माँ को मुझे कभी तलाशना नहीं पड़ा;
वो हमेशा ही मेरे पास थी और है अब भी .. !
लेकिन अपने गाँव/छोटे शहर की गलियों में ,
मैं अक्सर छुप जाया करता था ;
और माँ ही हमेशा मुझे ढूंढती थी ..!
और मैं छुपता भी इसलिए था कि वो मुझे ढूंढें !!
....और फिर मैं माँ से चिपक जाता था ..!!!
अहिस्ता अहिस्ता इस तलाश की सच्ची आँख-मिचोली ,
किसी और झूठी तलाश में भटक गयी ,
मैं माँ की गोद से दूर होते गया ...!
और फिर एक दिन माँ का हाथ छोड़कर ;
मैं ; इस शहर की भटकन भरी गलियों में खो गया ... !!
मुझे माँ के हाथ हमेशा ही याद आते रहे .....!!
वो माँ के थके हुए हाथ ,
मेरे लिए रोटी बनाते हाथ ,
मुझे रातो को थपकी देकर सुलाते हाथ ,
मेरे आंसू पोछ्ते हुए हाथ ,
मेरा सामान बांधते हुए हाथ ,
मेरी जेब में कुछ रुपये रखते हुए हाथ ,
मुझे संभालते हुए हाथ ,
मुझे बस पर चढाते हुए हाथ ,
मुझे ख़त लिखते हुए हाथ ,
बुढापे की लाठी को कांपते हुए थामते हुए हाथ ,
मेरा इन्तजार करते करते सूख चुकी आँखों पर रखे हुए हाथ ...!
फिर एक दिन हमेशा के हवा में खो जाते हुए हाथ !!!
आज सिर्फ माँ की याद रह गयी है , उसके हाथ नहीं !!!!!!!!!!!
न जाने ;
मैं किसकी तलाश में इस शहर आया था ....
कुछ तलाश उम्र भर खत्म नही होतीं.........वेदना का मार्मिक चित्रण्…………इससे ज्यादा नही कह सकती।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (9-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
भावों में बहा ले जाती हैं ये पंक्तियाँ।
ReplyDeletebhut hi khubsurat aur bhaavpur abhivakti hai... happy mothers day...
ReplyDeleteमाँ की तलाश बहुत ही मार्मिक और भावनात्मक रचना के रूप में प्रकट हुई. शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteबहुत हृदयस्पर्शी पोस्ट ...
ReplyDeleteकितनी प्यारी कविता ....सभी प्यारी प्यारी ममाओं को हैप्पी मदर्स डे
ReplyDeleteबहुत गहन!!
ReplyDeleteमातृ दिवस की शुभकामनाएँ, मित्र.
मैं छुपता भी इसलिए था कि वो मुझे ढूंढें !!
ReplyDeleteन जाने ;
मैं किसकी तलाश में इस शहर आया था ....maa dhoondh nahi saki , main chhupa raha ... ab maa ko kahan dhoondhun
मेरा इन्तजार करते करते सूख चुकी आँखों पर रखे हुए हाथ ...!
ReplyDeleteबचपन की लुकाछिपी बच्चों के बड़े होते माँ के लिए एकतरफा रह जाती है ...
बहुत गहन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteमाँ तो हमेशा साथ ही होती है ... पर तलाश फिर भी निरंतर रहती है ...
ReplyDeleteमार्मिक अभिव्यक्ति .............
ReplyDeleteमाँ हमेशा बच्चों के साथ रहती है .....जीवन के साथ भी -जीवन के बाद भी
विजय भाई माँ माँ होती है वो कभी दूर हो नही सकती। जहाँ भी होती है वहीं से उसके हाथ आशीर्वाद दे रहे होते हैं। मां जैसा कोई नही।
ReplyDeletebahut gahree hai aapkee rachna me vijay ji..nishabd hun..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखते है आप विजय जी । पहली बार आपके ब्लोग पर आया हूँ ..बहुत अच्छा लगा…
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है..भावनात्मक रचना ..शुभकामनाएँ.
ReplyDeletebahut hi bhavnatmak rachna vijay ji
ReplyDeleteshubhkamnayen.
hridaysparshi rachna!
ReplyDeletevery beautiful
ReplyDeleteBhut hi sunder chitran sir ,,,, really very heart touching sir ... sach me is dunia me"MAA" bhut hi acchhi satthi hoti hai hmari ... really very nice sir ...
ReplyDeletepriyanka trivedi.