लिए फौज में काम करना सिर्फ एक "JOB" नहीं है .....

मेरी ये पोस्ट मेरे दोस्त श्री गौतम राजरिशी और तमाम फौजी भाइयो को समर्पित है ....
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PART ONE
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धाँय ....धाँय ....धाँय .....

तीन गोलियां मुझे लगी ,ठीक पेट के ऊपर और मैं एक झटके से गिरा....गोली के IMPACT और जमीन की ऊंची -नीची जगह के घेरो ने मुझे तेजी से वहां पहुचाया , जिसे NO MAN'S LAND कहते है ... मैं दर्द के मारे कराह उठा.. पेट पर हाथ रखा तो देखा भल  भल  करके खून आ रहा था .. अपना ही खून देखना ... मेरी आँखे मुंदने लगी ... कोई चिल्लाया , मेजर , WE ARE TAKING YOU TO HOSPITAL.....देखा तो मेरा दोस्त था ...मेरे पास आकर बोला " चल साले , यहाँ क्यों मर रहा है , हॉस्पिटल में मर "... मैंने हंसने की कोशिश की ,उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे मेरे चहरे पर....

मेरी आँखे बंद हो गयी तो कई IMAGES मेरे जेहन में आने लगे , मैं मुस्करा उठा, कही पढ़ा था की मरने के ठीक १५ मिनट पहले सारी ज़िन्दगी याद आ जाती है ... मैंने AMBULANCE की खिड़की से बाहर  देखा , NO MAN'S LAND पीछे छूट रहा था .. ...ये भी अजीब जगह है यार , मैंने मन ही मन कहा ... दुनिया में सारी लड़ाई , सिर्फ और सिर्फ LAND के लिए है और यहाँ देखो तो कहते है NO MAN'S LAND......

कोई और IMAGE सामने आ रही थी , देखा तो , माँ की थी , एक हाथ में मेरा चेहरा थामकर दुसरे हाथ से मुझे खिला रही थी और बार बार कह रही थी की मेरा राजा बेटा सिपाही बनेंगा ....मुझे जोरो से दर्द होने लगा .......NEXT IMAGE मेरे स्कूल की थी , जहाँ १५ अगस्त को मैं गा रहा था , नन्हा मुन्हा राही हूँ , देश का सिपाही हूँ .......स्कूल का HEADMASTER ने मेरे सर पर हाथ फेरा ...मैंने माँ को देखा वो अपने आंसू पोंछ रही थी .....मेरे पिताजी भी फौज में थे .....ज़िन्दगी का विडियो बहुत ज्यादा FAST FORWARD हुआ अगली IMAGE में सिर्फ WAR MOVIES थी जिन्होंने मेरे खून में और ज्यादा जलजला पैदा किया ....

NEXT IMAGE में एक लड़की थी जिसके बारे में मैं अक्सर सोचता था...वो मुझे इंजिनियर के रूप में देखना चाहती थी , मैं आर्मी ऑफिसर बनना चाहता था .. एक उलटी सी आई , जिसने बहुत सा खून मेरे जिस्म से निकाला , मेरा दोस्त ने मेरा हाथ थपथपाया .."कुछ नहीं होंगा साले "....अगली IMAGE में उसकी चिट्टियां और कुछ फूल जो सूख गए थे ,किताबो में रखे रखे ..उसे वापस करते हुए मैंने NDA की ओर चल पड़ा ...

NEXT IMAGE में हम सारे दोस्त ENEMY AT THE GATES की कल्पना अपने देश की सरहद पर कर रहे थे ....क्या जज्बा था यारो में , हमारे लिए देश ही पहला GOAL था , देश ही आखरी GOAL था ......और , मैं आपको बताऊँ   , WE ALL WERE WAITING FOR OUR ENEMIES AT THE GATE .........

अगली IMAGE में मेरे माँ के आँखों में आंसू थे गर्व के ; तीन साल के बाद की PASSING PARADE में वो मेरे साथ थी और मैं उसके साथ था  . हमने एक साथ आसमान को देखकर कहा ....हमने आपका सपना साकार किया ........अगली IMAGE एक तार का आना था , जिसमे मेरी माँ के गुजरने की खबर थी .....मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा PILLAR गिर गया था ... मुझे फिर उलटी आई .....मेरा दोस्त के आंसू सूख गए थे , मुझे पकड़कर कहा, "साले तेरे पीछे मैं भी आ रहा हूँ .....तू साले , नरक में अकेले मजे लेंगा..ऐसा मैं होने नहीं दूंगा" ......मैंने मुस्कराने की कोशिश की ...

