आदरणीय गुरुजनो और मित्रो .
नमस्कार ;
आप सभी से अपनी एक खुशखबरी शेयर करते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है .
मेरी पहली किताब : जो की एक कविता संग्रह है ; अब छप चुकी है .
इसका नाम है : उजले चांद की बेचैनी :
इसे बोधि प्रकाशन ने छापा है . ये किताब आपको विश्व पुस्तक मेला, प्रगति मैदान, नई दिल्ली
दिनांक 4 फरवरी से 10 फरवरी के दौरान ; बोधि प्रकाशन, हॉल नं: 12 बी, स्टॉल नं 115 में उपलब्ध रहेंगी
इसके अलावा आप इसे बोधि प्रकाशन से भी मंगवा सकते है . उनका पता है :
बोधि प्रकाशन, एफ 77, करतारपुरा इंडस्ट्रीयल एरिया, बाइस गोदाम, जयपुर 302006 राजस्थान संपर्क करे : 082900 34632
हमेशा की तरह , इसे भी आप सभी का प्यार और आशीर्वाद चाहिए . कृपया अपनी राय को मेरे ब्लोग के इस पोस्ट पर कमेंट के रूप में देकर मुझे अनुग्रहित करे। आपके कमेंट्स का हमेशा से ही स्वागत रहा है।
आपका अपना
विजय कुमार
...प्रथम कृति की सफलता के लिए अनेको शुभ कामनाएं!
ReplyDeleteपहली किताब की बहुत बहुत बधाई विजय साहब। सफलता के लिए शुभकामानाएँ
ReplyDeleteहार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
ReplyDeleteकौन करेगा नमक का हक़ अदा - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं...
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई सहित अनंत शुभकामनाएं
ReplyDeleteदिल से शुभकामनाएँ ...आपकी पहली पुस्तक के लिए
ReplyDeleteबहुत बहुत मुबारक सर!
ReplyDeleteसादर
हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें. मै ये पुस्तक जरूर पढूंगी.
ReplyDeleteहार्दिक बधाई और सफलता के लिए शुभकामानाएँ
ReplyDeleteहार्दिक बधाई।
ReplyDeleteयह तो अभी शुरुआत है। आपकी किताबों का शतक लगायें, यही कामना है।
विजय जी मुझे ख़ुशी है आपने अपना एक सपना पूरा कर दिखाया है। आपकी किताब की सफलता की कामना करता हूँ।
ReplyDeleteनीरज
aapko bahut bahut badhai. nirantar pragati hoti rahe.
ReplyDeleteshubhkamnayen
बहुत-बहुत मुबारक हो...
ReplyDeletebadhai...
ReplyDeleteपुस्तक के लिए बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeletebhai shri vijayji,
ReplyDeletepratham kriti hetu bahut badhai....sundar shirshak ke sath sangrah avashy acha hi ban pada hoga....pustak par pratikriya padhne ke pashchat bhejungi....shesh samany....good evening....good night....bhavishy main yunhi aapki pustaken chapti rahe yehi shubhkamna....
बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeletedheron shubhkamnayen aur badhai...
ReplyDeleteआपकी पुस्तक के बारे में जानकर बड़ी खुशी हुई।
ReplyDeleteइसकी अप्रतिम सफलता के लिए ढेरों शुभकामनाएं।
आपने नाम रखा 'उजले चाँद की बेचैनी',इसकी प्रासंगिकता जानने की जिज्ञासा है आदरणीय,यदि आप अन्यथा न लें तो!