एक ज़िन्दगी
और कितने सारे ख्वाब
बस एक रात की सुबह का भी पता नहीं ....
कितनी किताबे पढना है बाकी
कितने सिनेमा देखना है बाकी
कितने जगहों पर जाना है बाकी
हक़ीकत में एक पूरी ज़िन्दगी जीना है बाकी !
एक ज़िन्दगी
और कितने सारे ख्वाब
बस एक रात की सुबह का भी पता नहीं ....
© विजय