बहुत देर से कोशिश कर रहा हूँ कि ,
तुझे भुला सकूँ,
लेकिन तुम निकल आती हो बाहर मेरे किताबो के पन्नो से
और निकल आती हो अक्सर मेरे बिस्तर से भी ;
और देख रहा हूँ कि भगवान की मूर्ती में भी तुम हो.
थक कर चारो ओर निगाह घूमाता हूँ ;
तो देखता हूँ तुम्हे मेरी दीवारों पर टंगे हुए
और देखता हूँ ,
मेरे ख्यालो के साथ साथ जिस्म पर भी तुम्हारा अक्स है !
थक कर अब बैठ गया हूँ मैं !
तुम्हे भुलाना कुछ मुश्किल हो रहा है जानां;
तुम हो मेरी तमाम यादो में .
तुम हो उन सारे सडको पर जिस पर हम साथ साथ चले
और हो उन कमरों में भी जहाँ हमने साथ साथ सांस ली थी
उन सडको को , उन कमरों को ,
और उन शहरो की परछाईयों को देखता हूँ मैं ;
अपने वजूद में हमेशा के लिए समाये हुए....
तुम न ज़िन्दगी में हो और न ही ज़िन्दगी से बाहर हो
मैं सोचता हों तुम्हे कैसे भूलू....
हर दिन बस ;
कुछ ऐसे ही काट लेता हूँ
तुम्हे भूलने की कोशिश करना
और इसी बहाने तुम्हे और याद करना ..
उम्र के कटती हुई तारीखों में ;
कुछ इसी तरह तुम्हे कुछ देर और याद कर लेता हूँ जानां....!!!
भावों की सुखद अभिव्यक्ति।
ReplyDeletevijay bhaai del ke andar kaa haal to sch men yhi he jiskaa aapne chitran kr dikhanae kaa saahs kiyaa hai bhtrin rchnaa ke liyen bdhaai ho . akhtar khan akela kota rasjthan
ReplyDeletevijay bahi ji
ReplyDeletebahut bahut badhai man ke jajbaato ko badi hi khoob surati v sajta ke sath batan kiya hai aapne
bahit hi bhav pravan prastuti.
sadar naman
poonam
aapne mere blog par apni kavita ---parayon ka ghar ---ka jikr kiya hai .par vo aapke kis blog par hai mujhe mila hi nahi .
kripya baatne ka kasht karen
poonam
उम्र के कटती हुई तारीखों में ;कुछ इसी तरह तुम्हे कुछ देर और याद कर लेता हूँ जानां....!!!
ReplyDeleteकहाँ संभव होता है यादों को भुलाना...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
किसी को भुलना इतना आसान नही होता। सुन्दर रचना।
ReplyDeleteक्या बात है...बहा ले गये भावों के साथ.. बहुत उम्दा!!
ReplyDeleteभू्लें तो उसे जिसे याद किया जाये
ReplyDeleteजो सांसों संग महकता हो उसे कोई कैसे भूले
कभी सांसें भी भूली जाती हैं
अब इसके बाद क्या कहूँ?
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
हर दिन बस ; कुछ ऐसे ही काट लेता हूँ तुम्हे भूलने की कोशिश करना और इसी बहाने तुम्हे और याद करना ..
ReplyDeleteउम्र के कटती हुई तारीखों में ;कुछ इसी तरह तुम्हे कुछ देर और याद कर लेता हूँ जानां....!!!
yaade mitaye nahi mitti ,bahut hi khoobsurat rachna hai ,komal bhavo ki
मन की बात कह दी आपने....बेजोड़ ! बधाई आपको !
ReplyDeleteवाह,विजय भाई,आप भी दिल की कलम से ही लिखते हैं.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना.
क्या भावगंगा बहाई है विजय जी बहुत ही सुंदर ।
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