Monday, February 14, 2011

तेरा नाम


हिज्र की रात कल जब मेरे घर आई थी ,
साथ में कुछ ख्वाहिशों की बारात लायी थी ,

नर्म अंधेरे मुझे ओढाकर,
एक तेरे सपनो की चादर ;
जगा रहे थे ...

तेरी यादों के जुगुनू , आसमान में
तेरा चेहरा बना रहे थे ..

उन ठहरे हुए पलों में मैंने तुझे छुआ था !!!

एहसास की खामोशियों में मेरा जिस्म
तेरी रूह से मिलकर थरथराता है !!

फिर मैं तेरा नाम ले लेता हूँ

और अपनी तनहा रूह को
चंद साँसे उधार दे देता हूँ !!

मैं तेरा नाम ले लेता हूँ !!!
 
 

74 comments:

  1. एहसास की खामोशियों में मेरा जिस्म
    तेरी रूह से मिलकर थरथराता है !!

    फिर मैं तेरा नाम ले लेता हूँ

    और अपनी तनहा रूह को
    चंद साँसे उधार दे देता हूँ !!

    मैं तेरा नाम ले लेता हूँ !!!

    वाह! प्रेम दिवस की सुन्दर अभिव्यक्ति…………दर्द और कसक दोनो बखूबी उभर कर आई हैं……………गज़ब की ख्वाहिश है और उम्दा अहसास हैं।

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  2. और अपनी तनहा रूह को
    चंद साँसे उधार दे देता हूँ !!

    मैं तेरा नाम ले लेता हूँ !!!
    ahsason ko jee lena shaabdon main..wah gazab ki khwaahish .
    magar khawahishen puri ho jaayen to wo khawaahishen nahi hoti...:)

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  3. Peeda ubhar aayee hai in panktiyon me!

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  4. वाह! कोमल अहसासों का सुन्दर चित्रण!बधाई!

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  5. फिर मैं तेरा नाम ले लेता हूँ

    और अपनी तनहा रूह को
    चंद साँसे उधार दे देता हूँ !!

    बहुत कोमल अहसास..बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

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  6. khoobsurat kavita...
    narm ahsaas..
    komal shabdawali...
    behatreen..

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  7. बहुत सुंदर रचना जी धन्यवाद

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  8. आपकी ये रचना मन को स्पंदित कर गया है .. प्रेम-तरंग में हिलोरे ले रहा है है ..आपको कोटि-कोटि धन्यवाद ..

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  9. वही तो मैं कहूँ कि प्रेम पर्व बीत गया और आपकी रचना नहीं आई..यह कैसे हो गया...

    खैर ,सदैव की भांति आपने कविता में अपना दिल निकाल कर शब्दों में बहा दिया है...और लाजवाब रच डाला है...
    केवल एक बात की ओर ध्यान दिलाना चाहूंगी कि एक ही शरीर के अन्दर आत्मा निवास कर भी शरीर से बंधी नहीं होती बल्कि निर्लिप्त रहती है,ऐसा हिन्दू दर्शन में कहा गया है..तो फिर किसी और के जिस्म (शरीर) से रूह(आत्मा) कैसे मिल सकती है...रूह तो जब मिलेगी रूह से ही मिलेगी...
    तो यदि आप कविता में रूह को जिस्म से मिलवाने के स्थान पर रूह से मिलवा देते तो भाव और उद्दात्तता पाती...
    वैसे यह केवल एक सुझाव है...जो एक पाठक की ओर से रचनाकार को है..कोई आवश्यक नहीं कि माना ही जाय..

    ऐसे ही लाजवाब लिखते रहें....
    शुभकामनाएं !!!!

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  10. गुलाब के फूल की तरह कोमल भावनाओं को व्यक्त करती सुंदर कविता

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  11. SEEDHE - SAADE SHABDON MEIN
    OONCHE BHAWON KAA JADOO JAGAANAA
    VIJAY JI KEE KAVITA KEE VISHESHTA
    HAI . HAMESHA KEE TARAH UNKEE YAH
    KAVITA BHEE MUN KO CHHOTEE HAI.

