तेरा नाम क्या है मेरे प्रेम ?
अचानक ही ये कैसे अहसास है
कुछ नाम दूं इसे
या फिर ;
अपने मौन के साथ जोड़ दूं इसे
किसी मौसम का नया रंग हो शायद
या फिर हो ज़िन्दगी की अनजानी आहट
एक सुबह हो ,सूरज का नया रूप लिये
पता नहीं …..
मेरी अभिव्यक्ति की ये नयी परिभाषा है
ये कैसे नये अहसास है
मौन के भी शब्द होतें है
क्या तुम उन्हें सुन रही हो .....
पलाश की आग के संग ...
गुलमोहर के हो बहुत से रंग
और हो रजनीगंधा की गंध
जो छा रही है मन पर
और तन पर
तेरे नाम के संग …..
तेरा नाम क्या है मेरे प्रेम ?
ये कैसे नये अहसास है
ReplyDeleteमौन के भी शब्द होतें है
क्या तुम उन्हें सुन रही हो .....
aah............in shabdon ne to jaadoo sa bhar diya hai.........prem sirf prem hota hai uska naam kab hota hai..........bas wo hi khojta firta hai insaan.
अच्छा लगा आपके ये भाव पढ़कर
ReplyDeleteपलाश की आग के संग ...
ReplyDeleteगुलमोहर के हो बहुत से रंग
और हो रजनीगंधा की गंध
जो छा रही है मन पर
और तन पर
तेरे नाम के संग …..
तेरा नाम क्या है मेरे प्रेम ?
सच कहा प्रेम का नाम नहीं होता है...
बेहद ही सुंदर रचना...
मीत
बहुत सुंदर भाव हैं।
ReplyDeleteकरवाचौथ और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
----------
बोटी-बोटी जिस्म नुचवाना कैसा लगता होगा?
maun behtar hai
ReplyDeleteअभिव्यक्ति की नई परिभाषा कहें या कोई पुरानी यादों का नया रूप जिसे आप व्यक्त कर रहें है.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा आपने..प्रेम की परिभाषा बहुत सुंदर समझाया आपने कविता के माध्यम से..
बढ़िया कविता..बधाई..
बहुत शानदार, लाजवाब.....वाह....
ReplyDeleteमैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ आपकी सारी टिप्पणियों के लिए! पर एक गुज़ारिश है कि मैं आपसे बहुत छोटी हूँ इसलिए मुझसे माफ़ी मत माँगा कीजिये! आप काम में शायद व्यस्त थे इसलिए मेरे ब्लॉग पर आ नहीं सके पर जब भी वक्त मिले मेरे ब्लॉग पर आते रहिएगा!
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!
thnx for the compliment n thnx to let me find dis very beautiful blog...
ReplyDeletemaine mann ki kavita kahi lekin aapne kavita ka mann padh liya...
bahut sundar rachnayein hain...
बहुत से नाम , बहुत से रंग, बहुत से रूप - सर्वत्र प्रेम !
ReplyDeleteरचना ने लुभाया बहुत । आभार ।
आपकी रचना को पढकर एक सीरियल याद आ गया। शायद पलाश के फूल नाम था उसका। आपकी रचना के भावों को पढकर आनंद आ गया। और हाँ सच ही कहा आपने "मौन के भी शब्द होते है।" सुंदर रचना।
ReplyDeleteमौन के भी शब्द होतें है
ReplyDeleteक्या तुम उन्हें सुन रही हो .....
जी हाँ मौन के बहुत सशक्त शब्द होते है
I can hear the sounds
With your singing dart.
Silence is the best speaker
Hear the sound by heart.
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता, एक सुंदर सा अहसास
ReplyDeleteधन्यवाद
करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाये,
बेहद भीनी-भीनी ख़ुशबुओं के दरिया में डुबोती हुई कविता।
ReplyDeletePyar ek aisa ehsaas hai, jiskee paribhasha karna mushkil hai..
