Tuesday, August 3, 2010

सर्द रातें



सर्द रातें

इन सर्द रातों में ,तुझे कुछ याद हो न हो .....
मुझे तो सारी बातें याद है.......
अब तक ,  
जो तेरे - मेरे साथ गुजरी , और जो नही गुजरी ...
वो सब कुछ याद है ...

ऐसी ही एक सर्द रात थी , जब हम कहीं मिले
और एक मुलाकात से दुसरे मुलाकात की बात बनी ..

ऐसी ही एक सर्द रात में तेरे आंसुओ ने मुझे भिगोया था ..
और सारी रात हमने कोई पुरानी सी ग़ज़ल सुनी थी ..

ऐसी ही एक सर्द रात में हमने रात भर आलाव तापा था ,
और ज़िन्दगी की राख की आग को अपने जिस्मो पर सहा था......

ऐसी ही एक सर्द रात में हमने वो पुरानी कसमे खायी थी ..
जिनमे मिलने और मिलकर साथ रहने की बातें होती है ..

ऐसी ही एक सर्द रात में ;
तुमने मेरा हाथ एक अँधेरी सड़क के सूने मोड़ पर छोडा था ..
और मैं तन्हाई का तमाशबीन बन कर रह गया था ..

और उस सर्द रात से , आज तक ;
मुझे हर रात , सर्द रात नज़र आती है ..
मैं तुम्हे याद करता हूँ और ;
अपने आंसुओं से ओस की बूंदे बनाता हूँ...

खुदा जाने , तुम्हे अब ये रातें सर्द लगती है या नही ..
खुदा जाने , तुम्हे अब मेरी याद आती है या नही....
खुदा जाने , अब किसी सर्द रात को हम दोबारा मिलेंगे या नही ...

आज की रात बहुत सर्द है ..
मालूम होता है ,
तेरी यादो के साथ मेरी जान लेकर जाएँगी...
तब शायद,  
किसी सर्द रात को ,  
तुम्हे मेरी याद आयें......


60 comments:

  1. Badi anoothee rachana hai yah!

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  2. आज की रात बहुत सर्द है ..
    मालूम होता है ,
    तेरी यादो के साथ मेरी जान लेकर जाएँगी...
    तब शायद, किसी सर्द रात को , तुम्हे मेरी याद आयें......
    बेहद दर्दभरी ............दर्द की इंतिहा हो गयी………कुछ भी कहने मे असमर्थ महसूस कर रही हूँ। दोबारा आउंगी तब शायद कुछ कह पाऊँ।

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  3. सर्द रातें तो विचार प्रवाह रोक देती हैं। उसी पर कविता। वाह।

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  4. बहुत खुब लगी आप की यह सुंदर रचना, धन्यवाद

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  5. भावनाओं का तीव्र प्रवाह.................

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  6. खूबसूरत रचना ,अच्छी अभिव्यक्ति ।

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  7. वाह सर्द रातों को आने में अभी तो समय है ....ऋतुकाल के हिसाब से । रचना की सरलता ने मोहित कर दिया ....बहुत सुंदर । शुभकामनाएं

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  8. ऐसी ही एक सर्द रात में तेरे आंसुओ ने मुझे भिगोया था ..
    और सारी रात हमने कोई पुरानी सी ग़ज़ल सुनी थी ..

    ye panktiyan bahut pasnd aayi...
    Bahut sundar rachana likhi ha aapne ...bahut2 badhai..

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  9. विजय जी,
    कहा था ना फिर आऊँगी……………
    ऐसी ही एक सर्द रात में ;तुमने मेरा हाथ एक अँधेरी सड़क के सूने मोड़ पर छोडा था ..
    और मैं तन्हाई का तमाशबीन बन कर रह गया था ..
    मगर आज भी लग रहा है जैसे कुछ भी कहने मे असमर्थ हूँ……………॥बस इतना ही कह सकती हूँ आज फिर उसी रंगत मे आप वापस आ गये हैं जिसके लिये जाने जाते हैं।

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  10. कितनी सहजता से कह दिया कितना कुछ

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  11. sard raaten bahut marmik aur prabhavshali rachnahai, bahut-bahut badhai

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  12. recd by email from Mr. D. Darpan ....

    aap kee kvitaen parhee - khoob - achhee kageen - likhte raho aur esee terh logo teek phuchate raho - www.charchapunjab.com dekhna

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  13. recd. by email from mr. Dhananjay

    विजयजी,
    कविता का अंत बहुत ही सुन्दर है...
    मुबारक. लिखते रहिये. शुभकामनाओं के साथ,
    धनंजय.