सबसे प्यारी IMAGE  आई ..मेरी बेटी ख़ुशी की ......उसे मेरी फौज की बाते बहुत अच्छी लगती थी ....मेरी छुट्टियों   का उसे और मुझे बेताबी से इन्तजार रहता था ... मेरी पत्नी की IMAGE जो थी वो हमेशा सूखी आँखों से मुझे विदा करने की थी .......उसे डर लगता था की मैं .....मुझे कुछ हो जायेंगा .... इस बार उसका डर सच हो गया था ... मेरी बेटी की बाते ...कितनी सारी बाते ....मेरी आँखों में पहली बार आंसू आये ... मुझे रोना आया ..मैंने आँखे खोलकर दोस्त से कहा ..यार , ख़ुशी .......,इतनी देर से वो भी चुप बैठा था ,वो भी रोने लगा .......

अब कोई IMAGE नहीं आ रही थी ...एक गाना याद आ रहा था ....कर चले वतन तुम्हारे हवाले साथियो..... मैंने दोस्त से कहा , यार ,ये CIVILIANS  कब हमारी तरह बनेगे .. हम देश को बचाते है ..ये फिर वहीँ ले आते है जिसके लिए हम अपनी जान......एक जोर से हिचकी आई मैंने दोस्त का हाथ जोर से दबाया .....और फिर एक अँधेरा...........

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PART TWO
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दूसरी सुबह कोई बहुत ज्यादा CHANGE नज़र नहीं आया मुझे इस मुल्ख में जिसके लिए मैंने जान दे दी..... ENEMIES WERE STILL AT THE GATE ... NEWSPAPER में कहीं एक छोटी सी खबर थी मेरे बारे में .....POLITICIAN WERE MAKING USELESS STATEMENTS ......किसी क्रिकेट में FIELDING की तारीफ़ की खबर थी .....कोई ये भी तो जाने की एक एक इंच जमीन की FIELDING करते हुए हम जान दे देते है .....कोई मीडिया का राज EXPOSE हुआ था .... कोई सलेब्रटी की मौत हुई थी जिसे मीडिया लगातार COVERAGE में दे रहा था ... कोई रिअलिटी शो में किसी लड़की के AFFAIR की बात थी ... मतलब की सारा देश ठीक ठाक ही थी ......मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैंने जान क्यों दी .......मेरी पत्नी चुप हो गयी थी ..अब उसके आंसू नहीं आ रहे थे ...मेरा दोस्त बार बार रो देता था ....और ख़ुशी.....वो सबसे पूछ रही थी ,पापा को क्या हुआ ,कब उठेंगे , हमें खेलना है न .......................................

15 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति
    बधाई ................

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  2. कहानी बहुत अच्छी लगी.... अब आगे का इंतज़ार है....

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  3. आपकी पोस्ट पढ़ कर मुझे सन २००१ में आई अंग्रेजी फिल्म ' नो मेन्स लैंड' याद आ गयी...यदि नहीं देखी है तो देखें...ऐसी फ़िल्में रोज़ रोज़ नहीं बनतीं...
    कोई फौजी ये नहीं सोचता की उसने अपने वतन के लिए जान क्यूँ दी...कोई फौजी कभी किसी पदक या पुरूस्कार पाने के लिए युद्ध भूमि में दुश्मनों का सफाया नहीं करता...ऐसा सोचना भी गलत है और फौजी भाइयों का अपमान है...
    नीरज

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  4. आदरणीय नीरज जी , नमस्कार
    with all due respect to you , मैं ये कहूँगा की मैं आपके कमेन्ट से सहमत नहीं हूँ , मैंने अपनी पोस्ट में किसी फौजी भाई का अपमान नहीं किया है , मैं ऐसा सोच भी नहीं सकता , मुझे उन पर गर्व है ... मेरी पोस्ट इस बात की ओर इंगित करती है की हमारे देश में फौजी की मौत /शहादत कोई बहुत ज्यादा importance नहीं रखती , देश करीब करीब banana republic हो चूका है . आप किसी भी अखबार में देखिये, सेना के बारे में कितना छपता है और दूसरी बेमतलब की चीजो के बारे में कितना coverage रहता है ,कितने लोगो को cap .saurab kalia के बारे में याद है , कितने लोग ये जानते है की कारगिल war में ४०० से ज्यादा फौजियों ने जान दी थी . सीमा पर और देश के कुछ अशांत हिस्सों में हर दिन , हर हफ्ते कोई न कोई जवान अपनी जान देता है ....देश कितना याद रखता है उन सबको या ज़िक्र करता है उन सबका ... यहाँ तो लोग भगतसिंह की शहादत को भूल गए है ... मेरी पोस्ट में फौजी अपने मरने के बाद देख रहा है की जिस देश के लिए उसने जान दी [ this may be part of his job , but not every job demands your life ] ,उस देश में हालात वैसे के वैसे ही है ... USA में ९/११ के बाद कोई दूसरा कारनामा नहीं हुआ ...और यहाँ हमारे देश में .? जो देश को चलाते है वो; देश की फौज के लिए और उनकी जानो के लिए ऐसे कौनसे कदम उठाते है जो की ऐसे हालात दुबारा उत्पन्न न हो ... there has been a cold war between other countries and us on border and inside the country ...why its not getting stopped ... मेरा फौजी उन हालात से दुखी है ...उसने पदक या नाम के लिए जान नहीं दी ..उसने देश के लिए जान दी .....well, sir , मैं ज्यादा कुछ न कहना चाहूँगा ... बस यही की , मैंने एक हालात के ऊपर पोस्ट लिखी है जो की out of emotional trauma है जिससे ,फौजियों के परिवारजन जूझते है ....

