दोस्तों, नमस्कार .
जबलपुर ब्लॉगर सम्मलेन मेरे लिए मात्र एक सम्मलेन ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ रहा ..मित्रता और प्रेम और आत्मीयता और स्नेह से भरे हुए दो दिन कैसे गुजरे , पता ही नहीं चल पाया. इसकी शुरुवात हुई , जब मैंने समीर जी से मिलने की इच्छा जाहिर की और फिर जबलपुर जाने का प्रोग्राम बन गया . फिर मुझे पता चला की भाई मैं मुख्य अतिथि हूँ तो मेरे होश उड़ गए क्योंकि , मैं कभी किसी सभा और गोष्टी में नहीं जाता हूँ.. पर समीर जी और दुसरे सारे दोस्तों से मिलने की ललक ने मुझे वहां पहुंचा दिया . इस सम्मलेन के लिए मैं समीर जी का धन्यवाद दूंगा.
१ दिसम्बर की शाम को होटल में पहुंचा और वह मेरा स्वागत गिरीश जी और ललित जी ने किया , फिर शाम होते होते बवाल जी , विजय जी और समीर जी पहुंचे , फिर महेंद्र जी , संजय जी, प्रेम जी , विवेक जी , राजेश जी पहुंचे और फिर एक दुसरे से परिचय हुआ .. थोड़ी देर में सम्मलेन शुरू हुआ. हम तीनो को [ मुझे , ललित जी और अवदिया जी को ] सम्मान पत्र दिया गया . मुझे बहुत ख़ुशी हुई . बाद में कई मित्रो से परिचय भी हुआ और फिर हम सबने अपनी अपनी बाते रखी .
समीर जी एक बात ने मुझे बहुत प्रभावित किया की ,हमें अपना ब्लॉग्गिंग का आचरण अच्छा रखना चाहिए , क्योंकि , भविष्य में यदि हमारे पोते,नाती , हमारे बारे में जाने [ अगर हमने कुछ गलत लिखा है तो ] तो क्या होंगा .
मैंने भी तीन बाते कही . [१] ब्लॉग्गिंग ,गाँव के चौपाल की तरह होना चाहिए , जहाँ स्वस्थ समाज का निर्माण होता हो , न की पान की दूकान , जहाँ जिसके जी में जो आया बोल दिया . [२] ब्लॉग्गिंग प्रेम, दोस्ती ,भक्ति इत्यादि अच्छे गुणों का extension होना चाहिए न की समाज के बुरे गुणों ,जैसे की ताने देना , छींटा कशी करना इत्यादि गुणों का extension .. [ ३] ब्लोग्गेर्स में जो प्रेम भाव और भाई चारा रहता है वो काबिले तारीफ है और इस प्रेम को ख़त्म नहीं करना चाहिए .
मैंने तो जल्दी से अपनी बाते कह दी , क्योंकि मुझे mike से वैसे भी डर ही लगता है.. सारे मित्रो ने अच्छी अच्छी बाते कही , जो की गिरीश भाई ने अपने ब्लॉग में लिखी है .
शाम को मेरी , बवाल जी की , ललित जी , अवदिया जी की मण्डली में गाने का और कव्वाली का प्रोग्राम पेश किया , याने की कहने वाले भी हम थे और सुनने वाले भी हम ही थे.. बवाल जी की आवाज का जादू चल गया .. उनकी एक कव्वाली ने मुझे पर ऐसा सूफियाना जादू चलाया की मैं सूफी नाच , नाचने लगा .
दुसरे दिन ललित जी ने मुझे धर्म पर कई बात सुनाई . मुझे बहुत अच्छा लगा. अवदिया जी ने हिंदी पर मुझे बहुत कुछ बताया.
हम सभी भेडाघाट घूमने पहुंचे .. वहां नाव की सैर में हमने फिर गाना गाया . मज़ा आ गया
और फिर बवाल जी ने एक शानदार dish हमे खिलाई -- गक्कड़ भरता और दाल .. वाह वाह ..