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  14. recd. on FB from mr. vasu

    Kan Vas Very nice, touching and worth reading - Vasu in New York

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  15. विजय भैया ये कविता तो बहुत ही विस्फोटक बन गयी है। तखल्लुस में आप जावेद अख़्तर साहब के एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा... के छंद को छू गये हैं। मुझे ऐसा लग रहा है कि आपमें कहीं से कोई रूहानी ताकत आ गयी है, जो आपसे इतनी उम्दा शायरी करवा रही है।

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  16. मन को छूने वाली रचना है। विजय जी आपने तो कमाल का रचा है। बहुत खूब। ऐसे ही लिखते रहिए।

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  17. आपकी इस कविता ने पाकीज़ा की याद दिला दी:
    आज की रात वो आये हैं बड़ी देर के बाद,
    आज की रात बड़ी देर के बाद आयी है।

    काव्‍य में रात का तसव्‍वुर बहुत भीगा हुआ होता है और आपकी कविता में यह पूरी तरह नखिर कर आया है। बधाई।
    आपकी सर्द रातों पर एक शेर अर्ज है कि:
    मैनें माना कि बहुत सर्द हैं रातें, लेकिन
    तुम्‍हारी याद की चादर में कट ही जायेंगी।

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  18. इस कविता को पढ़ कर गुजरे दिनों में हो आया। यह कविता नहीं बल्कि व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर लिखी गई एक खूबसूरत रचना है।

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  19. sard raton ki ye garmahat deti yadain
    jo tumne keh di kuch aisi batain kuch ashaq pighal ke gire yuin the
    jab tumhare labon ko chuti meri garam sasain..
    sir bas itna kehna chahuinga sard raton main garmagat ka ehsaas deti hain aapki rachnaye......

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  20. प्रिय विजय जी, आपकी इस रचना को पढ़कर तो कहना पडेगा, प्रेम में होना.. बस विजय कुमार sappatti होना है..तरल मौसम की उमस भरी रातों में सर्द रातों का यह गुनगुना जिक्र भा गया भाई!!

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  21. सर्द रातें,
    सर्द एहसासात
    सर्द यादें
    सर्द ठिठुरन
    सर्द रिश्ते और
    टिप्पड़ी भी सर्द
    ये कैसी सर्द रूमानियत है !!!!!!

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  22. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति है....

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  23. itne gunee aur vidwaan sahitaykaaroN kee tipaaniyoN se zaahir hai k kaavya-rachnaa bahut
    prabhaavshali hai...
    hm sb ke chahete kavi
    Vijay Sappati ki salaam !!

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  24. आज की रात बहुत सर्द है ..!!
    -----------------------------
    और ज़िन्दगी की राख की आग को अपने जिस्मो पर सहा था......

    कितनी सहजता से कह दिया कितना कुछ !!
    yahi to hai vijay ji ki pahchan. :-)

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  25. बहुत ही सुन्दर कविता है जैसा कि इस ब्लॉग का शीर्षक है-कविता के मन से उसी के साथ आपकी ये कविता मेल खाती हैं। आपको इसके लिए बधाई हो। इतने सरल ढंग से आपने मन की भावनाओं को अभिव्यक्ति दी हैं जो सच में काबिले तारीफ है। इस तेज भागती जिन्दगी में भी आज मनुष्य इन बीते पलों को याद कर पा रहा है...बड़ा अच्छा है....

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  26. ऐसी ही एक सर्द रात में ;तुमने मेरा हाथ एक अँधेरी सड़क के सूने मोड़ पर छोडा था ..
    और मैं तन्हाई का तमाशबीन बन कर रह गया था ..

    aisa laga..sab kuch guzarta hua apne saamne dekh liya.

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  27. इस यांत्रिक जिंदगी में भी कोई है जो अपनी यादों में जीना चाहता है | सुंदर अभिव्यक्ति , लिखते रहें......

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  28. Awesome lines.. stoped my thinking this time..

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  29. आपको आपके सदा बहार रंग में वापस देख कर बहुत ख़ुशी हुई...ऐसी रचनाएँ ही आपसे अपेक्षित हैं...सर्दियों में गिरती बर्फ की रुई के फाहों की तरह...कोमल मोहक दिलकश...लिखते रहें...

    नीरज

    The appearance of your Blog is quite impressive now...I wanna say...WoW...

