Wednesday, November 30, 2011

कल , आज और कल !



कल , आज और  कल !

उम्र को वक़्त के साथ गुजरते हुए देख रहा हूँ जानां .....!!!

कभी घर की खिड़की से बाहर देखते हुए ..
कभी बस की कोने वाली सीट पर बैठे हुए ...
कभी किसी नदी के बहते हुए पानी में पैर डाले हुए ..
कभी डूबते हुए सूरज की लालिमा में खुद को रंगते हुए...
और अक्सर /हमेशा ही  तेरी यादो के संग रात गुजारते हुए ....
बेगानी सी उम्र को बीतते हुए  देख रहा हूँ जानां .....!!

और कभी किसी बीते हुए कल को तुम्हारे साथ ज़िन्दगी की
अनजानी पगडंडियों  पर चलते हुए देखता हूँ..
बस तुम मेरे  संग  होती हो एक पल में ,
और दुसरे पल में तुम नहीं होती हो ..
इस एक पल से दुसरे पल की यात्रा करने में
मैं अक्सर कई बार जीता हूँ और मरता भी हूँ .!
अनजानी  सी उम्र को बीतते हुए  देख रहा हूँ जानां .....!!

ये भी अक्सर होता है कि सपनो  में  ;
तुम्हारे नहाए हुए गीले बालो  से
गिरते हुए पानी की छोटी छोटी बूंदों को
मैं हथेलियों पर जमा  करता हूँ ;
और फिर इससे पहले कि ,
मैं उन बूंदों में तुम्हारे होंठो को ठीक से देख लूं 
वो बूंदे आसमान के झिलमिल तारो के संग मिल जाती है !
अजनबी  सी उम्र को बीतते हुए  देख रहा हूँ जानां .....!!

और मैं फिर अकेला हो जाता हूँ .
तुम साथ होकर भी साथ नहीं होती हो ...

ज़िन्दगी के गणित मुझे समझ नहीं आये
तुमसे मिलना , तुमसे अलग होना
और फिर ये सोचना कि क्या पाया और क्या खो दिया
इस मिलने और जुदा होने के खेल   में ;
सोचा न था कि यूँ  किस्मत ,
मुझे भी कभी मात दे जायेंगी .

अब  ; एक न खत्म होने वाला इन्तजार है ,
किसी ऐसे कल का ,
जो तुम्हारे आने की खबर दे…..
जहाँ जब सुबह हो तो , कोई ताज़ी हवा का झोंका कहे
कि तुम आ रही हो
कोई छोटी सी चिड़िया , चहचहाकर मुझे कहे
कि तुम आ रही हो
और घर के सूने बाग़ में रजनीगंधा के फूल खिले
जो लहलहाकर  मुझे कहे
कि तुम आ रही हो

पर मुझे पता है
कि ये खेल हमेशा खुदा ही जीतता  है
उसी की रज़ा है , उसी का हुक्म है
कोई कल, आज से गुजर कर फिर एक उदास कल में बदल जायेंगा
और मैं अकेला ही तुम्हारे साए के साथ रह जाऊँगा .
और उम्र यूँ ही वक़्त के साथ गुजर जायेंगी

कुछ भी कहो जानां
;
वो जो दिन गुजारे हमने
, उनकी उम्र थी सौ बरस ;
और वो जो राते गुजारी हमने

उनकी उम्र थी हज़ार बरस .....!!

बस एक कमी रह गयी
;
ये सपना कुछ जल्दी ही ख़त्म हो गया
;
खुदा भी न
,
शायद जानता ही नहीं कि मोहब्बत ही है ज़िन्दगी
  !!!

एक उम्मीद फिर भी रहेंगी ;
कि तुम आ रही हो ……….!!!

Thursday, November 17, 2011

Thank you Maa for giving me birth!!!


Today is my birthday and birthdays are humble reminder to me that GOD exists and sometimes GOD exists in the form of mother.

Today I miss my mother as she is no more to celebrate this very moment of existence of human soul. I miss her so much as she carried me in her womb for nine months. She felt sick for months with nausea, then she watched her feet swell & her skin stretch & tear; she struggled to climb stairs, she got breathless quick; she suffered many sleepless nights. She then went through excruciating pain to bring me into this world. Then, she became my nurse, my chef, my maid, my chauffeur, my biggest fan, my teacher, & my best friend. She's struggled for me, cried over me, hoped the best for me, & prayed for me. And than finally she made me; what I am today. I give my life’s all credits to my Mother.

A birthday for me is another reminder that I have to give my best to this world and leave a legacy of Humanity, love & friendship.

Thank You GOD, Thank you Maa !

विजय को जन्मदिन की बधाई दीजिये .




