Monday, February 4, 2013

मेरी पहली किताब : : उजले चांद की बेचैनी :


आदरणीय गुरुजनो  और मित्रो . 
नमस्कार ;

आप सभी से अपनी एक खुशखबरी  शेयर करते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है .

मेरी पहली किताब : जो की एक कविता संग्रह है ; अब छप  चुकी है . 
इसका नाम है : उजले चांद की बेचैनी : 

इसे बोधि प्रकाशन ने छापा  है . ये किताब आपको विश्‍व पुस्‍तक मेला, प्रगति मैदान, नई दिल्‍ली
दिनांक 4 फरवरी से 10 फरवरी के दौरान ; बोधि प्रकाशन, हॉल नं: 12 बी, स्‍टॉल नं 115 में उपलब्ध रहेंगी 

इसके अलावा आप इसे बोधि प्रकाशन से भी मंगवा सकते है . उनका पता है : 
बोधि प्रकाशन, एफ 77, करतारपुरा इंडस्‍ट्रीयल एरिया, बाइस गोदाम, जयपुर 302006 राजस्थान   संपर्क करे : 082900 34632

हमेशा की तरह , इसे भी आप सभी का प्यार और आशीर्वाद  चाहिए . कृपया अपनी राय को मेरे ब्लोग के इस पोस्ट पर कमेंट के रूप में देकर मुझे अनुग्रहित करे। आपके कमेंट्स का हमेशा से ही स्वागत रहा है। 

आपका अपना 
विजय कुमार 


21 comments:

  1. ...प्रथम कृति की सफलता के लिए अनेको शुभ कामनाएं!

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  2. पहली किताब की बहुत बहुत बधाई विजय साहब। सफलता के लिए शुभकामानाएँ

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  3. हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !

    कौन करेगा नमक का हक़ अदा - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं...

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  5. बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ...

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  6. बहुत-बहुत बधाई सहित अनंत शुभकामनाएं

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  7. दिल से शुभकामनाएँ ...आपकी पहली पुस्तक के लिए

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  8. बहुत बहुत मुबारक सर!


    सादर

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  9. हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!

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  10. बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें. मै ये पुस्तक जरूर पढूंगी.

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  11. हार्दिक बधाई और सफलता के लिए शुभकामानाएँ

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  12. हार्दिक बधाई।
    यह तो अभी शुरुआत है। आपकी किताबों का शतक लगायें, यही कामना है।

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  13. विजय जी मुझे ख़ुशी है आपने अपना एक सपना पूरा कर दिखाया है। आपकी किताब की सफलता की कामना करता हूँ।

    नीरज

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  14. aapko bahut bahut badhai. nirantar pragati hoti rahe.

    shubhkamnayen

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  15. बहुत-बहुत मुबारक हो...

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  16. पुस्तक के लिए बहुत बहुत बधाई.

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  17. bhai shri vijayji,
    pratham kriti hetu bahut badhai....sundar shirshak ke sath sangrah avashy acha hi ban pada hoga....pustak par pratikriya padhne ke pashchat bhejungi....shesh samany....good evening....good night....bhavishy main yunhi aapki pustaken chapti rahe yehi shubhkamna....

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  18. बहुत बहुत बधाई.

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  19. आपकी पुस्तक के बारे में जानकर बड़ी खुशी हुई।
    इसकी अप्रतिम सफलता के लिए ढेरों शुभकामनाएं।
    आपने नाम रखा 'उजले चाँद की बेचैनी',इसकी प्रासंगिकता जानने की जिज्ञासा है आदरणीय,यदि आप अन्यथा न लें तो!

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