और फिर बवाल जी ने एक शानदार dish हमे खिलाई -- गक्कड़ भरता और दाल .. वाह वाह ..
शाम को विजय जी ने अपनी कुछ रचनाये सुनाई , बहुत आनंद आ गया ; specially उन्होंने एक इंग्लिश और हिंदी मिक्स रचना सुनाई ..
और रात को , मैं और बवाल जी ने अपना समां बाँधा , कविता, कव्वाली, ब्लॉग्गिंग, गाना ... बस महफ़िल रात तक जमी रही .. सोचिये वो मेरी एक कविता ; समीर जी को देर रात को अपनी आवाज में सुनाये और समीर जी भी जवाब में अपनी एक कविता हमें सुनाये.. वाह वाह .. बवाल जी कि आवाज का मैं ऐसा कायल हुआ की मैंने ज़िन्दगी में पहली बार किसी को अपनी कविताओ की किताब दे दी .. मैं उनसे अपनी कविताओ को सुनना चाहूँगा .
सुबह , विजय जी अपनी पत्नी के साथ मुझे एअरपोर्ट छोड़ने आये , मन स्नेह से भर गया ..
जबलपुर मेरे लिए वैसे ही बहुत ख़ास है . अपने बहुत सी प्रेम कविताये मैंने यही लिखी है . और अब तो सारे जबलपुरिया ब्लोग्गेर्स ने मुझे अपना लिया है तो मुझे कहने के लिए कुछ नहीं बचता .
मैं इस प्रेम और अपनत्व के लिए सारे मित्रो का धन्यवाद देना चाहूँगा . और बार बार उन सब से मिलना चाहूँगा ..
मैं इस प्रेम और अपनत्व के लिए सारे मित्रो का धन्यवाद देना चाहूँगा . और बार बार उन सब से मिलना चाहूँगा ..
मुझे समीर जी का soft spoken style . , महेंद्र जी का बोलने का style , गिरीश जी का public speaking , विजय जी का अपनत्व और स्नेह , राजेश जी का कार्टूनिंग , बवाल जी की दिलकश आवाज , तथा दुसरे सारे मित्रो का संग बहुत याद रहेंगा .
मैं कुछ photos डाल रहा हूँ .. राजेश जी का बनाया हुआ कार्टून भी है .
मैं उन सभी मित्रो को दिल से धन्यवाद देता हूँ और जल्दी से फिर से मिलने की इच्छा रखता हूँ .
प्रणाम
आपका जबलपुर आना, आपसे मिलना, आपको जानना, आपको सुनना सभी कुछ बहुत सुखद और यादगार रहा..
ReplyDeleteनिश्चित ही पुनः मुलाकात होगी.
एक सुखद एहसास की तरह सुकून दे रही है आपकी पोस्ट !
ReplyDeleteधन्यवाद !
सम्मेलनों का यही माहौल बना रहे।
ReplyDeleteबढ़िया रिपोर्ट ....
ReplyDeleteमन मिल रहे हैं
ReplyDeleteनम हो रहे हैं
यह नम्रता कायम रहे
प्रसार/प्रचार इसका
विस्तृत संसार जिसका
आओ बंधु, गोरी के गांव चलें
छिपी हुई कलियों यानी छिपकलियों का कहना है कि बिन बोले अब मुझे, नहीं कहना है
ReplyDeleteफालोअप कमेंट्स पाने के लिए दूसरी टिप्पणी करने को मजबूर हुआ हूं।
इन सम्मेलनों के मौसम में.... इस मानिटर पर सबको हँसते-मुस्कुराते - गाते देखना भी सुखद है.
ReplyDeleteबढिया अहसास करवाती पोस्ट.