ReplyDeletehamesha, Gulazar kee wo panktiya yaad aa jaatee hai,' hamne dekhee hai un aakhon ke mahktee khushbu, pyarko prar hee rahne do,koyee naam na do, haathse chhuke ise rishton ka ilzaam na do..'
Aapki tippanee ke shukrguzar hun...lekin naam likhneme kuchh gadabdee/galatfehmee ho gayee hai..mai kshama hun, shama nahee! Bura to nahee mana? Is kshma ko kshama kar den!
ये कैसे नये अहसास है
ReplyDeleteमौन के भी शब्द होतें है
क्या तुम उन्हें सुन रही हो
Sundar aur bhavpurn abhivyakti.Shubkamnayen.
प्रेम को तलाशती एक उम्दा रचना । पढ़कर अच्छा लगा ।
ReplyDeleteविजय जी
ReplyDeleteआप की ये रचना बहुत पसंद आयी...ऐसे ही लिखा करें...
नीरज
bahut hi khoobsurat kavita
ReplyDeletemoun ki zubaan hoti hai
jo sun pata hai wo sun leta hai
अच्छी लगी आपकी कविता.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है विजय भाई
ReplyDeleteसादर, स स्नेह,
- लावण्या
किसी मौसम का नया रंग हो शायद
ReplyDeleteया फिर हो ज़िन्दगी की अनजानी आहट
एक सुबह हो ,सूरज का नया रूप लिये
huzoor !!
subah ki suhaani oas mei bhigi hui
makhmalee aur sandalee rachnaa keh daali aapne....
har nayi aahat ko bolte-hue shabd mil gaye hoN jaise....
Neeraj bhai ki asheesh mil gayi
hai...samajho sb saarthak ho gayaa
badhaaee
---MUFLIS---
सुन्दर कविता है.
ReplyDeleteआपकी कविता पढ कर एक मशहूर गाना याद आ गया
"हमने देखी हैं इन आंखों की महकती खुश्बू... हाथ से छू के इसे रिश्तों का इलजाम न दो
सिर्फ़ अहसास है.. रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो
bhut sundar sabdo ma dhala ha........
ReplyDeleteये कैसे नये अहसास है
ReplyDeleteमौन के भी शब्द होतें है
क्या तुम उन्हें सुन रही हो
मौन के शब्द सिर्फ प्रेम ही सुन सकता है ।बधाइ इस सुन्दर कविता के लिये
कविता के साथ-साथ प्रतीक भी बहुत बढ़िया हैं।
ReplyDeleteबधाई!
आदरणीय विजय भाई
ReplyDeleteबहुत ही भाव-समपन्न कविता लिखी है आपने .बधाई!
आपकी ओर से हमेशा ऐसी ही भाव-समपन्न कविताओं की प्रतीक्षा रहती है:
आपकी कविता पढ़ कर मुझे भी एक ख़ूबसूरत शेर याद आ गया.
मेरे स्वर्गीय पिता मनोहर "साग़र" पालमपुरी साहब का है:
’प्यार अल्फ़ाज़ के घेरों में कहाँ होता है
प्यार होता है वहाँ दर्द जहाँ होता है’
कविता में काफी गहराई है, हम सरसरी नज़र से पढ़ गए.
ReplyDeleteअतः कुछ ख़ास नहीं लगी.
हमारी जल्दीपना ही दोषी अन्यथा आपकी हर कविता हमें एक नवीन दुनिया में ले जाती है, कहीं बादलों के पार, अनजाने देश में.
:)
पलाश की आग के संग ...
ReplyDeleteगुलमोहर के हो बहुत से रंग
और हो रजनीगंधा की गंध....