    नमस्कार .

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  5. बहुत सुंदर लिखा आप ने लेकिन हमारी सरकार इन फ़ोजियो के मरने पर इन के शहीद होने पर क्या करती है, इन के परिवार पर क्या गुजरती है इस पर भी जरुर लिखे, बहुत सुंदर लगा यह सब पढना.
    धन्यवाद

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  6. कहानी तो बढिया है ही सोच और भी बढिया है. इस देश मे लोगो और मीडिया का ध्यान चन्द २ कौडी के लोगो पर बहुत ज्यादा रहता है जबकि सबसे बडा सच यही है कि हम यहा मेन्सलेन्ड मे तमाम उत्सव तभी मना पाते है जब हमारे जवान उत्सव के दिन भी नो मेन्स लेन्ड मे चौकसी कर रहे होते है

    डा कुवर बेचैन साहब ने भिन्न सन्दर्भ मे कहा है उससे जुडता हू
    जिनके लिये रातो मे घुटघुटकर रोते है
    वो अपने सफ़िस्ता मे अराम से रहते है

    ॒नेरज जी
    ॒ विजय जी

    आप दोनो की बात मे कोई विरोध नही है बल्कि इसे विजय जी की बात का विस्तार माना जाये. जितना मे जानता हू नीरज जी भी बहुत गम्भीर ब्लोगर है और उनके कथन को सही भावना से ही लिया जाये ऐसा मेरा निवेदन है.

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  7. Pahli baar aapka pdya padha...bahut khoob!

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  8. बहुत गंभीर बात कह दी हंसी हंसी में, एक बहुत अच्छा कटाक्ष .बधाई स्वीकारें

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  9. आपका गद्य-लेखन भी उतना ही जबरदस्त है सर जी जितना कि पद्य। यकीन नहीं आता कि ये पहला प्रयास है आपका इस ओर।

    ...एक सैनिक के मनोभावों को बखूबी चित्रित किया है आपने। शेष यूं, मेरे नाम से पोस्ट समर्प्त कर शर्मिंदा न करें सर जी।

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  10. aap ne kahani mein ek kadwa sach likh diya

    kahani/ natak...... achcha likha hai aapne

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  11. achhaa prayaas hai...
    apne in bhaav-poorn shabdoN ke maadhyam se aapne hamaare desh ke SainikoN ke pratee apne
    smarpan-bhaav, nishthaa, aadar aur apnepan ka izhaar kiya hai .
    Bharat ke har ek veer jawaan ko mera bhi SALUTE .

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  12. एक अच्छा प्रयास कहानी लिखने का। हम तो सोच कर ही रह जाते है। खैर ऐसे और इससे अच्छा लिखते रहिए। और अपने मन के भावों को कहते रहिए। वैसे इन भावों की आजकल कौन बात करता है। सबके सब भुलते जा रहे है। पर आपने की है और हम सबको करनी भी चाहिए। अपने देश के सिपाहियों को मेरा सलाम।

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  13. aap aisa kamal likhte hai ki aankh se aansu aur muhn main shabd kam pad jaate hai, na ro pata hoon na kuch keh pata hoon. isliye iski taarif phone main bhi karne main asmarth hoon. kasam se!! padh ke phir comment karta hoon. abi to khoya hoon. jaane kahan.

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  14. Hi..
    Aaj pahli baar main aapke blog par aaya aur ye kahani padhi.. Har image ke sath mere aankhen sajal ho aayi.
    Maine 1971 se lekar Kargil tak har ladai ko najdeek se mahsoos kiya hai.. Par sach main kabhi kabhi vatan ke shahedon ki shahadat vyarth ho rahi ho eska guman hota hai..

    DEEPAK.

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