मान्यवर मित्रो ....
मैं कुछ दिनों के लिए लेखन से विराम ले रहा हूँ .... मन कुछ ठीक नहीं है ....
यदि किसी कारणवश मुझसे कोई गलती हो गयी हो ,या मेरे कारण किसी को दुःख पहुंचा हो या ,मेरी कोई बात से कोई आहत हुआ हो तो मैं क्षमा मांगता हूँ ..
क्षमापना सारी गलतियों व अपराधों को धोने का अमोघ उपाय है. मनुष्य की श्रेष्टथा इसी में है कि वह अपनी भूलो को स्वीकार करे. जो अपराध को स्वीकार नही करता वह अपराध से कभी मुक्त भी नही हो पाता . जीवन पथ इतना लंबा और अटपटा है कि उसे यदि क्षमापना से बार बार बुहारा न जाए तो वह कुडादान बन जायेगा. दुनिया में सारे धर्मग्रंथो और उपदेशों का सार है कि क्षमा को छोड़कर हम कितना भी चले कहीं भी नही पहुँच पाएंगे. याथार्थ तो यही है कि आत्म उत्कर्ष के किसी भी शिखर पर कोई कभी पहुँचेंगा तो वह क्षमा के साथ ही पहुँचेंगा .
मैं क्षमा द्वार से प्रवेश कर ,मनो मालिन्य ,राग, द्वेष और अहंकार से मुक्त होना चाहता हूँ ..
क्षमा प्राथी
विजय
आपके विचारो से सहमत हूँ पर
ReplyDeleteअल्प विराम लें और आगे
अपनी रचनाये हमें पढ़वाते रहें.
सुभाकमनाओ के साथ .
are nahi vijay ji
ReplyDeleteviram ka naam mat dijiye,
bas aise hi likhate rahiye
thoda dhire dhire hi sahi achcha hai..likhate rahiye
कई बार हमे कई अलग अलग कारणो से विराम भी करना पड्ता है, लेकिन वापिस जरुर आये.
ReplyDeleteआप के लेख का एक एक शव्द बहुत मायने रखता है, आप ने बहुत उचित बात कही है.
चलिये खुशी खुशी जाये, ओर फ़िर अपने काम पुरे कर के लोटे.
धन्यवाद
आप बता कर विराम ले रहे हैं ये अच्छा है पर एक बात कहूंगा कि ये विराम छोटा याने अल्प हो तो बेहतर। फिर जरूर लौटिएगा।
ReplyDeleteप्रिय विजय जी
ReplyDeleteमैं आपकी भावनाओं को समझ सकता हूँ !
प्रत्येक सृजनशील व्यक्ति के मन में वैराग्य जैसा भाव कभी न कभी अवश्य आता है !
आपके निर्णय को सम्मान देते हुए बस इतना ही कहूँगा कि थोडा विराम लेकर नयी ऊर्जा के साथ सृजनरत हो जाएँ !
पलायन का तो ख्याल भी कभी जहन में नहीं लाईयेगा !
कुछ ही दिन बाद मैं आपकी रचना को पढने आऊंगा !
दिली शुभकामनाओं के साथ !
आज की आवाज
विराम में भी बसा है राम
ReplyDeleteकाम काम और बस काम
लिखने से ले रहे हैं आराम
करते रहें सिर्फ काम ही काम
काम ऐसा जिसमें मिलते रहें
दाम दाम और बस दाम
दाम ही दम देता है
जो सारा वैराग्य हल लेता है
दाम के दमदार सफर में
आप पूर्ण सफलता प्राप्त करें।
by email :
ReplyDeleteविजय जी,
नमस्कार
क्षमा की प्रार्थना तो वैसे सबसे बड़ी प्रार्थना है लेकिन क्षमा के लिए आप क्यों प्रार्थना कर रहे हैं? आप लिखते हैं और हमसब पढ़ते हैं. तो अपने पाठकों से क्षमा की प्रार्थना क्यों?
मन कुछ ठीक नहीं इसलिए आप लेखन से विराम न लें. मैं आपको अपना अनुभव बताऊँ तो जब मेरा मन ठीक नहीं रहता तो मैं कुछ भी लिखता हूँ. आपको बताऊँ तो पिछले करीब दो वर्षों से कुछ भी लिखने की वजह से ही मेरा तनाव दूर होता रहा है. लेखन अपने आप में सबसे बड़ा स्ट्रेसबस्टर है. आप कम लिखें लेकिन लिखते रहें. मैं आपकी सभी कविताओं पर कमेन्ट नहीं कर पाता लेकिन पढता ज़रूर हूँ. अगर आपका मन पिछले दिनों नुक्कड़ पर हुए विव्वाद की वजह से खिन्न है तो यही कहूँगा कि आप ऐसे विवादों को दिल से न लगायें. इस तरह के विवाद होते रहते हैं. दो वर्ष से ज्यादा हो गए हैं मुझे ब्लॉग लिखते हुए. केवल एक बार विवाद में पड़ा. लेकिन उसके बाद मैंने निश्चय किया कि चाहे जो हो जाए, अब किसी भी विवाद में कभी नहीं पडूँगा. और उसके बाद से जो मन में आता है, लिखता रहा हूँ.
