और सफ़र अभी भी जारी है........
जब भी मैं अपने सफ़र को देखता हूँ तो
कुछ और नजर नहीं आता दूर दूर तक ......!
ज़िन्दगी अब एक लम्बी सुरंग हो चुकी है ....
जिसकी सीमा के पार कुछ नज़र नहीं आ रहा है ...
कहीं ; कोई रौशनी का दिया नहीं है..!!
मैं तेरा हाथ पकड़कर चल रहा हूँ ..
अनवरत ....किसी अनंत की ओर .....;
जहाँ ,किसी आखरी छोर पर ; हमें कोई खुदा मिले
और अपनी खुली हुई बाहों से हमारा स्वागत करे....!!
मैं अक्सर नर्म अँधेरे में तेरा चेहरा थाम लेता हूँ,
और फिर हौले से तेरा नाम लेता हूँ.
तुझे मालूम होता है कि , मैं कहाँ हूँ !!!
तू मुझे और मैं तुझे छु लेते है ........
मैं चंद साँसे और ले लेता हूँ ;
कुछ पल और जी लेता हूँ ...!!
.....इस सफ़र के लिए ... तेरे लिये !!!
अक्सर रास्ते के कुछ अनजाने मोड़ पर
तुम रो लेती हो जार जार ....
मैं तुम्हारे आंसुओ को छु लेता हूँ.....
जो कि ; जन्मो के दुःख लिए होते है
और कहता हूँ कि; एक दिन इस रात की सुबह होंगी !
तुम ये सुन कर और रोती हो
क्योंकि जिस सुरंग में हम चल रहें है
वो अक्सर नाखतम सी सुरंगे होती है ...!
मुझे याद आता है कि ;
ज़िन्दगी के जिस मोड़ पर हम मिले थे
वो एक ढलती हुई शाम थी
वहां कुछ रौशनी थी ,
मैंने डूबते हुए सूरज से आँख-मिचौली की
और तुझे आँख भर कर देख लिया ...
और तुझे चाह लिया ; सच किसी खुदा कि कसम !!!
और तुझे 'तेरे' ईश्वर से इस उम्र के लिये मांग लिया !!!
तुझे मालुम न था कि इस चाह की सुरंग
इतनी लम्बी होंगी
मुझे यकीन न था कि मैं तेरे संग
इसे पार न कर पाऊंगा
पर हम तो किस्मत के मारे है ...!!!
कुछ मेरा यकीन , कुछ तेरी चाह्त ,
कुछ मेरी चाहत और तेरा यकीन
हम सफ़र पर निकल पड़े .......!!
ज़िन्दगी की इस सुरंग में चल पड़े ...!!!
और सफ़र अभी भी जारी है........!
जारी है ना मेरी जांना !!!!!
कुछ सफ़र उम्र के बाद तक चलते हैं
ReplyDeleteकिसी अगले मुकाम के लिये
शायद कहीं कोई नया जहान हो
इंतज़ार मे पलकें बिछाये
और रूह को सुकून आ जाये
या जो अनवरत यात्रा है
वो विश्राम पा ले
या मिल जाये वो खुदा वहाँ
और लिख जाये हथेलियों पर
अपने अपने खुदा का नाम
जिसमे एक नाम पर
ज़िन्दगी हो
और दूसरे पर मोहब्बत
अब इसके बाद कुछ कहने को नही है मेरे पास विजय जी
विजय जी, जिन्दगी के कुछ यादें चाँद लम्हों में मिट जातीं हैं, और कुछ लम्हें यादगार बन जातें हैं. कुछ याद रहते हैं कुछ भूलने की दुआएं की जातीं हैं, आपकी इस रचना पर टिप्पणी करना बूते में तो नहीं, समझ नहीं हैं काव्य की, बस कुछ baaten होती हैं दिल में पैबस्त हो जाती हैं, और कुछ शब्द जीने के मायने बदल देतें हैं...... इस सुन्दर कृतित्व के लिए साधुवाद..
ReplyDeletebehtareen rachna....isko padne ke bad sayad hi kuch kahna baki ho...
ReplyDeleteKin,kin panktiyonko dohraya jaye?Pooree rachana lajawaab hai!
ReplyDeleteजब सुरंग में आस टूटती,
ReplyDeleteदिखता वहीं प्रकाश है।
विजय जी आपका कविता संसार पढ़ा , मन प्रफुल्लित हो गया एक और कविता का उच्चकोटि का ब्लॉग पाकर बधाई और शुभकामनाये
ReplyDeleteye sfar to ta-uamar chlta rahega ..shayad
ReplyDeleteHriday tak surang banaati hui kavita jahan ya to maun hai ya prem..
ReplyDeleteअभी फेसबुक पर फटकार सुनी तो भागते आये.. :)
ReplyDeleteअच्छी लगी कविता.
ReplyDeleteसादर
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आपकी एक पोस्ट की हलचल आज यहाँ भी है
कुछ सफ़र उम्र के बाद तक चलते हैं
ReplyDeleteकिसी अगले मुकाम के लिये
शायद कहीं कोई नया जहान हो
इंतज़ार मे पलकें बिछाये
और रूह को सुकून आ जाये
खूबसूरत अभिव्यक्ति
कुछ विद्वान् केवल उच्च कोटि के ब्लोगों की ही शोभा बढ़ाते हैं| हमारे जैसे साधारण सब की --
ReplyDeleteतभी तो कभी-कभी ऐसा अनमोल मोती पा जाते हैं ||
बहुत-बहुत आभार लिंकमैन को--
bahut sambrdansheel rachanaa.shabdvihin kar diyaaa apne.bahut bahut badhaai.
ReplyDeleteplease visit my blog.thanks.
BAHUT HI SUNDER AUR SARTHAK RACHANAA .BAHUT ACHCHA LIKHATEN HAIN AAP.BAHUT GAHARAI LIYE HUE HOTIN HAINAAPKI RACHANAA.BADHAAI AAPKO.
ReplyDeletePLEASE VISIT MY BLOG.THANKS.
एक अंतहीन चाहत ...--
ReplyDeleteanu
ये चाहत और ये यकीन ही आपकी इस काली लंबी रात की सुरंग को सुबह की खूबसूरत रोशनी में बदल देंगे ।
ReplyDeleteरात जितनी ज्यादा काली हो समझो कि सुबह होने वाली है ।