दोस्तों ;
आज मेरा जन्मदिन है .......अब उम्र के जिस पढाव पर मैं हूँ, वहां ज़िन्दगी बहुत शांत हो जाती है , ज़िन्दगी को देखने का नजरिया भी बहुत  बड़ा हो जाता है . बस बीता हुआ पिछला साल कई मायनों में ज्यादा खुशदायक नहीं था . लेकिन , हमेशा की तरह एक नयी उम्मीद के साथ ,आने वाले समय की प्रतीक्षा कर रहा हूँ.. क्योंकि मुझे ईश्वर पर विश्वास है कि उसके यहाँ देर है लेकिन अंधेर नहीं है .. बस उसी उम्मीद के साथ विदा लेता हूँ , बहुत जल्दी फिर से आपकी महफ़िल में अपनी कविताओ को लेकर !!!

विजय को जन्मदिन की बधाई  दीजिये .

आपका अपना
विजय

Friday, July 22, 2011

फूल , चाय और बारिश का पानी



 
फूल,चाय और बारिश का पानी 

बहुत दिनों के बाद ,
हम मिले...
हमें मिलना ही था , प्रारब्ध का लेखा ही कुछ ऐसा था .
मिलना , जुदा होना और फिर मिलना और फिर जुदा होना ......!!!

जब मिले तो देखा कि
उम्र से ज्यादा कहर ,
हम पर;
हमारी यादो ने ढाया था .
हम वो नहीं थे , जो जुदा होते वक़्त थे ..
हम वो थे, जो ,हम कभी थे ही नहीं ...

मैं तुम्हे और तुम मुझे बहुत देर तक यूँ ही देखते रहे
शायद हैरान थे और कुछ कोशिश आंसुओ को रोकने की भी थी
मुझे याद आया कि , जब  हम पहली बार मिले थे ,
तब भी इतना नहीं देखा था एक दुसरे को ;
वक़्त से शिकवा करे या ज़िन्दगी से ,
कुछ समझ नहीं आ रहा था ….
……. लब खामोश थे .!!

होटल के खुले आँगन में एक पेड़ जिसमे ;
दो लाल रंग के फूल खिले थे;
उसके नीचे बैठकर, हमने चाय मंगाई .
हमेशा की तरह दो सफ़ेद कप
और उनमे ज़िन्दगी की रंग वाली चाय
हमने चाय पीना शुरू  किया और
बेकार की बातो से एक दूसरे को टटोलना शुरू किया
जैसे ….कैसे हो
ज़िन्दगी कैसी है

निरर्थक से सवालों के
एक झूठा सा जवाब
सब अच्छा है ,
हर सवाल का यही जवाब था !!

हम थोड़ी थोड़ी देर में पीछे मुड जाते थे
जैसे किसी को देख रहे हो
[
जिसे उम्र भर देखना चाहा था ; वो सामने ही बैठा था ]
दरअसल ,हम अपने आंसुओ को पी जाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे.

बहुत देर की ख़ामोशी के बाद मैंने कहा
मेरी याद नहीं आती !

तुमने एक फीकी सी मुस्कराहट  को ओड़ कर कहा
नहीं ; अब नहीं आती है !!
पता नहीं ये सच था  या झूठ ,

तुमने पुछा ,
तुम्हे भी नहीं आती होंगी
दुनिया में मन लग जाता है
मैंने कहा
यहाँ बात दिल की है

मैंने पुछा ,
तुम्हे याद है सब कुछ
तुमने कहा , हाँ
तुमने मेरी देखकर कहा
और तुम्हे ?
मैंने कहा हाँमुझे सबकुछ बहुत अच्छे से याद है ,
in fact ,
मैं तो कुछ भी नहीं भूला हूँ
तुम्हे भी नहीं ...कभी नहीं ...!!

तुम रोने लगी
और मैं भी ;

आकाश में अचानक घुमड़ घुमड़ कर बादल आ गए थे
हलकी बूंदा बांदी शुरू हो गयी थी .

मैंने हाथ बढ़ाया  तुम्हारी ओर
तुम्हे बारिश से बचाने के लिए ,
होटल के shade  में ले जाना चाहता था
तुमने हिचकते हुए
मेरे हाथ में अपना हाथ दिया
उसी हाथ में ,
जिसे तुमने एक अजनबी से मोड़ पर छोड़ दिया था
समय भी कैसे कैसे पल दिखाता है हमें

तुम मेरे पास खड़ी थी
बारिश अब जोरो से होने लगी थी
मैंने तुमसे पुछा , याद है तुम्हे वो बारिश
तुमने मुस्करा कर कहा , कौनसी 
मैंने कहा  अरे वही उस पुराने शहर वाली बारिश
तुमने कहा कि हम कभी बारिश में भीगे ही नहीं
मैंने मुस्कराते हुए कहा , अब भीग जाए !!

तुमने कुछ देर ठहर कर कहा , मैं चलती हूँ   ...

