तुम थी किसी और दुनिया में ,
और मैं अपनी दुनिया में ...
मेरी दुनिया से तेरी दुनिया तक पहुँचने में
मुझे बहुत लम्बा रास्ता पार करना पड़ा ,
वो रास्ता ६२२ मील लम्बा था
और मुझे उसे पार करने में २० बरस लग गए
लेकिन हमें तो मिलना ही था ;
ईश्वर ने ही ये चाहा था .
तुझे पा लिया , सब कुछ पा लिया .
तेरे संग जो जिया , वो जी लिया .
बस तुमने मुझे छोड़ना नहीं था जानां ;
तुमने मुझे छोड़ दिया ,
मेरा सब कुछ खो गया ..
अब मैं अकेला हूँ
कोई दुनिया नहीं मेरे संग
कोई अपना नहीं मेरे संग
बस अब मैं अकेला हूँ !!!
शायद इसे ही तो बेवफाई कहते है
हैं न जानां....!!!
हैं न जानां....!!!
लेकिन ;
मुझे तेरी बेवफाई नज़र आती है सिर्फ दूर से ,
पास आता हूँ तो तुम सिर्फ मेरी जानां होती हो ..
ज़िन्दगी के फैसले क्यों मोहब्बत का खून करते है
मुझे तेरी बेवफाई नज़र आती है सिर्फ दूर से ,
पास आता हूँ तो तुम सिर्फ मेरी जानां होती हो ..
ज़िन्दगी के फैसले क्यों मोहब्बत का खून करते है
दर्द को शब्दों में पिरो दिया
ReplyDeleteमगर मोहब्बत को ना रुसवा किया
ये कौन सा तूने मोहब्बत का घूँट पिया
जहाँ फरिश्तों ने भी तेरे सदके में सजदा किया
अब इससे ज्यादा क्या कहूँ……………मौन हूँ और सोच रही हूँ।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (29/11/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
दर्द को उकेरती हुई कविता
ReplyDeleteचलिये आपने तय तो कर लिया, यहां तो!
ReplyDeleteBehad dilkash rachana!
ReplyDeleteभावप्रधान पंक्तियाँ, दृष्टिकोणीय।
ReplyDeleteमुझे तेरी बेवफाई नज़र आती है सिर्फ दूर से ,
ReplyDeleteपास आता हूँ तो तुम सिर्फ मेरी जानां होती हो
दूर जाते ही क्यों है!!
सुन्दर भाव और गहन एहसास/अनुभूति
शब्द दर्द हर भी लेते हैं
ReplyDeleteदर्द को हरा भी वे ही करते हैं
बहुत सुंदर रचना। भावपूर्ण पंक्तियां आत्मिक प्रेम को प्रस्तुत कर रही है।
ReplyDeleteदर्द बहता हुआ कविता के साथ!
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
जब प्रेम मिल जाता है तो रास्ता या सफ़र मायने नहीं रखता है , कारण प्रेम तो हमारे ह्रदय में ही खिलता है और हम केवल देना चाहते हैं .ह्रदय को छू देने वाली रचना ...बहुत खुबसूरत ...समग्र भाव . आपको शुभकामनायें ...
ReplyDeleteसुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ बेहतरीन प्रस्तुती! बधाई !
ReplyDeleteI too asked this question a several tymes k kyu zindagi k faisle muhabbat ka khoon kar dete hain?
ReplyDeletePrabhavi kavita
622 मील दूर से आवाज़ आती है
ReplyDelete'पंख होते तो उड़़ आती रे..' और बाल विवाह की अनुमति होती तो 20 साल कौन प्रतीक्षा करता है।
नेह के सागर की अथाह गहराई में डूब कर आये शब्दों ने रचना को जीवंत सा कर दिया .
ReplyDelete"भाव भरे गंभीर "
- विजय तिवारी 'किसलय'
सकारात्मक एवं आदर्श ब्लागिंग की दिशा में अग्रसर होना ब्लागर्स का दायित्त्व है : जबलपुर ब्लागिंग कार्यशाला पर विशेष.
सच है विजय जी ... जिसको प्यार करो वो बेवफा कैसे हो सकता है ... उसको बेवफा कैसे कह दो ... दिल खोल कर रख दिया .... बहुत लाजवाब ...
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