Image courtesy : Vijay Kumar Photography
……और फिर तुम्हारी याद !
एक छोटा सा धुप का टुकड़ा
अचानक ही फटा हुआ आकाश
बेहिसाब बरसती बारिश की कुछ बूंदे
और तुम्हारे जिस्म की सोंघी सुगंध
……और फिर तुम्हारी याद !
अचानक ही फटा हुआ आकाश
बेहिसाब बरसती बारिश की कुछ बूंदे
और तुम्हारे जिस्म की सोंघी सुगंध
……और फिर तुम्हारी याद !
उजले चाँद की बैचेनी
अनजान तारो की जगमगाहट
बहती नदी का रुकना
और रुके हुए जीवन का बहना
……और फिर तुम्हारी याद !
अनजान तारो की जगमगाहट
बहती नदी का रुकना
और रुके हुए जीवन का बहना
……और फिर तुम्हारी याद !
टूटे हुए खपरैल के घर
राह देखती कच्ची सड़क
टुटा हुआ एक पुराना मंदिर
और रूठा हुआ कोई देवता
राह देखती कच्ची सड़क
टुटा हुआ एक पुराना मंदिर
और रूठा हुआ कोई देवता
……और फिर तुम्हारी याद !
आज एक नाम खुदा का
और आज एक नाम तेरा
आज एक नाम मेरा भी
और फिर एक नाम इश्क का
……और फिर तुम्हारी याद !
और आज एक नाम तेरा
आज एक नाम मेरा भी
और फिर एक नाम इश्क का
……और फिर तुम्हारी याद !
और फिर तुम्हारी याद
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर.
भावमय प्रस्तुति के लिए आभार.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा,विजय जी.
वाह विजय जी ...
ReplyDeleteतेरी याद की वजह ढूंढते ढूंढते
मेरी जिंदगी बेवजह हो गई ..!!
सु-मन
सुन्दर.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
छू गए ये रूमानी एहसास...........
सादर
अनु
यादों को कब चौखटों की जरूरत होती है ये तो बिना किसी दरो-दीवार के चली आती हैं।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteSunita Sharma ……और फिर तुम्हारी याद !
ReplyDeleteएक छोटा सा धुप का टुकड़ा
अचानक ही फटा हुआ आकाश
बेहिसाब बरसती बारिश की कुछ बूंदे
और तुम्हारे जिस्म की सोंघी सुगंध
……और फिर तुम्हारी याद !
उजले चाँद की बैचेनी
अनजान तारो की जगमगाहट
बहती नदी का रुकना
और रुके हुए जीवन का बहना
……और फिर तुम्हारी याद !
टूटे हुए खपरैल के घर
राह देखती कच्ची सड़क
टुटा हुआ एक पुराना मंदिर
और रूठा हुआ कोई देवता
……और फिर तुम्हारी याद !
आज एक नाम खुदा का
और आज एक नाम तेरा
आज एक नाम मेरा भी
और फिर एक नाम इश्क का
……और फिर तुम्हारी याद ..
ek ek shabd dill m gahri chhap chhod jayenge ..agar koi sachhi mohabbat ka ehsas kar le ...wo bhi aaj ke samay me ...............ek nam khuda ka aur ek nam tera.............meet ko diya khuda ka rutba aur pyaar ko majhab bana liya ...aaaaaaaa khuda itni sachhi ibadat thi .........fir rune hme kyon rula diya ...
bahut achhi aur jiwant rachna hai vijay ji badhai ..
सुन्दर. एक पुरानी फ़िल्मी गीत याद आ रही है. "मेरी याद में तुम न आंसू बहाना, न जी को जलना, हमें भूल जाना"
ReplyDeleteमन को छूते हुए यह अहसास ... लाजवाब प्रस्तुति
ReplyDelete'' स्वाद यादों का ''
आज एक नाम खुदा का
ReplyDeleteऔर आज एक नाम तेरा
आज एक नाम मेरा भी
और फिर एक नाम इश्क का
……और फिर तुम्हारी याद !