आप कवितायें लिखते हैं. ऐसे में अगर कोई आकर यह कह दे कि आपने जो लिखा है वह खराब है या कविता कहलाने लायक नहीं है तो ये उस व्यक्ति के अपने विचार हैं. एक व्यक्ति के विचार बाकी लोगों को प्रभावित करें, यह ज़रूरी नहीं है. महात्मा गाँधी के विचार से न जाने कितने असहमत होंगे. लेकिन क्या उन्होंने अपने विचार त्याग दिए? ये तो हमारे अपने कन्विक्शन पर डिपेंड करता है कि हम क्या सोचते और कहते हैं?
मैंने इससे पहले कभी भी अप्पको मेल नहीं लिखा. हो सकता है आप मेरा मेल पढ़कर चौक जाएँ. लेकिन आपकी पोस्ट पढ़कर मेरे मन में आया कि मैं आज आपको मेल लिखूँ, सो लिख रहा हूँ. मेरा यही सुझाव है कि आप प्रसन्न मन रहें. आप लिखते रहें. यह सोचकर लिखें कि दिनकर या बच्चन, निराला या पन्त, गालिब या मेरे अपने शुरुआती दिनों में ही बड़े कवि या शायर नहीं बन गए थे.
मैं आपको एक घटना बताता हूँ. गालिब ने जब अपने जीवन के शुरुआती दिनों में लिखा तो न जाने कितने लोगों को उनका साहित्य समझ में ही नहीं आता था. एक मुशायरे में एक शायर ने उनका मज़ाक उडाते हुए एक शेर कहा. शेर कुछ यूं था. उसने कहा;
कलाम-ए-मीर समझे और जुबान-ए-मीरजा समझे
मगर इनका कहा ये आप समझें या खुदा समझे
अब अगर गालिब उस शायर की कही गई बात दिल से लगा लेते और लिखना बंद कर देते तो क्या हमें वही गालिब मिलते जिनके बारे में हम जानते हैं? शायद नहीं मिलते.
इसलिए मेरे सुझाव पर विचार कीजियेगा. और लिखना बंद मत कीजियेगा. कम कर दीजिये, लेकिन बंद मत कीजिये.
शिवकुमार मिश्र
विजय जी ये क्या? क्यों? शिवकुमार जी मेल एक बार दुबारा से पढ लीजिए।
ReplyDeleteये तो कोई बात नहीं हुयी बेशक में आपको कमेन्ट नहीं देता पर रचनाएँ तो पढ़ा हूँ न..
ReplyDeleteमुझे इंतज़ार रहेगा...
शुभकामनाएं
मीत
कभी कभी मन विरम भी जाये तो एकदम से मन को उचटने से बचाना चाहिये । सब की सलाह मानिये-आवृत्ति कम हो जाय, पर विराम ठीक नहीं, यदि कोई बड़ी मजबूरी न हो । आभार ।
ReplyDeleteदुख होता है..मगर उसका निवारण भी है. हम तो आज ही आपके मसले पर लिख कर शांत हुए और आप चले. अरे, लिखिये दिल खोल कर...कहाँ लगाये हैंआप छोटी छोटी बातों को दिल से मेरे भाई.
ReplyDeleteआज देखिये क्या लिखा है उसी मसले के मद्दे नजर:
http://udantashtari.blogspot.com/2009/06/blog-post_29.html
पढ़िये और मस्त होकर फिर से लिखिये.
विजय जी.......... मन को उदास न करें आप तो नाम से भी विजय हैं..... विजय पथ पर बढ़ें ...
ReplyDeleteविजय जी ये आप क्या कह रहे हैं परिवार से अपने मन की बात कहें ना मन क्यों ठीक नहीं है और क्षमा किस बात की आप जैसा संवेदन्शील व्यक्ति किसी को क्या दुख दे सकता है हाँ तबदीली के लिये 2-4 दिन की बात सही है मगर जल्दी आईयेगा हम सब इन्तज़ार करेंगे वैसे शिव कुमार मिश्र जी सही कह रहे हैं आप लिखिये मन अपने आप सही हो जायेगा शुभकामनायें्
ReplyDelete... बेहद संवेदनशील अभिव्यक्ति !!!!
