फूल,चाय और बारिश का पानी
बहुत दिनों के बाद ,
हम मिले...
हमें मिलना ही था , प्रारब्ध का लेखा ही कुछ ऐसा था .
मिलना , जुदा होना और फिर मिलना और फिर जुदा होना ......!!!
जब मिले तो देखा कि
बहुत दिनों के बाद ,
हम मिले...
हमें मिलना ही था , प्रारब्ध का लेखा ही कुछ ऐसा था .
मिलना , जुदा होना और फिर मिलना और फिर जुदा होना ......!!!
जब मिले तो देखा कि
उम्र से ज्यादा कहर ,
हम पर;
हमारी यादो ने ढाया था .
हम वो नहीं थे , जो जुदा होते वक़्त थे ..
हम वो थे, जो ,हम कभी थे ही नहीं ...
मैं तुम्हे और तुम मुझे बहुत देर तक यूँ ही देखते रहे
शायद हैरान थे और कुछ कोशिश आंसुओ को रोकने की भी थी
मुझे याद आया कि , जब हम पहली बार मिले थे ,
तब भी इतना नहीं देखा था एक दुसरे को ;
वक़्त से शिकवा करे या ज़िन्दगी से ,
कुछ समझ नहीं आ रहा था ….
हम वो नहीं थे , जो जुदा होते वक़्त थे ..
हम वो थे, जो ,हम कभी थे ही नहीं ...
मैं तुम्हे और तुम मुझे बहुत देर तक यूँ ही देखते रहे
शायद हैरान थे और कुछ कोशिश आंसुओ को रोकने की भी थी
मुझे याद आया कि , जब हम पहली बार मिले थे ,
तब भी इतना नहीं देखा था एक दुसरे को ;
वक़्त से शिकवा करे या ज़िन्दगी से ,
कुछ समझ नहीं आ रहा था ….
……. लब खामोश थे .!!
होटल के खुले आँगन में एक पेड़ जिसमे ;
होटल के खुले आँगन में एक पेड़ जिसमे ;
दो लाल रंग के फूल खिले थे;
उसके नीचे बैठकर, हमने चाय मंगाई .
हमेशा की तरह दो सफ़ेद कप
और उनमे ज़िन्दगी की रंग वाली चाय
हमने चाय पीना शुरू किया और
हमेशा की तरह दो सफ़ेद कप
और उनमे ज़िन्दगी की रंग वाली चाय
हमने चाय पीना शुरू किया और
बेकार की बातो से एक दूसरे को टटोलना शुरू किया
जैसे ….कैसे हो
ज़िन्दगी कैसी है
निरर्थक से सवालों के
एक झूठा सा जवाब
सब अच्छा है ,
हर सवाल का यही जवाब था !!
ज़िन्दगी कैसी है
निरर्थक से सवालों के
एक झूठा सा जवाब
सब अच्छा है ,
हर सवाल का यही जवाब था !!
हम थोड़ी थोड़ी देर में पीछे मुड जाते थे
जैसे किसी को देख रहे हो
[ जिसे उम्र भर देखना चाहा था ; वो सामने ही बैठा था ]
दरअसल ,हम अपने आंसुओ को पी जाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे.
बहुत देर की ख़ामोशी के बाद मैंने कहा
मेरी याद नहीं आती !
तुमने एक फीकी सी मुस्कराहट को ओड़ कर कहा
नहीं ; अब नहीं आती है !!
पता नहीं ये सच था या झूठ ,
तुमने पुछा ,
तुम्हे भी नहीं आती होंगी
दुनिया में मन लग जाता है
मैंने कहा
“ यहाँ बात दिल की है”
मैंने पुछा ,
जैसे किसी को देख रहे हो
[ जिसे उम्र भर देखना चाहा था ; वो सामने ही बैठा था ]
दरअसल ,हम अपने आंसुओ को पी जाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे.
बहुत देर की ख़ामोशी के बाद मैंने कहा
मेरी याद नहीं आती !
तुमने एक फीकी सी मुस्कराहट को ओड़ कर कहा
नहीं ; अब नहीं आती है !!
पता नहीं ये सच था या झूठ ,
तुमने पुछा ,
तुम्हे भी नहीं आती होंगी
दुनिया में मन लग जाता है
मैंने कहा
“ यहाँ बात दिल की है”
मैंने पुछा ,
तुम्हे याद है सब कुछ
तुमने कहा , हाँ
तुमने मेरी देखकर कहा
और तुम्हे ?
