तुझसे रिश्ता जोड़ते हुए कोई मुश्किल नहीं हुई थी
बस वक्त ठहर सा गया था .
नब्ज़ रुक सी गयी थी
सांस थम सी गयी थी
लेकिन समय के पाँव , सुना है कभी नहीं रुकते ;
जिन्हें हम मंजिल समझते है ,वो अक्सर रास्तो के पत्थर होते है
जिसे शुरुवात समझते है , वो एक अंत की शुरुवात ही होती है
सो , जिंदगी कभी दिन पर पाँव रखते हुए
और कभी रात पर रुकते हुए
आज इस मोड पर आ गयी है ,
जहाँ से तुम ; मेरे हाथ से अपना हाथ निकाल रही हो ..
लेकिन बड़ी अजीब सी बात है ,
अजीब सा हादसा है .
आज रिश्ता खत्म करते हुए ….
फिर वक्त ठहर सा गया है ,
फिर नब्ज़ रुक सी गयी है
फिर सांस भी थम सी गयी है ..
वक्त वक्त की बात है जाना ,
तुम कल आकर देखना ,
मेरी लाश में तुम्हे ;
तेरे नाम का दिल धडकते हुए मिलेंगा !!
Bahut anoothee rachana!Ek kasak chhod gayee dil me!
ReplyDeleteशानदार, बधाई.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आयें, आपका हार्दिक स्वागत है
मीडिया की दशा और दिशा पर आंसू बहाएं
वक्त वक्त की बात है जाना ,तुम कल आकर देखना , मेरी लाश में तुम्हे ;तेरे नाम का दिल धडकते हुए मिलेंगा !!
ReplyDeleteक्या बात हे बहुत खुब्सुरत भावो से आप ने दिल का दर्द को दर्शाया हे, धन्यवाद
वक्त वक्त की बात है जाना ,तुम कल आकर देखना , मेरी लाश में तुम्हे ;तेरे नाम का दिल धडकते हुए मिलेंगा !!
ReplyDeleteबहुत खूब विजय जी ......
मन की पीड़ा के प्रतीकों को व्यक्त करने का नया प्रयोग। बहुत ही सुन्दर।
ReplyDeleteNice post .
ReplyDeleteठहरे हुए वक़्त के हाथों में हर अहसास भी ठहर जाता है जो वक्क्त-बेवक्त इतनी खूबसूरती से बाहर आ जाता है साथ ही हमें भी कुछ पल ठहरा देता है . चित्ताकर्षक लगी ..बधाई
ReplyDeleteसुंदर कविता!
ReplyDeleteमृत्यु में भी जीवन तलाशने की कोशिश, बधाई!
रचना अच्छी लगी शुभकामनायें आपको !!
ReplyDeleteबहुत खूब ... दर्द और कसक की लहर दौड़ जाती है अंत आते आते .... बहुत खूब विजय जी ...
ReplyDeleteसुंदर कविता!
ReplyDeleteबहुत मार्मिक प्रस्तुति
ReplyDeletevijay bhai bahut sundar bhavapoorn rachana ...abhaar prastuti ke liye ..
ReplyDeletebahut achchi rachna , seedhe saral andaz me. shubhkamnayen.
ReplyDeletebhut bhut sunder rachna...
ReplyDeleteदिल का धडकना ही
ReplyDeleteज़िन्दा रहने का सबब बना
जुदाई का गम ही
जीने की वजह बना
बेहद खूबसूरती से बयाँ किया है हाल-ए-दिल्……………एक दास्तान बन गयी।
सच में वक़्त वक़्त की बात होती...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई विजय जी.
ReplyDeleteअंतस के दर्द का अहसास बखूबी बयान किया है...
ReplyDeleteदिल का दर्द लफ्जों में उतर आया है । बेहद खूबसूरत रचना ।
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