Thursday, January 1, 2009
रात भर यूं ही.........
कुछ भी कहो, पर....
रात भर यूं ही आलाव जलाते रहो.......
चाहता हूँ कि तुम प्यार ही जताते रहो,
अपनी आंखो से तुम मुझे पुकारते रहो,
कुछ भी कहो, पर....
रात भर यूं ही आलाव जलाते रहो.......
चुपके से हवा ने कुछ कहा शायाद .
या तुम्हारे आँचल ने कि कुछ आवाज़..
पता नही पर तुम गीत सुनाते रहो...
रात भर यूं ही आलाव जलाते रहो.......
ये क्या हुआ , यादों ने दी कुछ हवा ,
कि आलाव के शोले भड़कने लगे ,
पता नही , पर तुम दिल को सुलगाते रहो
रात भर यूं ही आलाव जलाते रहो.......
ये कैसी सनसनाहट है मेरे आसपास ,
या तुमने छेडा है मेरी जुल्फों को ,
पता नही पर तुम भभकते रहो..
रात भर यूं ही आलाव जलाते रहो.......
किसने की ये सरगोशी मेरे कानो में ,
या थी ये सरसराहट इन सूखे हुए पत्तों की,
पता नही ,पर तुम गुनगुनाते रहो ;
रात भर यूं ही आलाव जलाते रहो.......
ये कैसी चमक उभरी मेरे आसपास ,
या तुमने ली है ,एक खामोश अंगढाईं,
पता नही पर तुम मुस्कराते रहो;
रात भर यूं ही आलाव जलाते रहो.......
कुछ भी कहो, पर....
रात भर यूं ही आलाव जलाते रहो.......
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एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता
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नया साल आए बन के उजाला |
ReplyDeleteखुल जाए आपकी किस्मत का ताला ||
चाँद तारे भी आप पर ही रौशनी डाले |
हमेशा आप पर रहे मेहरबान उपरवाला ||
नूतन वर्ष मंगलमय हो ||
विजय जी,
ReplyDeleteआपको तथा आपके परिवार को नव वर्ष की शुभकामनायें
अलाव ये प्यार के मीठी तपन देते रहें
रिश्ते कडी धूप में साये गहन देते रहें
आपकी कामना पूर्ण हो
sundar bhav,khubsurat ehsaas,bahut badhai,naya saal mubarak
ReplyDeletenice...
ReplyDelete---meet
कुछ भी कहो, पर....
ReplyDeleteरात भर यूं ही आलाव जलाते रहो.......
जी हमने तो यही किया था और जब सुबह हुई तो आपका दरवाजा भी खटख़टा दिया था।
बहुत अच्छे जी। नए साल में ऐसे ही लिखते रहो।
ये कैसी चमक उभरी तुम्हारे आस पास,
ReplyDeleteया तुमने ली है एक खामोश अंगडाई....
हुज़ूर ! रात के अलाव का खूब जायज़ा लिया आपने तो...
खूबसूरत लफ्जों के साथ खूबसूरत कविता पर बधाई स्वीकारें ....!!
---मुफलिस---
आपकी नई रचना पसंद आई...
ReplyDeleteशुभकामनाएं
२००९ नया वर्ष सुख शाँति कायम करे -आपको सपरिवार शुभकामनाएँ
ReplyDeleteआपकी कविता गर्भनाल मेँ भी देखीँ
- लावण्या
तपिश रूमानी है... सुंदर भावः
ReplyDeletebahut hi sadhe huye shabdon mai likha hai dil mai utarti hai direct..
ReplyDeleteye kab aur kis waqt likhi ye to kamaal ka likha hai...shabd nahi hain mere paas na khud ko itna bada samjhta huin is kavya rachna par kuch bol sakauin........
Bade dinonbaad, badee mushkilse aapka blog khula,,,,bohot saaree kavitayen, behad adheertaake saath padh lee....milanki khushi, pehle pyarka nasha, birahkaa dard, beete kalki yaaden, naye warshka swagat, aur bohot kuchh,,,har rachnaka apna alag tareeqa....agli baar kamse kam 2/3 rachnayonpe alagse tippanee zaroor doongi...waise jin diggajon ne mere pehle de rakhi hai, unse alahida aur kya keh sakti hun ?
ReplyDeleteMubarak ho naya saal !
sab kuch to kah diya ab baki kya raha
ReplyDeletealaav aapne aisa jalaya ki uski tapan door door tak mehsoos huyi