मैंने कहा हाँ, मुझे सबकुछ बहुत अच्छे से याद है ,
in fact , मैं तो कुछ भी नहीं भूला हूँ
तुम्हे भी नहीं ...कभी नहीं ...!!
तुम रोने लगी
और मैं भी ;
आकाश में अचानक घुमड़ घुमड़ कर बादल आ गए थे
हलकी बूंदा बांदी शुरू हो गयी थी .
मैंने हाथ बढ़ाया तुम्हारी ओर
तुमने कहा , हाँ
तुमने मेरी देखकर कहा
और तुम्हे ?
मैंने कहा हाँ, मुझे सबकुछ बहुत अच्छे से याद है ,
in fact , मैं तो कुछ भी नहीं भूला हूँ
तुम्हे भी नहीं ...कभी नहीं ...!!
तुम रोने लगी
और मैं भी ;
आकाश में अचानक घुमड़ घुमड़ कर बादल आ गए थे
हलकी बूंदा बांदी शुरू हो गयी थी .
मैंने हाथ बढ़ाया तुम्हारी ओर
तुम्हे बारिश से बचाने के लिए ,
होटल के shade में ले जाना चाहता था
तुमने हिचकते हुए
मेरे हाथ में अपना हाथ दिया
उसी हाथ में ,
मेरे हाथ में अपना हाथ दिया
उसी हाथ में ,
जिसे तुमने एक अजनबी से मोड़ पर छोड़ दिया था
समय भी कैसे कैसे पल दिखाता है हमें
तुम मेरे पास खड़ी थी
बारिश अब जोरो से होने लगी थी
मैंने तुमसे पुछा , याद है तुम्हे वो बारिश
तुमने मुस्करा कर कहा , कौनसी
मैंने कहा अरे वही उस पुराने शहर वाली बारिश
तुमने कहा कि हम कभी बारिश में भीगे ही नहीं
समय भी कैसे कैसे पल दिखाता है हमें
तुम मेरे पास खड़ी थी
बारिश अब जोरो से होने लगी थी
मैंने तुमसे पुछा , याद है तुम्हे वो बारिश
तुमने मुस्करा कर कहा , कौनसी
मैंने कहा अरे वही उस पुराने शहर वाली बारिश
तुमने कहा कि हम कभी बारिश में भीगे ही नहीं
मैंने मुस्कराते हुए कहा , अब भीग जाए !!
तुमने कुछ देर ठहर कर कहा , मैं चलती हूँ ...
समय फिर रुक सा गया,
मैंने देखा चाय के कप में ;
समय फिर रुक सा गया,
मैंने देखा चाय के कप में ;
पेड़ के फूलो से पानी टपक रहा था ;
और बारिश का पानी जमा हो रहा था .
मैंने कहा कि ,
मैंने कहा कि ,
नहीं .
अब मत जाओ ...
अब मत जाओ ...
लेकिन तुमने मुझसे ज्यादा दुनिया देखी थी
और
मेरी प्रेम की दुनिया में तुम नहीं रह सकती थी .
क्योंकि साथ निभाना तुमने नहीं जाना था .
तुमने कहा ,
नहीं , अब बहुत देर हो चुकी है
और .......तुम चली गयी !
नहीं , अब बहुत देर हो चुकी है
और .......तुम चली गयी !
मैं बाहर आ कर तुम्हे मोड़ तक देखते रहा
मैं भीग रहा था जोरो से..
तुमने मुड़कर देखा मुझे मोड़ पर ;
और चली गयी .
मैं भीग रहा था जोरो से..
तुमने मुड़कर देखा मुझे मोड़ पर ;
और चली गयी .
मैं बहुत देर तक वह खड़ा रहा ,
और बारिश के पानी में ;
मेरे आंसुओ को मिलते हुए देखता रहा
मैं मुड कर देखा ,
मोड पर अब कोई नहीं था
और ;
वो दो फूल झड गए थे .
चाय के कप में अब पूरी तरह से बारिश का पानी भर गया था ;
चाय के कप में अब पूरी तरह से बारिश का पानी भर गया था ;
और शायद ज़िन्दगी में भी !!!!