तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना ...
एक सपने में कोई आधी -अधूरी आस जगी
कहीं किसी खेत में सरसों की उवास चली
मेरे साँसों में तेरी सांस कैसे मिली ....
तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना .....
ज़िन्दगी की राह बदल गयी....
आसमान से एक बादल का टुकडा टुटा
तेरे नाम से उसने मेरा पता पुछा ..
तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना ...
मेरे तन से तेरी खुशबू कैसे छूटी.......
मिटटी की गंध ने तेरे घर का पता दिया
मेघो ने तेरे आंसुओ पर मेरा नाम लिखा ..
तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना ...
मेरे लबो पर तेरे होंठो की ये मुहर कैसी ..
सूरज की किरणों ने एक जाल बुना
चाँद ने उस पर सितारों की चादर बिछाई ..
तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना ...
मेरे साये की तस्वीर में तेरा रंग ये कैसा...
कि , एक बैचेनी सी आँखों में है छायी ..
कि , मन ने कहा , तू बहुत उदास है ..
कि , तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना .....
क्योंकि ; मैंने भी तुझे याद किया है….
हाँ , मैंने भी तुम्हे बहुत याद किया है !!!
एक सपने में कोई आधी -अधूरी आस जगी
कहीं किसी खेत में सरसों की उवास चली
मेरे साँसों में तेरी सांस कैसे मिली ....
तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना .....
ज़िन्दगी की राह बदल गयी....
आसमान से एक बादल का टुकडा टुटा
तेरे नाम से उसने मेरा पता पुछा ..
तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना ...
मेरे तन से तेरी खुशबू कैसे छूटी.......
मिटटी की गंध ने तेरे घर का पता दिया
मेघो ने तेरे आंसुओ पर मेरा नाम लिखा ..
तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना ...
मेरे लबो पर तेरे होंठो की ये मुहर कैसी ..
सूरज की किरणों ने एक जाल बुना
चाँद ने उस पर सितारों की चादर बिछाई ..
तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना ...
मेरे साये की तस्वीर में तेरा रंग ये कैसा...
कि , एक बैचेनी सी आँखों में है छायी ..
कि , मन ने कहा , तू बहुत उदास है ..
कि , तुमने मुझे पुकारा तो नहीं जांना .....
क्योंकि ; मैंने भी तुझे याद किया है….
हाँ , मैंने भी तुम्हे बहुत याद किया है !!!
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeletebahut hi sundar bhaaw ......bahut hi sundar rachana
ReplyDeletebeintehaa khubsurat ehsaas
ReplyDeletevaah विजय जी............. मन को छूते हुवे गुज़र गयी aapki कविता........... सच में किसी को याद करो तो lagta hai jaise vo kaheen aas paas hi hai........... komal bhaavon se sajee lajawaab rachna
ReplyDeleteवाह विजय जी.. प्रेम की इस अभिव्यक्ति को आपने बहुत ही सहजता के साथ सुंदर तरीके से पेश किया .. आभार
ReplyDeleteप्रणाम विजय जी एक बार फिर नत मस्तक हूँ सरल शब्दों में मिलन के भावो की पराकास्ठा देखनी हो तो आप की कविता में देखे एक एक शब्द में मिलन की गहराई और हर मोड़ पर प्रेम की टेस भी है आत्म मिलन और निज सम्मिलन को यादो के साथ जोड़ कर एक रूपता का जो आप ने प्रदर्शन किया है अद्भुद है मेरा प्रणाम स्वीकार करे
ReplyDeleteसादर
प्रवीण पथिक
9971969084
bahut hi gahre bhavon ko saral shabdon mein badi hi sadgi sa bayan kar diya...........lajawaab,amazing,marvellous.
ReplyDeletevijay ji,
ReplyDeleteek baat mai aapse kahana chahata hoon..aap vicharo ke sagar hai..
itane sundar vichar aapne apni kavitaon me piro late hai ki man prasann ho jata hai..
dil kahata hai baar baar padhu..
pahale ki kavitaon ki tarah ye bhi
bemishal..
bejod
behatreen
waah waah
ReplyDeletebahut khoob............
प्रेम रस मे डूबी खूबसूरत अभिव्यक्ति बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteदिल कि रूमानियत को बयां करती है आपकी रचना...सुंदर भाव
ReplyDeleteसाधारण सुन्दर शब्दों से आपने प्यार के जज्बातों को बडी खूबसूरती से लिख कर दिया।
ReplyDeletezindagi ki raah hi badal gayi
ReplyDeletewaaqai mein bahut hi behtareen creation.....
A+++++++++++++++++++++++
याद तो हमने भी किया लेकिन किसी को पता ना चल...
ReplyDeleteसुंदर रचना...
मीत
vijay ji
ReplyDeletebahut sundar bhaon ko saral shabdon
mein pesh kiya hai
badhai
sundar likha hai !! badhai !!
ReplyDeleteaap bahut doob kar likhate hain warna itane gahre bhaav laana asambhav hai.
ReplyDeletebhaayi aisa mat likha kariye .
kuchh kuchh hota hai....
BAHUT KHOOBSURAT RACHNA...................SATPATHI JI BADHAI.
ReplyDeletebhut susdar abhivykti.
ReplyDeleteabhar
जी हाँ जरुर पुकारा होगा.... नहीं तो ये रचना कैसे दिल से निकलती....
ReplyDeleteखूबसूरत हवा के झोंके की तरह...
मीत
बहुत अच्छे भाव. अच्छा लगा पढ कर.
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