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एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता
घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...
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घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...
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मिलना मुझे तुम उस क्षितिझ पर जहाँ सूरज डूब रहा हो लाल रंग में जहाँ नीली नदी बह रही हो चुपचाप और मैं आऊँ निशिगंधा के सफ़ेद खुशबु के साथ और त...
Kisi bahut pyari dost ki yaad dila gaya ye gaana jiska ye pasandeeda song tha.. thnx for sharing :)
ReplyDeletevery heartouching sir...nice
ReplyDeleteBahut pyara geet!
ReplyDeleteयादों की कैद मे गिरफ़्त …………आह! अब क्या कहें।
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