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  12. wah wah bahut sundar......

    dil se nikla har lafj lgta hai...

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  13. एहसास की खामोशिया और तेरी रूह ... इस सिहरन को बस खुदा जानता है

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  14. प्रेम के सुंदर अर्थों में पगी पंक्तियाँ..... जो मन के नाज़ुक भाव लिए हैं..... बेहतरीन

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  15. मैं तेरा नाम ले लेता हूँ...

    प्रेम की संकरी गलियों से गुज़रते हुए
    प्यार भरे शब्द, सभी पढने वालों के दिलों में
    कहीं गहरे उतर रहे हैं..
    और ये
    आपकी काव्य कुशलता का ही कमाल है
    वैसे
    रंजना जी की बात
    क़ाबिल-ए-ग़ौर है .......

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  16. आपका ब्लॉग देख कर प्रसन्नता हुई।
    कविता बहुत सुन्दर और भावपूर्ण है। बधाई।

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  17. एहसास की खामोशियों में मेरा जिस्म
    तेरी रूह से मिलकर थरथराता है !!

    फिर मैं तेरा नाम ले लेता हूँ

    और अपनी तनहा रूह को
    चंद साँसे उधार दे देता हूँ !!

    मैं तेरा नाम ले लेता हूँ !
    narm aur najuk ahsaaso se piroi gayi hai ye sundar rachna ,prem divas par sundar prastuti .badhai le .

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  18. वाह सत्पथी जी कितना खूबसूरत ख्याल है ।
    और अपनी तनहा रूह को
    चंद सांसे उधार देता हूँ
    मै तेरा नाम लेता हूँ ।

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  19. कोमल अभिव्यक्ति। धन्यवाद|

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  20. गहरे एहसास से ओतप्रोत रचना ... बहुत खूबसूरत ..

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  21. प्रिय बंधुवर विजय कुमार सप्पाट्टी जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    हिज्र की रात कल जब मेरे घर आई थी
    साथ में कुछ ख्वाहिशों की बारात लाई थी

    नर्म अंधेरे मुझे ओढाकर
    तेरे सपनो की चादर ;
    जगा रहे थे …

    तेरी यादों के जुगुनू ,
    आसमान में तेरा चेहरा बना रहे थे …

    उन ठहरे हुए पलों में मैंने तुझे छुआ था !!!

    वाह कविराज !
    बहुत सुंदर ! बहुत रूमानी !!

    मैं तेरा नाम ले लेता हूं …

    और अपनी तनहा रूह को
    चंद सांसें उधार दे देता हूं !!


    अच्छी कविता है …

    ♥ बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  22. very very sweet. bohot hi pyaari nazm hai sir....kaii din baad bhi valentines day sa mehsoos hua ise padhkar :)

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  23. पहली बार आई पर आना अच्छा लगा बहुत खुबसूरत एहसासों से भरी खुबसूरत रचना |
    शुक्रिया दोस्त |

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  24. Seems as if emotions r flowing in each n every line.. lovely poem :)

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  25. fir main tera naam leta hun , very nice , first sher bahut achha kaha hai aapne , ise badhayein to sunder ghazal ban sakti hai

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  26. vijay ji
    bahut hi gahare ahasso se rubaru karavati hai aapki pyari si kaviti .shabdo ka uttam sanyojan bhao ko bahut hi behatreen banata hai.
    dhanyvaad---
    poonam

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  27. एहसास की खामोशियों में मेरा जिस्म
    तेरी रूह से मिलकर थरथराता है !!

    फिर मैं तेरा नाम ले लेता हूँ

    और अपनी तनहा रूह को
    चंद साँसे उधार दे देता हूँ !!

    मैं तेरा नाम ले लेता हूँ !!!

    वाह ...ये हर्फ जो लफ्ज़ों में ढलें हैं ..इन पंक्तियों का एक नया आयाम दे रहे हैं ...बहुत खूब ...बधाई इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये ।

    आपकी शुक्रगुजार हूं आपके प्रोत्‍साहन एवं हौसजाआफज़ाई के लिये ...।

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  28. और अपनी तनहा रूह को
    चंद साँसे उधार दे देता हूँ !!

