Sunday, November 28, 2010

६२२ मील लम्बा रास्ता और उम्र के बीस बरस ...



तुम थी किसी और दुनिया में ,
और मैं अपनी दुनिया में ...

मेरी दुनिया से तेरी दुनिया तक पहुँचने में
मुझे बहुत लम्बा रास्ता पार  करना पड़ा ,
वो रास्ता ६२२ मील लम्बा था
और मुझे उसे पार करने में २० बरस लग गए
लेकिन हमें तो मिलना ही था ;
ईश्वर ने ही  ये चाहा था .

तुझे पा लिया , सब कुछ पा लिया .
तेरे संग जो जिया , वो जी लिया .

बस तुमने मुझे छोड़ना नहीं था जानां ;

तुमने मुझे छोड़ दिया ,
मेरा सब कुछ खो गया ..                     
अब मैं अकेला हूँ
कोई दुनिया नहीं मेरे संग
कोई अपना नहीं मेरे संग
बस अब मैं अकेला हूँ !!!

शायद इसे ही तो  बेवफाई कहते है
हैं न जानां....!!!

लेकिन ;
मुझे तेरी बेवफाई नज़र आती है सिर्फ दूर  से ,
पास आता हूँ तो तुम सिर्फ मेरी जानां होती हो ..

ज़िन्दगी के फैसले क्यों मोहब्बत का खून करते है
 
 

16 comments:

  1. दर्द को शब्दों में पिरो दिया
    मगर मोहब्बत को ना रुसवा किया
    ये कौन सा तूने मोहब्बत का घूँट पिया
    जहाँ फरिश्तों ने भी तेरे सदके में सजदा किया

    अब इससे ज्यादा क्या कहूँ……………मौन हूँ और सोच रही हूँ।

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  2. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (29/11/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

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  3. दर्द को उकेरती हुई कविता

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  4. चलिये आपने तय तो कर लिया, यहां तो!

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  5. भावप्रधान पंक्तियाँ, दृष्टिकोणीय।

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  6. मुझे तेरी बेवफाई नज़र आती है सिर्फ दूर से ,
    पास आता हूँ तो तुम सिर्फ मेरी जानां होती हो

    दूर जाते ही क्यों है!!
    सुन्दर भाव और गहन एहसास/अनुभूति

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  7. शब्‍द दर्द हर भी लेते हैं
    दर्द को हरा भी वे ही करते हैं

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  8. बहुत सुंदर रचना। भावपूर्ण पंक्तियां आत्मिक प्रेम को प्रस्तुत कर रही है।

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  9. दर्द बहता हुआ कविता के साथ!
    सुन्दर रचना!

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  10. जब प्रेम मिल जाता है तो रास्ता या सफ़र मायने नहीं रखता है , कारण प्रेम तो हमारे ह्रदय में ही खिलता है और हम केवल देना चाहते हैं .ह्रदय को छू देने वाली रचना ...बहुत खुबसूरत ...समग्र भाव . आपको शुभकामनायें ...

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  11. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ बेहतरीन प्रस्तुती! बधाई !

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  12. I too asked this question a several tymes k kyu zindagi k faisle muhabbat ka khoon kar dete hain?

    Prabhavi kavita

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  13. 622 मील दूर से आवाज़ आती है
    'पंख होते तो उड़़ आती रे..' और बाल विवाह की अनुमति होती तो 20 साल कौन प्रतीक्षा करता है।

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  14. नेह के सागर की अथाह गहराई में डूब कर आये शब्दों ने रचना को जीवंत सा कर दिया .
    "भाव भरे गंभीर "

    - विजय तिवारी 'किसलय'

    सकारात्मक एवं आदर्श ब्लागिंग की दिशा में अग्रसर होना ब्लागर्स का दायित्त्व है : जबलपुर ब्लागिंग कार्यशाला पर विशेष.

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  15. सच है विजय जी ... जिसको प्यार करो वो बेवफा कैसे हो सकता है ... उसको बेवफा कैसे कह दो ... दिल खोल कर रख दिया .... बहुत लाजवाब ...

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