भीगा सा दिन,
भीगी सी आँखें,
भीगा सा मन ,
और भीगी सी रात है !
कुछ पुराने ख़त ,
एक तेरा चेहरा,
और कुछ तेरी बात है !
ऐसे ही कई टुकड़ा टुकड़ा दिन
और कई
टुकड़ा टुकड़ा राते
हमने ज़िन्दगी की साँसों तले काटी थी !
न दिन रहे और न राते,
न ज़िन्दगी रही और न तेरी बाते !
कोई खुदा से जाकर कह तो दे,
मुझे उसकी कायनात पर अब भरोसा न रहा !
नज़्म ©
विजय कुमार
बहुत सुंदर भावों की अभिव्यक्ति.....!!
ReplyDeleteस्मृतियों में उताराती शब्दों की नाव
ReplyDeleteसुन्दर भावों की सुन्दर अभिवक्ति !
ReplyDeleteनई पोस्ट भाव -मछलियाँ
new post हाइगा -जानवर
वाह बहुत सुन्दर भाव उकेरे हैं
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteBahut khoob...
ReplyDeleteबहोत खूबसूरत...
ReplyDeleteटुकड़ों में बटी जिंदगी
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