लाजवाब अभिव्यक्ति VIJAY जी ......... भाव पूर्ण रचना
प्रणाम गुरुबर काफी समय बाद आप के ब्लॉग पर आ पाया हूँ माफ़ी चाहूँगा इतने दिन ब्लोगिंग से दूर रहने के कारण ,,
ReplyDeleteमै ना जाने कितनी अमूल्य रचनाओं से दूर रहा पर आप की इस कविता ने जैसे अकेले ही उन सब की पूर्ति कर दी हो ,,
मै तो धन्य हूँ गयाम,,,
मेरा प्रणाम स्वीकार करे
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
खत्म हो जाते हैं मेरे लफ़्ज़ जहाँ,वहीं से शुरु होता है मेरे जज़्बात का सफ़र...,तो जाहिर है मौन तो होगा ही. यही मौन ही तो प्रेम की अनुभूति है. बहुत ही सुन्दर विजय जी...! आपकी रचनाओं को पढना हमेशा ही एक खूबसूरत अहसास से गुज़रने जैसा होता है. खुदा आपकी कलम को लम्बी उम्र बख्शे-यही दुआ है!
ReplyDeleteखूबसूरत रचना है विजय जी ...ऐसे ही लिखते रहें.
ReplyDeleteVijay bhai
ReplyDeleteYe kavita hai. padh kar achha laga. bus aise hee likhtey rahiye. Aap ko apni baat mein wazan paida kartey rehna hai.
badhaai
Tejendra Sharma
General Secretary
Katha UK, London
पारे की तरह चंचल भावों को बाँधना
ReplyDeleteमनभावन महक को अहसासो में कैद करना
भला आपसे अच्छा कौन जानता है?
बहोत ही बढिया|
ReplyDeleteअभिनंदन|
प्रेम भाव की अभिव्यक्ति, सब के लिए इतनी सरलता और तरलता से संभव नहीं है, जो सच्चा प्रेमी होगा, प्रेम में पगना जाना होगा उसी की ऐसी अभिव्यक्ति हो सकती है,
ReplyDeleteअच्छी प्रेमाभवाभिव्यक्ति है,
आपकी कविता के लिए शुभकामनाएं अर्पित करता हूं , सहजता से स्वीकार करेंगे,
आप का मिञ,
अरूण कुमार झा
मौन के भी शब्द होते - वाह विजय भाई। खूबसूरत भाव की रचना।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
विजय जी इस कविता मे प्रेम और उससे जुडे बिबिध अह्सास का काव्यमय चित्रण है
ReplyDeleteप्रेम को नाम की जरूरत ही नही है ये तो एक अहसास है जिसे जिया जाता है और याद किया जाता है. जैसे समन्दर की लहर का कोई नाम नही होता शीतल हवा का कोइ नाम नही होता, दिल की धदकन का कोई नाम नही होता.
विजय जी ,स्वप्न लोक में ले जाने वाली इस रचना के लिए बहुत बहुत बधाई .अरुण कुमार झा जी ने सही कहा है जो सच्चा प्रेमी होगा वही ऐसी रचना लिख सकता है .आप तो बस ऐसी ही प्रेमपूर्ण ,भावपूर्ण कविताएँ ही लिखा कीजिये .बधाई और शुभकामनायें .आपके लिए ,आपके प्रेम के लिए
ReplyDeletevijay ji,
ReplyDeletemaun mukhar ho utha hai...
sundar abhivyakti......badhai
nice creation
ReplyDeleteHappy blogging :)
priy Vijay ji
ReplyDeleteduniyadar nigahon mein to ye drishtta hai lekin kavita aur kaviyon se mere pyar ka ijhar kuchh isi dhang se ho pata hai. mujhe lagta hai kahin koi heera hai to uski trash mein koi kasar na rah jaye.
SAMVEDNA AUR ANUBHUTI AAPKI BAHUT GAHRI HAI. SHABD CHAYAN MEIN BHI KOI KAMI NAHIN. LEKIN AAPKI ABHVYAKTI SHABDMOH SE MUKT HONI CHAHIYE. JEEVAN HO YA KAVITA UNCHI UDAN KE LIYE VYARTH SE MUKT HONA PADTA HAI.
aapki is kavita "tera nam kya hai prem" ka shabd chyan karte huee mujhee panktiyan likhni hoti to kuchh yun hotin. yeh main isliey nahin likh raha ki main koi aapse shrsth hoon. balki mere pas to kalpna ka khana hi khali hai. jo ki aapkey pas prachurta mein hai. lekin shilp ke star par jo kuchh bhi alp sa meri jankari mein hai aapse sanjha kar raha hoon. anyatha na lein.
