Tuesday, May 8, 2012

प्यार


सुना है कि मुझे कुछ हो गया था...
बहुत दर्द होता था मुझे,
सोचता था, कोई खुदा ;
तुम्हारे नाम का फाहा ही रख दे मेरे दर्द पर…

कोई दवा काम ना देती थी…
कोई दुआ काम ना आती थी…

और फिर मैं मर गया ।
जब मेरी कब्र बन रही थी,
तो
मैंने पूछा कि मुझे हुआ क्या था।
लोगो ने कहा;
" प्यार "


23 comments:

  1. kabra se nikalti awaaj:)
    pyare logo ki awaaj aise hi aati hai:)
    behatareen shabd!

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  2. ओह!..क्या कहने!

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  3. :):):)…………निशब्द

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  4. .


    आहऽऽऽ… !

    ऐ मुहब्बत तेरे अंज़ाम पॅ रोना आया …

    बहुत भावपूर्ण विजय जी !

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  5. .


    … और हां,
    ख़ूबसूरत पेंसिल स्केच के लिए बधाई !

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. प्यार पे कुर्बान..................???

    बहुत बढ़िया!!!!

    सादर.

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  8. लोगो ने कहा;
    " प्यार "
    KHUBSURAT kubsurat KHUBSURAT

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  9. Comment on FB :

    Subodh Srivastav

    atulya kavitaayein !!!!gaagar me saagar in my fenomena

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  10. comment on FB

    Dayanidhi Batsa

    आपकी कवितायें बहुत अच्छी होती हैं...

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  11. बहुत खूब सर!


    सादर

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  12. मेरे जैसे हो जाओगे, जब इश्क तुम्हे हो जायेगा।

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  13. बहुत बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  14. क्या ये प्यार हैं ????

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    Replies
    1. प्यार के तो बहुत से shades होते है जी , और प्यार में दर्द नहीं तो वो प्यार की पूर्णता नहीं कहलाई जायेंगी , और वैसे भी ये कविता तो सिर्फ एक काल्पनिक visualisation है जी . शुक्रिया आपकी आमद का .

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  15. हर डग पर ,हर पग पर
    एक बूंद गिरती हैं ,
    और बन जाती हैं प्यास
    इस जीवन की ....
    गागर की बूंद बूंद रिसती जाती हैं
    जीवन की आस किन्तु ...वैसी की वैसी ||.........अनु

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  16. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  17. बिना दर्द के प्यार कहा पूर्ण होता है ..
    गहन अभिव्यक्ति......

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  18. kamaal ka likhtey hain aap.....bahut sundar rachna...

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