Sunday, November 17, 2013

सपने







सपने टूटते है ,
बिखरते है
चूर चूर होते है
और मैं उन्हें संभालता हूँ दिल के टुकडो की तरह
उठाकर रखता हूँ जैसे कोई टुटा हुआ खिलौना हो
सहेजता हूँ जैसे कांच की कोई मूरत टूटी हो .

और फिर शुरू होती है ,
एक अंतहीन यात्रा बाहर से भीतर की ओर
खुद को सँभालने की यात्रा ,
स्वंय को खत्म होने से रोकने की यात्रा
और शुरू होता है एक युद्ध
ज़िन्दगी से
भाग्य से
और स्वंय से ही
जिसमे जीत तो निश्चित होती है
बस
उसे पाना होता है

ताकि
मैं जी सकूँ
ताकि
मैं पा सकूँ
ताकि
मैं कह सकूँ
हां !
विजय तो मेरी ही हुई है.

कविता © विजय कुमार

43 comments:

  1. संघर्ष ही जीवन है --सुन्दर रचना !
    नई पोस्ट मन्दिर या विकास ?
    नई पोस्ट लोकतंत्र -स्तम्भ

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  2. यही तो जिंदगी है...... बहुत सुंदर रचना .

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  3. बस यही जीवटता बनाये रखो जीत होकर रहेगी………जन्मदिन की तहे दिल से शुभकामनायें …………ईश्वर तुम्हारी ज़िन्दगी के सभी अंधेरों को दूर कर खुशियों की रौशनी से भर दे यही कामना करती हूँ ।

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  4. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार आदरणीय-

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  5. बहुत बढ़िया प्रस्तुति

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  6. जीवन से जीवन की खोज ... अपने अंतस से ही शुरू होती है ...

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  7. बढ़िया प्रस्तुति

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  8. बेहतरीन रचना, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  9. This comment has been removed by the author.

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  10. सुन्दर भाव लिए रचना |

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  11. सपनों का ... टूटना संभालना
    अनुपम भावों का संगम
    बेहतरीन अभिव्‍यक्ति

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  12. सपनों से प्यारी सी स्वप्निल कविता ...अपने आप में सब रंग समेटे हुए

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  13. AAPKEE KAVITA NE MAN MOH LIYAA HAI . SEEDHEE-SAADEE BHASHA MEIN
    SEEDHEE-SAADEE ABHIVYAKTI AAPKEE KAVITAAON KE VISHESHTA HAI .

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  14. --- सुन्दर कविता है ....जीवन संघर्ष अवश्य ही आवश्यक है......चाहे जीत हो या न हो .क्योंकि यह आवश्यक नहीं कि ..... ..जिसमे जीत तो निश्चिंत होती है

    निश्चिंत = निश्चित ..होना चाहिए....

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    1. आदरणीय श्याम जी . नमस्कार , आपके कमेंट के लिए हृदय से धन्यवाद.
      मैंने गलती [ निश्चिंत = निश्चित ] सुधार ली है . आपका आभार .
      आपका
      विजय

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  15. sakaratmak soch wale hi vijayi hote hain .....sundar prastuti ......

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  16. Good, inspiring in simple & fluent language.

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  17. ताकि
    मैं जी सकूँ

    -एक उम्दा रचना!! बधाई..

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  18. Vijay kumar Sappati jee, apkee kavitaye, apka blog aur apki bahumukhi pratibha apne aap mein bahut akarshak hai

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  19. ATI UTKRISHT KAVITA HAI... AAPKI HAR VIDHA PAR PAKAD HAI, CHAHE KAVITA HO YA KAHANI.... you are great!!!

    Mahavir Uttranchali

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  20. भाव-प्रधान सुन्दर कविता । विजय जी ! आप बहुत अच्छा लिखते हैं । बधाई ।

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  21. दिल को छूते अहसास..यही ज़ज्बा ज़ीने की हिम्मत देता है...बहुत सुन्दर...

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  22. बहुत खूब विजय जी, मजा आ गया आपकी कविता पढ़कर।

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  23. bahut sundar prastuti,aapki yeh kavita bahut kuchh keh gaee,badhai.

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  24. स्व को परिलक्षित करती हुई सुन्दर कविता बन पड़ी है आदरणीय।
    मुझे रचना में कुछ कुछ 'गोपाल दास नीरज' की बू आ रही है।
    आपको बहुत बधाई इस उत्कृष्ट रचना के लिए,
    सादर

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  25. स्वंय को खत्म होने से रोकने की यात्रा
    और शुरू होता है एक युद्ध
    ज़िन्दगी से
    भाग्य से
    और स्वंय से ही

    bahut khoob likha hai apne..... aabhar

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  26. This comment has been removed by the author.

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  27. Sapne sakar karna jindgi ka maksad hota hai
    Jo jina janta hai bas wahi asal jindgi jita hai.

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  28. विजय जी ! आप बहुत अच्छा लिखते हैं । बधाई ।

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  29. अच्छी चिंतनशील व भावप्रवण कविता है।

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  30. जीवन और स्वप्न---ऐसे कि जैसे कि साडी में नारी या कि नारी में साडी----बहुत खूबसूरत
    सपना है यह जीवन या कि यह सपना खूबसूरत जीवन है.
    बहुत सुंदर

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  31. खूबसूरत रचना
    शुभकामनाएँ

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