ReplyDeleteकिसने आपको क्या बोल दिया सर.....?
ReplyDeleteजो विराम ले रहे हैं..
यूं तो विराम हम सभी लेते हैं...कोई १५ दिन में पोस्ट डालता है..कोई महीने में...कोई कोई तो दो चार महीने में...... पर विराम लेने के लिए ऐसे पोस्ट तो कोई नहीं डालता...
कहीं आप साल दो साल के लिए तो विराम नहीं ले रहे ...?
अगर इतने समय के लिए है तो ये विराम - पोस्ट डालना जायज है आपका...
और आप क्षमा किस से और क्यूं मांग रहे हैं...
क्या किया है आपने ऐसा...यूं तो आपका जीवन क्षमा मांगने में ही बीत जाएगा...
और गालिब की बात छोडिये...
उन्हें तो आज तक लोग समझने की कोशिश कर रहे हैं.....
आपको तो बड़ी आसानी से समझ लेते हैं हम आपके चाहने वाले....
विजय जी,
ReplyDeleteजीवन में एकाध बार वैराग्य होता है, विरक्ती सिर पर नाचने लगती है, पर क्या कभी इंसान इस जीवनचक्र से मुक्ती पा पयेगा?
नही, हर वैराग्य के चरम पर फिर मोह लेता है जन्म और यह जीवनचक्र अनवरत शुरू रहता है।
कभी-कभी अल्पविराम ऊर्जा, स्फूर्ती देता है कभी आल्स्य भी। मैं भी श्री समीर लाल जी के साथ हूँ कि नैराश्य को तज अपनी कलम / कैमरा / कूंची उठाईये और शुरू हो जाईये...... द शो मस्ट गो ऑन......
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
mere khayal se ek do logon ke kuch kahne se likhna chodna galat hoga
ReplyDeleteaur shivkumar ji ne kitni achchi aur sachchi baat kahi hai..........aapko apne prashansakon ka dil dukhane ka hak nhi hai.........unke liye to aapko likhna hi hoga
Apne hamen apne blog par invite kiya aur khud chale gaye...chaliye fir ayenge.
ReplyDeleteमेरी कलम ही मेरा होंसला बन जाती है
ReplyDeleteग़म-ए-दुनिया कुछ लब्जों में कह जाती है
कलम की नोक पर हम विश्वास करते हैं
दर्द को सियाही समझ पल में पी जाती है
कुछ कहे गर दुनिया तो उसकी सोच है
हमने तो अपनी मंजिलें खुद ही तलाशी हैं...
दूसरो का दर्द जो हल्का करे दर्द में अच्छा नहीं लगता ......AKSHAY-MAN...
DEKHO HAMNE AAPKE DARD KO SHABDON MAIN BADAL DIYA ABHI..
ReplyDeleteAAP BHI HAMARE DARD KO KOI ROOP DEDO SHABDON MAIN BADAL DO....
UN SHABDON KA INTZAAR RAHEGA......
theek to hain na sir....???
ReplyDeletejahaan rahein...prasann rahein...
aaraam se aaiye
koi jaldi nahi hai...
Vijayji,
ReplyDeleteTippanee ke liye tahe dilse dhanyawaad !
Mere profile pe sabhi blog links hain..! Phirbhi aapko chand URL de rahee hun...inpe any links mil jayenge..jaise 'kavita' blog pe gar mere art work kee tasveer pe click karenge to art work khulega...kahanee blog pe click karnese kavita kaa bhee khulta hai...kavita ke up dated blog pe meree bindi lagee huee tasveer hai( us profile pe).
Asuvidha ke liye kshama prarthi hun...!
http://shamasnsmaran.blogspot.com
http://lalitlekh.blogspot.com
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http://shama-baagwaanee.blogspot.com
http://fiberart-thelightbyalonelypath.blogspot.com
( Is art work ke kuchh namoone apke dekhe bhale hain..!)
Filhaal aapke lekhan pe tippanee nahee de rahee hun...itminan se padh ke fir likhungi...
(pls anytha na len!kharab tabiyat ke karan aisa ho raha hai..!)
Aapkee wapasee kaa intezaar hai..anekon shubh kamnayen!
hmm alp viraam to theek hai balki aisa dour apne aap hi aa jata hai lekhan mein
ReplyDeletelekin aapne kashma ki baat kyu ki
man theek nahi hai to kuch din ghoom aaye lekin jald lout aaye aapke shabdon ke bina bahut kuch khali rah jaayega