बेहद खूबसूरत ,बहुत बढ़िया प्रस्तुति!आभार .
वाह !
ReplyDeleteवाह
ReplyDelete..तुम्हारे साथ जुडी हुई बहुतसी यादें...और फिर तुम्हारी याद!...बहुत सुन्दर अनुभूति!
ReplyDeleteभाई.....
ReplyDeleteमैं भी आज आपको याद कर ही रही थी कि
ये मेल कुछ ढंकी-छुपी सी दिखी
सच कहते हैं जो याद आए वो दिखता या मिलता जरुर है
सादर
यशोदा
खूबसूरत यादें।
ReplyDeleteएहसासों को यूं जगा दिया
ReplyDeleteतन्हाईयों को यूं सुला दिया
कि जल उठा बुझा दिया
चांदनी लिए कौन आ गया.विजयजी कुछ ऐसा एहसास आपकी यह कविता कराती है. पुरानी यादें मष्तिष्क में यूही झिलमिलाती रहती है. अच्छी रचना है. साधुवाद.
बेहतरीन प्रस्तुति सुन्दर भाव
ReplyDeleteएक छोटा सा धुप का टुकड़ा
अचानक ही फटा हुआ आकाश
बेहिसाब बरसती बारिश की कुछ बूंदे
और तुम्हारे जिस्म की सोंघी सुगंध
……और फिर तुम्हारी याद !
उजले चाँद की बैचेनी
ReplyDeleteअनजान तारो की जगमगाहट
बहती नदी का रुकना
और रुके हुए जीवन का बहना
……और फिर तुम्हारी याद !
बहुत सुंदर रचना ...
चाँद पर कवि आज कुछ अधिक ही मेहरबान हैं।
ReplyDeleteउधर चांद पढा और इधर भी चांद दिख रहा है।
गोदियाल साहब अपनी कविता में कह रहे हैं,
पत्थर मारकर, फोड़कर रख दूंगा किसी दिन, किसी के दमकते चाँद को,
जभी तो लोग जानेंगे 'परचेत' कि फेंकने में कितनी महारत हासिल है तुझे !
बहुत ही उम्दा कविता विजय जी। आभार
priya bhai aapki yeh rachnaa sundar bhavon men pagii, man ko gehre chhuti hai.badhai.
ReplyDeleteऔर फिर तुम्हारी याद .....बेहतरीन!!
ReplyDeleteटुटा हुआ एक पुराना मंदिर
ReplyDeleteऔर रूठा हुआ कोई देवता..
कमाल की बात कह डाली विजय भाई...
कमाल..
सुन्दर कविता, शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteyaadon se bhari sunder rachna
ReplyDeleteshubkamnayen
सुन्दर काव्य-कृति या यादों का समन्दर .... गहरे में भी उसकी ही यादें.. बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteमैं तुम्हें खोजती रही ,चंद्रमा की कलाओं के बीच
ReplyDeleteऔर तुम ..
मुझे नकारते रहे ,मेरे ही वजूद के संग ||
ईमेल के द्वारा कमेन्ट :
ReplyDeleteBohut Khoob likha Vijayji,
Acchi kavita hai.
Mujhe padkar accha laga.
Aur bhi likhna,
Thnx,
Monika.
ईमेल के द्वारा कमेन्ट :
ReplyDeleteBhai shri Vijayji,
Namskar,
Thodi si alag kavita, good thought....badhai...likhte rahe.....
Regards,
Shilpa
ईमेल के द्वारा कमेन्ट :
ReplyDeleteआदरणीय विजय जी,
आपकी कविता पढ़कर मजा आ गया.
हिन्दी कुंज में मेरी दो कहानी 'बाबुल के कांटे' और 'एक विलक्षण चित्रकार' पर अपने विचार जरूर भेजें.
