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एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता
घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...
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घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...
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मिलना मुझे तुम उस क्षितिझ पर जहाँ सूरज डूब रहा हो लाल रंग में जहाँ नीली नदी बह रही हो चुपचाप और मैं आऊँ निशिगंधा के सफ़ेद खुशबु के साथ और त...
सपनो की हो कोई मंजिल ,ये जरुरी तो नहीं
ReplyDeleteहर बात में बात बन जाए ,ये जरुरी तो नहीं||
मिल कर चलना था चार कदम ,अब वो साथ नहीं
हर राह बदल गई ,वो ही राह अब तो नहीं ||......अनु
बहुत ही प्यारी रचना है ...
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी ,कोमल भवो से लिखी
बेहतरीन रचना.....
कैसे नाराज़ हो सकती है...................
ReplyDeleteमोहब्ब्त जो की है....
सादर.
अगर मैं तेरा हाथ थाम कर ,तेरे लिए ;
ReplyDeleteअपने खुदा से दुआ करूँ ; तो तुम नाराज़ तो नही होंगी न ?
मेरी भी दुआ साथ रखना ,नाराजगी होगी ,तो दूर हो जायेगी .... !!
अचानक एक मोड़ पर , अगर हम मिले तो ,
ReplyDeleteक्या मैं , तुमसे ; तुम्हारा हाल पूछ सकता हूँ ;
तुम नाराज़ तो नही होंगी न ?
बेहद उम्दा भावों को संजोया है ........एक मीठी सी कसक है ............बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति
बड़ी ही भावमयी व कोमल कविता।
ReplyDeleteबहुत से प्रश्नों के उत्तर मांगती हुई सार्थक पोस्ट......
ReplyDeletebadhiyaa
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना.....
ReplyDeleteकह के देखिये तो ...
ReplyDeleteनाराज़ क्यों होगी
बहुत सुन्दर रचना
बहुत खूब सर!
ReplyDeleteसादर
बहुत बढ़िया प्रस्तुति, सुंदर रचना,.....
ReplyDeleteemail comment :
ReplyDeleteJust amazing. Shabd kum hain... kya vyakat karu apne vichaar. Bahut khoob.
lata
भावमय करते शब्दों का संगम है यह अभिव्यक्ति ... आभार ।
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