    मैं तेरा नाम ले लेता हूँ ...............

    एक तेरे सपनो की चादर ;
    जगा रहे थे ...

    इनमे अहसास कूट कूट कर भरे हुए है. कभी-कभी ऐसा होता है की आप जो लिखते है उसे पढकर अपने निशब्द से भावनाओं को शब्दों की नौका मिल जाती है...... तब लगता है कि अरे बिलकुल यही तो मैं भी कहना चाहती थी. बेहद कोमल अहसास लिए हुए है यह कविता.......

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  29. dil ko chu lena wala lakh hai
    www.architpandit.blogspot.com

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  30. बहुत सुन्दर ...ना भुलाने लायक रचना है यह ! शुभकामनायें आपको ......

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  31. एक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...
    बहुत-बहुत बधाई !

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  32. good expressions of a truly emotional human being.........to write good poetry first you have to feel the emotions before penning them down on the paper.

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  33. क्या बात है विजय भैया आप तो छा गये हैं ब्लॉग जगत में। इन दिनों मैं सिर्फ आपका ही ब्लॉग पढ़ता हूं, सारे ब्लॉग पढ़ने का मौका नहीं मिल रहा है। लेकिन, अपनी व्यस्तताओं के बावजूद मैं आपका ब्लॉग पढ़ लेता हूं।

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  34. अरे मैं तो भूल ही गया। अपनी बात कह दी, कविता पर कुछ भी नहीं कहा!!! एक्सट्रीमली सॉरी भैया। असल में कविता तेरा मन मुझे आपकी सितंबर 2009 की एक कविता प्रेम कथा की याद दिला गयी। प्रेम कथा के भाव और तेरा नाम बहुत हद तक मुझे भावनाओं के ज्वार को दिल से बाहर लानेवाले लगे। वैसे आपकी सारी कविताओं की खासियत ही यही होती है कि आदमी पढ़े, तो खुद को पंक्तियों में सोया हुआ पाये। कुछ ऐसा ही मृत्यु में भी आपने जादू चलाया था।

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  35. और अपनी तनहा रूह को
    चंद साँसे उधार दे देता हूँ !!

    मैं तेरा नाम ले लेता हूँ !!!
    कोमल एहसास लिये सुन्दर रचना। बधाई।

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  36. बहुत सुन्दर... इस सुन्दर प्रेम से लबरेज कविता को कल चर्चामंच पर रख रही हूँ...सादर

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  37. कोमल अहसासों से परिपूर्ण बहुत भावपूर्ण रचना..

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  38. दिल को छू गयी आपकी यह अभिवयक्ति!

    सादर

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  39. अपनी रूह को चाँद साँसे उधार देने को मैं तेरा नाम लेता हूँ ...
    बहुत खूब !

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  40. प्रेम में दीवानगी की मिसाल सी लगती है आपकी कविता

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  41. wah ji wah kya bhawon ki abhivyakti hai . sunder ati sunder .sachmuch lag hi nahin raha hai ki aap hindibhashi nahin hai .

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  42. कोमल भाव की खूबसूरत अभिव्यक्ति, बधाई स्वीकारें!

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  43. Prem ki is unmukt udaan ko rokne nahi dena Vijay ji ... ye vo saagar hai jismen doobne par mzaa badhta jaata hai ...

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  44. bahut accha hai join me
    www.architpandit.blogspot.com

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  45. humnaam ko humnaam ka namaskar

    pehli baar aya hu.

    lekin aab aana hota rahega

    और अपनी तनहा रूह को
    चंद साँसे उधार दे देता हूँ !!

    मैं तेरा नाम ले लेता हूँ !!!


    dil ko shoone vale ehsaas hai apke paas. bahut khoob

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  46. recd email from Mr. Shriprakash Shukla ...

