दिल बीती बातें याद करता रहा ,
यादों का चिराग रातभर जलता रहा ;
नज़म का एक एक अल्फाज़ चुभता रहा,
दिल बीती बातें याद करता रहा.
जाने किसके इन्तेजार मे,
शब्बा ऐ सफर कटता रहा;
जो गीत तुमने छेड़े थे,
रात भर मैं वह गुनगुनाता रहा.
दिल बीती बातें याद करता रहा.
शमा पिघलती ही रही थी,
और दूर कोई आवाज था दे रहा;
जुंबा जो न कह पा रही थी,
अश्क एक एक दास्तां कहता रहा.
दिल बीती बातें याद करता रहा.
यादें पुरानी आती ही रही,
दिल धीमे धीमे दस्तक देते रहा;
चिंगारियां भड़कती ही रही,
टूटे हुए सपनो से कोई पुकारता रहा.
दिल बीती बातें याद करता रहा.
दिल बीती बातें याद करता रहा,
यादों का चिराग रातभर जलता रहा;
नज़म का एक एक अल्फाज़ चुभता रहा.
दिल बीती बातें याद करता रहा.
ये बीती बातें ही कभी कभी जीने का सहारा होती हैं वरना इस दुनिया मे और रखा क्या है……………अपने जज़्बातो और अहसासों को बेहद संजीदगी से पिरोया है…………बीती बातो मे भी ज़िन्दगी मिल जाती है कभी कभी।
ReplyDeleteयादें पुरानी आती ही रही,
ReplyDeleteदिल धीमे धीमे दस्तक देते रहा;
चिंगारियां भड़कती ही रही,
टूटे हुए सपनो से कोई पुकारता रहा.
दिल बीती बातें याद करता रहा.
in beeti banton se hi to reeta man bhar jata hai...
गुजरे अनोखे कल यही तो वो धरोहर है हमारे दिल के जो अब तक जिंदा रखे है...बहुत सुंदर....अहसासपूर्ण।
ReplyDeleteKya kahne! Aap jab likhte hain,to mujh jaisee ko nishabd kar dete hain!
ReplyDeleteAmazingly beautiful..cnt find any other appropriate term to appraise dis lovely piece of poetry :)
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत भावपूर्ण रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteबीती बातें रह रह आतीं,
ReplyDeleteसूनी रातें खूब जगातीं।
बहुत बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
sundr
ReplyDeletevery nice....
ReplyDeleteये बीती बातें ही तो जीवन की एक धरोहर होती हैं जिन्हें हम फुरसत में निकल कर देखा करते हैं.
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा.
बहुत सुंदर....अहसासपूर्ण।
ReplyDeleteकई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDeleteबहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
एक एक पंक्ति अपने भाव की साक्षी है..
ReplyDeleteसुन्दर और यथार्थ रचना..!!
कभी कभी बहका जाती हैं, कभी कभी महका जाती हैं... यादें...
ReplyDeleteवंदना जी की टिपण्णी से मैं पूर्ण सहमत हूँ. बहुत ही अच्छी रचना.
ReplyDeleteyadon ke karvan par sunder abhivyakti.
ReplyDeleteबीती बातें ही कभी कभी जीने का सहारा होती हैं, बहुत सुंदर....अहसासपूर्ण रचना.
ReplyDeleteबातें बीत जाने पर ही अकसर याद आया करती हैं......बहुत सुन्दर लिखा है विजय जी....
ReplyDeleteजब दिल बीती बात को याद करता है तो नज़्म यूँ ही चुभता है...सुन्दर शब्द दिया है ..दिल तक उतरती हुई ..बहुत सुंदर
ReplyDeleteachchhi rachna aur bhaav poorn abhivyakti ke liye badhaai.
ReplyDelete- vijay tiwari "Kislay"
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