ACHANAK
YE SUBAH
NAYE SURAJ KE SANG
MOUSAM KA AJANA SA RANG
ABHOOJH YE AAHAT JAISEY..JINDGI
RAJNIGANDHA SE MAHKTEY
SHABD
GULMOHAR KE RANGON MEIN RANGEE
PLASH KI AAG SE
CHHAA RAHEY TAN MAN PAR
MOUN
ISEY KYA NAM DOON !
PREM !
(ab aap meri madad karein. ek to is comment ko devnagri mein kaisey convert kiya jaye? doosra ek achha blog kaise baney?--dhanyvad ke sath.)
मैं क्या कहूं...आपने बहुत ही उम्दा रचना की है! जिसे कई बार पढने का मन हुआ!
ReplyDeleteजारी रहें.
---
हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]
BHAI VIJAY JEE,AAPKEE IS KAVITA
ReplyDeleteMEIN SHABDON AUR BHAVON MEIN NIKHAR
HEE NIKHAR HAI.BHAVISHYA MEIN AAPSE
BAHUT HEE AASHAAYEN HAIN.ISEE TARAH
LIKHTE RAHIYE AUR MUN KO BHAATE R
RAHIYE.SHUBH KAMNAYEN.
ये कैसे नये अहसास है
ReplyDeleteमौन के भी शब्द होतें है
क्या तुम उन्हें सुन रही हो .....bahut shaandar rachana shabd man ko chhoote huye .
कविता इतनी अच्छी लगी कि फिर से पढ़ने चला आया । एक बार पुनः बधाई स्वीकारें । आभार
ReplyDeleteप्रेम की अद्भुत प्रस्तुति !! दिल को छू लेनेवाला अहसास
ReplyDeleteवाकई काबिलेतारीफ है !
बस इसी तरह लिख कर हमारा मार्गदर्शन करते रहिये
आपका ही मुकेश पाण्डेय "चन्दन"
माफी चाहूँगा, आज आपकी रचना पर कोई कमेन्ट नहीं, सिर्फ एक निवेदन करने आया हूँ. आशा है, हालात को समझेंगे. ब्लागिंग को बचाने के लिए कृपया इस मुहिम में सहयोग दें.
ReplyDeleteक्या ब्लागिंग को बचाने के लिए कानून का सहारा लेना होगा?
बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति है.
ReplyDeleteये कैसे नए अहसास हैं
मौन के भी शब्द होते हैं
क्या तुम उन्हें सुन रही हो
यदि प्रेम में पवित्रता, गहरायी, तल्लीनता और सच्चाई हो तो मौन के शब्द ध्वनि से कहीं अधिक असर करते हैं. टेलीपेथी की तरह काम करते हैं.
कविता लाजवाब है.
पलाश के आग के संग
गुलमोहर के हो बहुत से रंग
और हो रजनीगंधा की गंध
जो छा रही है मन पर
और तेरे नाम के संग
प्रकृति और भावों का सुन्दर सामंजस्य है.
बधाई.
इतने गुरूजनों की तारीफ़ के बाद तो कुछ कहने को शेष ही नहीं बचता विजय जी....प्रेम के निश्चल अहसासों में डूबी ये कविता विजय-लेखनी का जादू समेटे हुये है...
ReplyDeleteसुंदर !
अभिव्यक्ति की परिभाषा ...मौन के संग ....पलाश के रंग ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ...!!
तेरा नाम क्या है मेरे प्रेम ?
ReplyDeleteइस प्रश्न का जवाब कितने मनीषियों, दार्शनिकों, वैज्ञानिकों साहित्यकारों ने तलाशने की कोशिश की है मगर इसका अर्थ तो वही हृदय जानता है जो इसमे बस डूबने वाला है..मगर उसके पास फिर शब्द कहाँ..और फिर यह खूबसूरत अहसास
ये कैसे नये अहसास है
मौन के भी शब्द होतें है
क्या तुम उन्हें सुन रही हो .....