धन्यवाद,
भूपेन्द्र कुमार दवे
Executive Director (Retd.)
FB कमेन्ट :
ReplyDeleteSalman Khursheed
=
टूटे हुए खपरैल के घर
राह देखती कच्ची सड़क
टुटा हुआ एक पुराना मंदिर
और रूठा हुआ कोई देवता
……और फिर तुम्हारी याद !
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Mohtaram Vijay Sappatti Sahab Aap Ki Kavita Bahot Hii Sundar Hai, Sari Ki Sari PaNktiyaN Pasand AayiiN, Khubsurat Shayri , Maati Ki SoNdhi Mahek Liye Huye Ek Behtareen Rachna Ke Liye Hardik Badhaaii, DAAAAAD Peshekhidmat Hai ... Waah Zindabaad ....
FB कमेन्ट :
ReplyDeleteSiya Sachdev
बहुत सुंदर रचना..भावों का क्या खूब शब्द दिये हैं आपने.
काव्यधारा कमेन्ट :
ReplyDeleteआदरणीय विजय जी ,अति सुंदर कथ्य और भाव !!बधाई !!
संतोष भाऊवाला
काव्यधारा कमेन्ट :
ReplyDeleteविजय जी,
एक अच्छी कविता के लिए बधाई हो
सस्नेह,
सुरेन्द्र
काव्यधारा कमेन्ट :
ReplyDeleteप्रिय विजय सप्पाती जी,,
प्रकृति और परिवेश के परिदृश्य में
यादों का आवाहन सुन्दर शब्द चित्रों में
प्रकट हुआ है | बधाई
कमल
काव्यधारा कमेन्ट :
ReplyDeleteआदरणीय विजय जी,
आपकी कविता में आंचलिक स्पर्श है , पढ़ कर अपने शहर की याद आ गई. आपकी भाषा और अभिव्यक्ति दोनों बहुत उत्कृष्ट हैं.
ढेर दाद कुबूलें ,
सादर,
शिशिर
काव्यधारा कमेन्ट :
ReplyDeleteआ० विजय जी,
सटीक बिम्बों से सुसज्जित इस सुन्दर कविता के लिए बधाई ।
विजय निकोर
काव्यधारा कमेन्ट :
ReplyDeleteआदरणीय विजय जी,
उजले चाँद की बैचेनी
अनजान तारो की जगमगाहट
बहती नदी का रुकना
और रुके हुए जीवन का बहना
……और फिर तुम्हारी याद !
टूटे हुए खपरैल के घर
राह देखती कच्ची सड़क
टुटा हुआ एक पुराना मंदिर
और रूठा हुआ कोई देवता
……और फिर तुम्हारी याद !
सुन्दर शब्दों में मोती से जड़े भाव , कविता को अनुपम बनाते हुए पाठक के दिल में पसर जाते हैं !
इस मर्मस्पशी रचना के लिए ढेर सराहना स्वीकारें
सादर,
दीप्ति
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ReplyDeleteZaheer Shaikh ·
Walawanti sawalila, thevanya yete punha..........................kee duparee mreeg jalala shodhnya yete punha
FB कमेन्ट :
ReplyDeleteJyotsna Sharma
behad khoobsoorat ....rachanaa bhee.. chitra bhee ..
भावनाओं की लाज़वाब अभिव्यक्ति...बहुत उत्कृष्ट रचना
ReplyDeletesunder prastuti yadon ki .......
ReplyDeleteVIJAY JI , KAVITA KYAA PADHEE HAI , MAIN TO
ReplyDeleteAAPKEE YAAD MEIN KHO GAYAA HUN .
अतृप्त तृषा सा भटकता एक टुकड़ा, तुम्हारी याद का।
ReplyDeletebehad khoobsurat..
ReplyDeleteBahut sundar.
ReplyDeleteYou may also like: Information about periwinkle flower & Ashoka tree facts