समय फिर रुक  सा गया, 
मैंने देखा चाय के कप में ;
पेड़ के फूलो से पानी टपक रहा था ;
और बारिश का पानी  जमा  हो रहा  था .

मैंने कहा कि ,
नहीं .
अब मत जाओ ...

लेकिन तुमने मुझसे ज्यादा दुनिया देखी थी
और
मेरी प्रेम की दुनिया में तुम नहीं रह सकती थी .
क्योंकि साथ निभाना तुमने नहीं जाना था .

तुमने कहा ,
नहीं , अब बहुत देर हो चुकी  है
और .......तुम चली  गयी !

मैं बाहर  आ कर तुम्हे मोड़ तक देखते रहा 
मैं भीग  रहा  था जोरो से..
तुमने मुड़कर  देखा मुझे मोड़ पर  ;
और चली  गयी .

मैं बहुत देर तक वह खड़ा रहा ,
और बारिश के पानी में ;
मेरे आंसुओ को मिलते हुए देखता रहा

मैं मुड कर देखा ,
मोड पर अब कोई नहीं था
और ;
वो दो फूल झड गए थे .
चाय के कप में अब पूरी तरह से बारिश का पानी भर गया था ; 
और शायद ज़िन्दगी में भी !!!!




Sunday, July 17, 2011

मुझे यकीन है ….

मुझे यकीन है ….

तुम कहती हो कि ,
तुम मुझसे प्यार नही करती हो
फिर क्यों तुम,
अक्सर मेरे ख़तों के इंतजार में ,
अपने दरवाज़े पर खड़े होकर ;
अपने खुले हुए गेसुओ में ;
अपनी नाज़ुक उँगलियाँ ,
कुछ बैचेनी से अनजाने में लपेटते हुए
ख़त लाने वाले का इंतजार करती हो ....!!!

तुम कहती हो कि ,
तुम मुझसे प्यार नही करती हो
फिर क्यों तुम,
अक्सर धुंधलाती हुई शामों में
धूल से भरी सडको पर .
बेसब्री से , भरी हुई आँखों में
आंसुओं को थामे , कुछ सिसकते हुए..
हर आते जाते हुए सायो में .
किसी अपने के साये का इंतजार करती हो ......!!!

तुम कहती हो कि ,
तुम मुझसे प्यार नही करती हो
फिर क्यों तुम,
अक्सर मेरी आवाज सुनने को बैचेन रहती हो
दौड़ दौड़ कर ,एक यकीन के साथ
कुछ मेरी यादो के साथ
कुछ अपने मोहब्बत के सायों से लिपटे हुए
मदहोश सी , मेरी आवाज़ सुनने चली आती हो.....!!!

तुम कहती हो कि ,
तुम मुझसे प्यार नही करती हो
फिर क्यों तुम,
रातों को जब सारा जहाँ सो जाये
तो, तुम तारो से बातें करती हो
कुछ अपने बारें में ,कुछ मेरे बारें में
कुछ गिले शिकवे , कुछ प्यार
ये सब कुछ ,मेरी नज़मो / ख़तों को पढ़ते हुए
मुझे याद करते हुए , क्यों तकियों को भिगोती हो.....!!!

तुम कहती हो कि ,
तुम मुझसे प्यार नही करती हो
पर मुझे यकीन है कि
तुम मुझे प्यार करती हो……!!!!

Saturday, July 2, 2011

तस्वीर....!!!



THIS POEM TAKES YOU ALL TO A WORLD OF PURE LOVE ; WHERE YOU WILL TRAVEL ALONG WITH THE WRITER ON A TIMELESS JOURNEY.... ONE OF MY ALL TIME FAVORITE COMPOSITIONS ...................


तस्वीर

मैंने चाहा कि
तेरी तस्वीर बना लूँ इस दुनिया के लिए,
क्योंकि मुझमें तो है तू ,
हमेशा के लिए....

पर तस्वीर बनाने का साजो समान नही था मेरे पास.
फिर मैं ढुढ्ने निकला ;
वह सारा समान ,
मोहब्बत के बाज़ार में...

बहुत ढूंढा , पर कहीं नही मिला;
फिर किसी मोड़ पर किसी दरवेश ने कहा,
आगे है कुछ मोड़ ,तुम्हारी उम्र के ,
उन्हें पार कर लो....

वहाँ एक अंधे फकीर कि मोहब्बत की दूकान है;
वहाँ ,मुझे प्यार कर हर समान मिल जायेगा..

मैंने वो मोड़ पार किए ,सिर्फ़ तेरी यादों के सहारे !!

वहाँ वो अँधा फकीर खड़ा था ,
मोहब्बत का समान बेच रहा था..
मुझ जैसे, तुझ जैसे,
कई लोग थे वहाँ अपने अपने यादों के सलीबों और सायों के साथ....