बहुत ही बढिया और यादगार लम्हे रहे होंगे ये तो आपकी अदायगी से ही पता चल रहा है मगर ये तो बताइये अकेले अकेले दाल बाटी का स्वाद ले लिया …………अबकी बार जब किसी सम्मेलन का आयोजन करें तो ये दाल बाटी आप ही बनवाना ताकि बाकि भी लुत्फ़ उठा सकें………………बहुत अच्छा लगा पढकर्।
ReplyDeleteYah mere liye soubhagy ka din tha
ReplyDeleteआपसे मिलकर बहुत ही प्रसन्नता हुई और आपका स्नेह भाव हमेशा याद रहेगा.... आभार
ReplyDeleteआपका स्नेह भाव हमेशा याद रहेगा.... आभार
ReplyDeleteआपका पोस्ट पढ़कर और चित्रों को देखकर आपके साथ गुजरे पल पुनः आँखों के समक्ष आ गए!
ReplyDeleteवाह चित्र व स्केच भी उतने ही सुंदर हैं
ReplyDeleteसुंदर चित्र .. अच्छी रिपोर्टिंग !!
ReplyDeleteमित्र विजय सप्पत्ति जी
ReplyDeleteस्नेहाभिनंदन
जबलपुर की ब्लोगिंग कार्यशाला के पश्चात अब तक की स्थानीय, प्रांतीय, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अभिव्यक्तियों से यह तो स्पष्ट हो गया है कि कार्यक्रम व्यवस्थित एवं निर्विघ्न संपन्न हो गया. कार्यशाला के पश्चात कोई विवाद उत्पन्न नहीं हुए.
मैं उन सभी अभिमतदाताओं का हृदय से आभारी (ऋणी) हूँ जिन्होंने इस कार्यशाला और रिपोर्ट को हाथों हाथ लिया प्रशंसा की. विजय जी की पोस्ट से भी यही बात उभर कर सामने आई है. कार्यक्रम तो होते रहते हैं परन्तु उसमें यदि स्नेह का छोंक भी लग जाए तो ऐसा ही आभास होता है जैसे विजय जी ने अपनी इस पोस्ट में भाव व्यक्त किये हैं.
विजय जी स्वयं एक अच्छे इंसान हैं इस लिए भी
उनको यहाँ अच्छा लगा. मेहमानों को अपनत्व देना भारतीय संस्कृति का अंग है, हमने तो मात्र इसका निर्वहन ही किया है. विजय जी हम विश्वास दिलाते हैं कि भविष्य में भी हमें आप ऐसा ही पाओगे. इतनी अच्छी और आत्मीय पोस्ट के लिए हम आपके आभारी हैं.
- विजय तिवारी "किसलय " जबलपुर.
बढ़िया रिपोर्ट.आभार.
ReplyDeletedear sir aap se mil kar bahut hi aacha laga .dobara jabalp[ur kab aa rahe hain ......
ReplyDeleteaapse milkar kafi achchha laga. fir mulakaat ho,yahi prabhu se kamna hai.
ReplyDeleteपढ़कर बहुत अच्छा लगा, विजय जी.
ReplyDeleteजहां जहां बहते हैं समीर भाई
ReplyDeleteवहां विवाद नहीं
संवादों की हवा बहती है
विजय भाई।
गहरी अभिव्यक्ति.................
ReplyDeleteबहुत अच्छी रपट और तस्वीरें
ReplyDeletegood report and lovely photos... thank you very much!
ReplyDeleteआपकी पोस्ट बहुत ही कमाल की है और सरे चित्र भी लाजवाब हैं ... आपके माध्यम से चर्चा पढना बहुत अछा लगा विजय जी .....
ReplyDeleteसुन्दर रिपोर्ट........सुन्दर रिपोर्ट
ReplyDeleteसभी को स्नेहमिलन पर हार्दिक शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteविजय भाई, आपकी दी हुई क़िताब में खो गया था। बहुत यादगार रहेगा आपका आना और सच पूछिए बहुत उदास कर गया आपका जाना। मैंने जानबूझ कर फ़ोन वगैरह भी नहीं किए। दिल को संभाल पाना आसान नहीं रहा अब। दोस्तों से दूरियाँ सह पाने की हिम्मत टूट चली है अब। अगले माह लाल फिर चले जाएंगे। खै़र जल्द मुलाक़ात हो इसी दुआ के साथ।
ReplyDelete