एक दिन ऐसे ही प्रभु की भेजी हुई नाव में बैठकर
एक न लौटने वाली यात्रा पर चले जाऊँगा !
अनंत में खो जाने के लिए
धरती में मिल जाने के लिए
अंतिम आलिंगन मेरा स्वीकार करो प्रभु
मैं भी तेरा , मेरा जीवन भी तेरा प्रभु
मैं मृत्यु का उत्सव मनाता हूँ प्रभु
बस मेरे शब्द और मेरी तस्वीरे ही मेरे निशान होंगे प्रभु
मुझे स्वीकार करो प्रिय प्रभु
इसी उत्सव के साथ , इसी ख़ुशी के साथ
मैं अंत में तुझमे समां जाऊं प्रभु
धरती में मिल जाने के लिए
अंतिम आलिंगन मेरा स्वीकार करो प्रभु
मैं भी तेरा , मेरा जीवन भी तेरा प्रभु
मैं मृत्यु का उत्सव मनाता हूँ प्रभु
बस मेरे शब्द और मेरी तस्वीरे ही मेरे निशान होंगे प्रभु
मुझे स्वीकार करो प्रिय प्रभु
इसी उत्सव के साथ , इसी ख़ुशी के साथ
मैं अंत में तुझमे समां जाऊं प्रभु
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (03-12-2014) को "आज बस इतना ही…" चर्चा मंच 1816 पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बस मेरे शब्द और मेरी तस्वीरे ही मेरे निशान होंगे प्रभु
ReplyDeleteमुझे स्वीकार करो प्रिय प्रभु
(सादर धन्यवाद)
अध्यात्मिक
ReplyDeletebahut sunder prastuti
ReplyDeleteगहरी बात लिए पंक्तियाँ..... बहुत सुंदर
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