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  30. सर्द रातों का सर्दिला अहसास। सचमुच एक गहरी अंधरी ऐसी खोह में हमें ले जाते हैं, जहां कल्‍पना भ्‍ज्ञी बेबस नजर आती है। कोई इतनी पीड़ा झेल सकता है भला? रचना सचमुच कुछ सोचने को विवश करती है। आपकी अनुभूतियां जागती रहे और हमें ऐसी ही उत्‍कृष्‍ट रचनाओं का लाभ मिले, यही कामना
    डॉ: महेश परिमल

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  31. recd by email from mr.Swarn

    so nice of your poem and you

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  32. recd by email from संपादक (सृजनगाथा)



    बधाई

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  33. बधाइ। कभी हममें तुम में करार था/ तुम्हें याद हो न के याद हो :)

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  34. very thrilling expressions...

    regards

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  35. वाह, विजय भाई! कितनी गर्माहट है सर्द रातों की अभिव्यक्ति में!!

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  36. recd by email from Mrs Shilpa .

    Bhai Shri vijayji,

    Namaste,

    Sard raatein - aapki kavita to achhi hai, dard se bhari hui, yaadon ki
    shabname samete hue.magar ek gujarish hai aapse - please marne ki baat
    na kare. Take care.Shubhkamnaye.

    Regards,
    Shilpa

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  37. recd by email from Mr.bhupendra tyagi

    It's nice. Keep it up.
    regards,
    bhuvendra tyagi

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  38. सर्द रातें....वाह....
    भावुक अभिव्यक्ति...

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  39. Vijay ji,

    Kavitaon ke man se jo kuch kaha aapne ekdam dil ke paas pahunchi..ek badhiya ehsaas bhari rachana....

    sundar bhav ke liye badhai

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  40. recd. by email from Mr.Swapnil Bhartiya.

    विजय जी,

    आप अच्छी कवितायें लिखते हैं। मेरी राय है कि आप कल्किआन हिंदी मे अपनी रचनाये भेजें।

    साभार
    स्वपनिल भारतीय

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  41. bahut hi pyari si rachna hai...
    acha laga apki post pad kar..
    likhte rahiye....

    Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....

    A Silent Silence : Zindgi Se Mat Jhagad..

    Banned Area News : Trains cancelled, re-scheduled due to derailment

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  42. Very few poets are left with this kind of sensibility about love, longings, pain and separation. Very nice!
    Looking forward,
    Sunil Sharma

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  43. aapki kavita gulzar ki ek nazm ...........raat bhar sard hawa chalti rahi..raat bhar hamne alaaw tapa ........se kafi prabhavit hai....hai na??

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  44. sir, what an writting.....bahut hi khub....likhte rahiye.....thanks to give to read one best of the best poem....

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  45. बहुत-बहुत बधाई ! आपकी हर रचना की तरह यह भी बहुत खूबसूरत लगी.सर्द रात के घटना क्रम ने हमे भी भिगो दिया है कविताओ के मन से!!!!

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  46. bahut hee achchhee kavitaa hai , ek tarah se poorn chhand hai |

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  47. सर्द रात, सर्द रात और सिर्फ रात.
    जो कुछ हुआ, सर्द रात में हुआ.
    जब मिले, सर्द रात में मिले.
    जुदा हुए, तब भी सर्द रात थी.
    फिर...आज भी सर्द रात है.
    इतनी
    सर्द रातें खुले में गुजरने के बाद.....
    फिर सर्द रात ही जान लेकर जाएगी,
    निमोनिया रोग ही ऐसा है.
    आखिर गर्म या भीगी रातों में आपको क्या हो जाता था, रोमांस अगर सिर्फ शीत ऋतु में ही आप तक होता था तो फिर किसी मनोचिकित्सक की सलाह लें.

    सर्द रात...सर्द रात...सर्द रात का राग अगर कविता से निकल जाए तो कविता अच्छी बन सकती है लेकिन रचनाकार का सर्द रात से ऐसा मोह!!!

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  48. अची भावपूर्ण कहानी.

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  49. लगता हॆ-सर्द रातों ने आपको बहुत कुछ दिया हॆ.भावों की सुंदर अभिव्यक्ति हॆ-आपकी यह कविता.शुभकामनायें!

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  50. recd by email. from Mr. Khanna...

    आपकी रचना पढ़ी , अच्छी लगी । लिखते रहेँ बधाई !.................खन्ना मुजफ्फरपुरी

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  51. दोस्तों ,

    आप सबके प्यार भरे कमेंट्स का मैं शुक्रगुजार हूँ .

    धन्यवाद.

    आपका

    विजय

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  52. bahut hi sunder rachna hai...
    or iss mai bhav wah bahut khub....
    dhanyevad...

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  53. RECD BY EMAIL FROM RISHABHA DEO

    अच्छी कविता की रचना पर बधाई!

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