दोस्तों , इस बार एक नया प्रयोग किया है ,एक शास्त्रीय संगीत पर आधारित गीत लिखा है ,थोड़ी सी तकलीफ हुई इस नयी बोली को लिखने में , लेकिन मन को अच्छा लग रहा था तो , लिखकर ही दम लिया ..एक दोस्त से मन ही मन में वादा किया था , इस गीत को उसे उपहार के रूप में देने का .. और अब हमेशा की तरह आपकी नज़र इसे कर रहा हूँ . मुझे पूरा विश्वास है की आपको मेरा ये नया प्रयोग जरुर पसंद आयेंगा. एक छोटी सी गुजारिश आप सबसे है ... इसे सुनते हुए आप VISUALISE करे की BACKGROUND में FUSION MUSIC बज रहा है [ INSTRUMENTAL COMBINATION OF TABLA, FLUTE , JAZZ DRUMS, KEYBOARD, SAXOPHONE AND ELECTRIC GUITAR WITH LOWTONE BACKUP VOCALS ] [ और ये भी VISUALISE कीजिये की इसे गाने वाले महान गायक है ..या तो शुभा मुदगल या परवीन सुल्ताना या बॉम्बे जयश्री या किशोरी अमोनकर या वीणा सहस्त्रबुद्धे या जो कोई भी आपके मनपसंद CLASSICAL VOCALIST है ] अब इसे पढ़िये और आनंद लीजिये विरह की अग्नि का बारीश की बूंदों के साथ . अब मैं हमेशा की तरह आप सभी के प्यार और आशीर्वाद का इच्छुक हूँ. धन्यवाद.
लेकिन तुम घर नहीं आये ....मोरे सजनवा !!!
घिर आई फिर से ... कारी कारी बदरिया
लेकिन तुम घर नहीं आये ....मोरे सजनवा !!!
नैनन को मेरे , तुमरी छवि हर पल नज़र आये
नैनन को मेरे , तुमरी छवि हर पल नज़र आये
तेरी याद सताये , मोरा जिया जलाये !!
लेकिन तुम घर नहीं आये ....मोरे सजनवा !!!
सा नि ध पा , मा गा रे सा ........
बावरा मन ये उड़ उड़ जाये जाने कौन देश रे
गीत सावन के ये गाये तोहे लेकर मन में
रिमझिम गिरती फुहारे बस आग लगाये
तेरी याद सताये , मोरा जिया जलाये !!
लेकिन तुम घर नहीं आये ....मोरे सजनवा !!!
सा नि ध पा , मा गा रे सा ........
सांझ ये गहरी , साँसों को मोरी ; रंगाये ,
तेरे दरश को तरसे है ; ये आँगन मोरा
हर कोई सजन ,अपने घर लौट कर आये
तेरी याद सताये , मोरा जिया जलाये !!
लेकिन तुम घर नहीं आये ....मोरे सजनवा !!!
सा नि ध पा , मा गा रे सा ........
बिंदिया, पायल, आँचल, कंगन चूड़ी पहनू सजना
करके सोलह श्रृंगार तोरी राह देखे ये सजनी
तोसे लगन लगा कर , रोग दिल को लगाये
तेरी याद सताये , मोरा जिया जलाये !!
लेकिन तुम घर नहीं आये ....मोरे सजनवा !!!
सा नि ध पा , मा गा रे सा ........
बरस रही है आँखे मोरी ; संग बादलवा..
पिया तू नहीं जाने मुझ बावरी का दुःख रे
पिया तू नहीं जाने मुझ बावरी का दुःख रे
अब के बरस , ये राते ; नित नया जलाये
तेरी याद सताये , मोरा जिया जलाये !!
लेकिन तुम घर नहीं आये ....मोरे सजनवा !!!
सा नि ध पा , मा गा रे सा ........
आँगन खड़ी जाने कब से ; कि तोसे संग जाऊं
चुनरिया मोरी भीग जाये ; आँखों के सावन से
ओह रे पिया , काहे ये जुल्म मुझ पर तू ढाये
चुनरिया मोरी भीग जाये ; आँखों के सावन से
ओह रे पिया , काहे ये जुल्म मुझ पर तू ढाये
तेरी याद सताये , मोरा जिया जलाये !!
लेकिन तुम घर नहीं आये ....मोरे सजनवा !!!
घिर आई फिर से ... कारी कारी बदरिया
लेकिन तुम घर नहीं आये ....मोरे सजनवा !!!