लोग हर तरह के मौसम को सहते वहाँ खड़े थे...
शमशान के प्रेतों की तरह .......

उस फकीर की मरजी का इंतज़ार कर रहे थे....
फकीर बड़ा अलमस्त था...
खुदा का नेक बन्दा था...
अँधा था......

मैंने पूछा तो पता चला कि
मोहब्बत ने उसे अँधा कर दिया है !!
या अल्लाह ! क्या मोहब्बत इतनी बुरी होती है..
मैं भी किस दुनिया में भटक रहा था....

खैर ; जब मेरी बारी आई
तो ,
उस अंधे फकीर ने ,
तेरा नाम लिया ,और मुझे चौंका दिया ,
मुझसे कुछ नही लिया.. और
तस्वीर बनाने का साजो समान दिया...
सच... कैसे कैसे जादू होते है मोहब्बत के बाजारों में !!!!

मैं अपने सपनो के घर आया ..
तेरी तस्वीर बनाने की कोशिश की ,
पर खुदा जाने क्यों... तेरी तस्वीर न बन पाई...

कागज़ पर कागज़ ख़त्म होते गए ...
उम्र के साल दर साल गुजरते गये...
पूरी उम्र गुजर गई
पर
तेरी तस्वीर न बनी ,
उसे न बनना था ,इस दुनिया के लिए ....न बनी !!

जब मौत आई तो ,
मैंने कहा ,दो घड़ी रुक जा ;
ज़िन्दगी का एक आखरी कागज़ बचा है ॥उस पर मैं "उसकी" तस्वीर बना लूँ !

मौत ने हँसते हुए उस कागज़ पर ,
तेरा और मेरा नाम लिख दिया ;
और मुझे अपने आगोश में ले लिया .
उसने उस कागज़ को मेरे जनाजे पर रख दिया ,
और मुझे दुनियावालों ने फूंक दिया.
और फिर..
इस दुनिया से एक और मोहब्बत की रूह फना हो गई..


Tuesday, June 14, 2011

और सफ़र अभी भी जारी है........!!!




और सफ़र अभी भी जारी है........

जब भी मैं अपने सफ़र को देखता हूँ तो
कुछ और नजर नहीं आता दूर दूर तक ......!

ज़िन्दगी अब एक लम्बी सुरंग हो चुकी है ....
जिसकी सीमा के पार कुछ नज़र नहीं रहा है ...
कहीं ; कोई रौशनी का दिया नहीं  है..!!
 
मैं तेरा हाथ पकड़कर चल रहा हूँ ..
अनवरत ....किसी अनंत की ओर .....;

जहाँ ,किसी आखरी छोर पर ;  हमें कोई खुदा मिले
और अपनी खुली हुई बाहों से हमारा स्वागत करे....!!

मैं अक्सर नर्म अँधेरे में तेरा चेहरा थाम लेता हूँ,
और फिर हौले से तेरा नाम लेता हूँ.
तुझे मालूम होता है कि , मैं कहाँ हूँ !!!

तू मुझे और मैं तुझे छु लेते है ........
मैं चंद साँसे और ले लेता हूँ ;
कुछ पल और जी लेता हूँ ...!!
.....इस सफ़र के लिए ... तेरे लिये !!!

अक्सर रास्ते के कुछ अनजाने मोड़ पर
तुम रो लेती हो जार जार ....
मैं तुम्हारे आंसुओ को छु लेता हूँ.....
जो कि ; जन्मो के दुःख लिए होते है
और कहता हूँ कि;  एक दिन इस रात की सुबह होंगी !

तुम ये सुन कर और रोती हो
क्योंकि जिस सुरंग में हम चल रहें है
वो अक्सर नाखतम सी सुरंगे होती है ...!

मुझे याद आता है कि ;
ज़िन्दगी के जिस मोड़ पर हम मिले थे
वो एक ढलती हुई शाम थी
वहां कुछ रौशनी थी ,
मैंने डूबते हुए सूरज से आँख-मिचौली की
और तुझे आँख भर कर देख लिया ...
और तुझे चाह लिया ; सच किसी खुदा कि कसम !!!
और तुझे 'तेरे' ईश्वर से इस उम्र के लिये मांग लिया !!!

तुझे मालुम था कि इस चाह  की सुरंग 
इतनी लम्बी होंगी 
मुझे यकीन था कि मैं तेरे संग
इसे पार  कर पाऊंगा 
पर हम तो किस्मत के मारे है ...!!!

कुछ मेरा यकीन , कुछ तेरी चाह्त ,  
कुछ मेरी चाहत और तेरा यकीन
हम सफ़र पर निकल पड़े  .......!!
ज़िन्दगी की इस सुरंग में चल पड़े ...!!!

और सफ़र अभी भी जारी है........!
जारी है ना मेरी जांना !!!!!


एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता

घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...