पूरी कविता एक खूबसूरत कैन्वस सी बन गयी है जिसमे हर रंग दूसरे को मात देता मालुम होता है..
पलाश की आग के संग ...
गुलमोहर के हो बहुत से रंग
और हो रजनीगंधा की गंध
जो छा रही है मन पर
और तन पर
बधाई
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
ReplyDeleteadbhut bhav ahsaas aur labzo ka sangam hai.
ReplyDeleteReally amazing
http://devendrakhare.blogspot.com
इन मौन के अहसासों से तो हर कोई गुजरता है पर इतनी खूबसूरती से अपने मौन को शब्द नहीं दे पाता कोई ...बेहतरीन रचना
ReplyDeleteगहरे अहसास से उपजी है कविता . बधाई.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दिल को छू लेने वाली रचना . बधाई .
ReplyDeleteIss Pyaar ko main kya naam doon....?
ReplyDeleteसच ही इतने दिग्गजों की टिप्पणियों के बाद मेरे लिये कुछ कहना सूरज को आइना दिखाना है पर फिर भी
ReplyDeleteप्रेम के अहसास की बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ती है ये ।
खास कर मौन के भी शब्द वाली बात दिल को भा गई ।
मौन ही प्रेम की सबसे बेहतर परिभाषा है जो नाम आपने दिए हैं प्रेम को ...बहुत खूबसूरत हैं ...
ReplyDeleteये कैसे नये अहसास है
ReplyDeleteमौन के भी शब्द होतें है
क्या तुम उन्हें सुन रही हो .....
अच्छी अभिव्यक्ति....भाव ने काफी आकर्षित किया साधू!!
recd. by email from Mr.Ramesh Vaidya..
ReplyDeleteDear Vijay,
very nice peom.
recd. by email from Mr.Shekhar Sony...
ReplyDeletewah wah kya bat hai
recd. by email from Mr. Kamal Sharma...
ReplyDeleteकविताएं देखकर ही लग रहा है आपका हौसला काफी ऊंचा है। हौसले के साथ साथ प्रोफेशनल हो जाइए।
कमल
recd. by email from Ms.Punita Thakur ..
ReplyDeleteVijay ji ,
Naman !
Aapaki rachana beshk prabhavit aur prerit karti hai.blog par pratikriya na de pane k liye khed hai.
punita
प्यार को प्यार कहो, तुम उसे कोई नाम न दो।
ReplyDelete----------
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ये कैसे नए अहसास हैं
ReplyDeleteमौन के भी शब्द होते हैं
क्या तुम उन्हें सुन रही हो
..बहुत खूबसरत अहसास और उससे भी सुंदर उनकी अभिव्यक्ति
आपको और आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteये कैसे नये अहसास है
ReplyDeleteमौन के भी शब्द होतें है
क्या तुम उन्हें सुन रही हो .
कितना सुखदाई है ये मौन, जो मौन हो कर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा गया
आप के ब्लॉग तक पहुचने में मुझे वक्त लगा पर अब ये सिलसिला जारी रहेगा
आभार
kyaa baat hai....?
ReplyDeleteek dum naye ehsaas ke saath likhi gayi hai yeh khoobsoorat kavita.......
ReplyDeletedil ko chhoo gayi.........
ये कैसे नये अहसास है
ReplyDeleteमौन के भी शब्द होतें है
क्या तुम उन्हें सुन रही हो .....
:) :) :)
बहुत मासूम सा है आपका यह सवाल। इसपर प्रेम ही क्या नफरत भी फिदा हो जाए।
ReplyDelete------------------
और अब दो स्क्रीन वाले लैपटॉप।
एक आसान सी पहेली-बूझ सकें तो बूझें।
जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं....!
ReplyDeleteविजय कुमार सप्पत्ति जी .... जन्मदिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ .....
ReplyDeleteरंगों की खुशबू और खुशबू के रंग, बस. कुछ कविता से और फिर अब 76 comments पढ़ लेने के बाद निःशब्द हूं.
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