उस दिन जब मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ा
तुमने उस हाथ को दफना दिया
अपनी जिस्म की जमीन में !
और कुछ आंसू जो मेरे नाम के थे ,
उन्हें भी दफना दिया अपनी आत्मा के साथ !
तुमने उस हाथ को दफना दिया
अपनी जिस्म की जमीन में !
और कुछ आंसू जो मेरे नाम के थे ,
उन्हें भी दफना दिया अपनी आत्मा के साथ !
अब तुम हो
और मैं हूँ
और हम बहुत दूर है !
हां; इश्क खुदा के आगोश में चुपचाप बैठा है!
और मैं हूँ
और हम बहुत दूर है !
हां; इश्क खुदा के आगोश में चुपचाप बैठा है!
खुदा ने एक कब्र बनायीं है ,
तुम्हारी और मेरी ,
उसने उसमे कुछ फूल और आहो के साथ मेरी प्रार्थनाओ को भी दफ़न किया है !
तुम्हारी और मेरी ,
उसने उसमे कुछ फूल और आहो के साथ मेरी प्रार्थनाओ को भी दफ़न किया है !
हां ;
कुछ लोग अब भी मेरी नज्मे पढ़ते है और मोहब्बत की बाते करते है !
कुछ लोग अब भी मेरी नज्मे पढ़ते है और मोहब्बत की बाते करते है !
© विजय
जय हो
ReplyDeleteआपका दिल से शुक्रिया जी :)
Deleteकुछ लोग अब भी मेरी नज्मे पढ़ते है और मोहब्बत की बाते करते है ........क्योँकि मोहब्बत कभी नहीं मरती है।
ReplyDeleteबहुत खूब!
आपका दिल से शुक्रिया जी :)
Deleteक्या बात
ReplyDeleteआपका दिल से शुक्रिया जी :)
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