    आदरणीय विजय जी,
    कोमल भावों को शब्द देती हुई इस अति सुन्दर रचना के लिए मेरी हार्दिक अभिनन्दन एवं बधाई स्वीकार करें .
    सादर
    श्रीप्रकाश शुक्ल

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  47. recd, mail from Mr. Devmani pandey ji ...

    नर्म अँधेरा, यादों के जुगनू...अच्छे एहसास हैं।

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  48. बहुत गहरे भाव लिये हुये है ये रचना।
    पहली बार आपके ब्लग पर आये है । आना सार्थक हुआ ।

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  49. namaskar vijayji........pahli bar aapke blogs read kiye.......so good.......itani prabhuta !!!!!!! aur itani shaleenta!!!!!!!!!!shayad yahee hai aapki kamyabi ka raj..tera naam poem ek komal prastuti...thanks.

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  50. और अपनी तनहा रूह को
    चंद साँसे उधार दे देता हूँ !!

    मैं तेरा नाम ले लेता हूँ !!!

    वाह..बहुत ही सुन्दर और भावुक अहसासों से भरी कोमल अभिव्यक्ति..

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  51. Bahut sunder abhivyakti...travel par hun..hindi uplabdh nahi.

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  52. हिज्र की रात कल जब मेरे घर आई थी ,
    साथ में कुछ ख्वाहिशों की बारात लायी थी ,

    komal bhavnaon ko vyakt kartee huee sundar rachana !

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  53. अत्यंत कोमल भावाभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  54. आपकी टिपण्णी और उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!

    बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! बधाई!

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  55. एहसास की खामोशियों में मेरा जिस्म
    तेरी रूह से मिलकर थरथराता है !!

    फिर मैं तेरा नाम ले लेता हूँ

    और अपनी तनहा रूह को
    चंद साँसे उधार दे देता हूँ !!

    वाह विजय जी बहुत खूबसूरत...खूबसूरत एहसास और भावों में डूबे शब्द....

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  56. tanha raton me ehsason me jism aur rooh ka milan bahut komalta se bayan kiya hai aapne..

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  57. उम्दा रचना और भावपूर्ण अभिव्यक्ति.. धन्यवाद ।

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  58. उम्दा रचना और भावपूर्ण अभिव्यक्ति.. धन्यवाद ।

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  59. सर, मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूं. कामिक्स वाले ब्लाग पर भी जाता रहता हूं आपके. और बाबा वाले पर भी. आप की रचनायें बेहद खूबसूरत होती हैं. बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रकट की है आपने तेरे नाम के जरिये.

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  60. Dil me kuchh soye hue ahsaason ko jagati ek haseen rachna.. waah

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  61. बहुत ही सुन्दर और कोमल भावनाओं से सजी सुन्दर अभिव्यक्ति ....धन्यवाद

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  62. बहुत सुन्दर रचना है ।

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  63. कल "शनिवासरीय चर्चा" में आपके ब्लाग की "स्पेशल काव्यमयी चर्चा" की जा रही है...आप आये और अपने सुंदर पोस्टों की सुंदर काव्यमयी चर्चा देखे और अपने सुझावों से अवगत कराये......at http://charchamanch.blogspot.com/
    (19.03.2011)

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  64. "हिज्र की रात कल जब मेरे घर आई थी
    साथ में कुछ ख्वाहिशों की बारात लाई थी

    नर्म अंधेरे मुझे ओढाकर
    तेरे सपनो की चादर ;
    जगा रहे थे …

    तेरी यादों के जुगुनू ,
    आसमान में तेरा चेहरा बना रहे थे …"

    "मैं तेरा नाम ले लेता हूँ"


    बहुत ख़ूबसूरत शब्दों में कोमल भावनाओं के एक महकते गुलदस्ते सी है ये कविता...

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  65. बहुत खुबसूरत ! मीठी जादुई शबनमी ! रचनाकार को बधाई !

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  66. बहुत सुंदर कविता, शुभकामनाएं !

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  67. Makhamali....mulayam....ha! jadui ahasas sa...... bahut ...........rachana......

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  68. bahut sundar abhivyakti hai. shabdon se jaadoo kar diya hai...

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