Monday, March 9, 2009
नज़्म
बड़ी देर हो गई है ,
कागज़ हाथ में लिए हुए !
सोच रहा हूँ ,
कि कोई नज़्म लिखूं !
पर शब्द कहीं खो गए है ,
जज्बात कहीं उलझ गए है ,
हाथों की उंगलियाँ हार सी गई है ;
क्या लिखु .... कैसे लिखु ...
सोचता हूँ ,
या तो ;
सिर्फ “खुदा” लिख दूं !
या फिर ;
सिर्फ “मोहब्बत” लिख दूं !
इन दोनों से बेहतर भला
कोई और नज़्म क्या होंगी...!!!
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एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता
घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...
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घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...
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मिलना मुझे तुम उस क्षितिझ पर जहाँ सूरज डूब रहा हो लाल रंग में जहाँ नीली नदी बह रही हो चुपचाप और मैं आऊँ निशिगंधा के सफ़ेद खुशबु के साथ और त...
वाह जी वाह क्या बात कही है छोटी मगर घायल कर देने वाली नज्म... मेरी मानो तो मोहबब्ते खुदा लिख दो आप....
ReplyDeleteबहोत खूब लिखा है आपने ... होली की भी ढेरो बधाई आपको...
अर्श
very short... but very meaningful...
ReplyDeletesundar rachana
ReplyDeleteकई बार एक शब्द ही काफी होता है अपनी भावनाएं दर्शाने को.
ReplyDeleteसुन्दर!
होली की ढेरो बधाई
ReplyDeleteसोचता हूँ ,
ReplyDeleteया तो ;
सिर्फ “खुदा” लिख दूं !
या फिर ;
सिर्फ “मोहब्बत” लिख दूं !
बहुत बढ़िया कहा सुन्दर होली की बधाई बहुत बहुत
बहुत दिनों बाद अपनी असली रंग में लौटे हैं आप....अच्छी नज़्म...बधाई.
ReplyDeleteनीरज
चंद लफ़्जों में बहुत कुछ कह गई आपकी ये रचना।
ReplyDeleteसोचता हूँ ,
या तो ;
सिर्फ “खुदा” लिख दूं !
या फिर ;
सिर्फ “मोहब्बत” लिख दूं !
वाह।
सोचता हूँ ,
ReplyDeleteया तो ;
सिर्फ “खुदा” लिख दूं !
या फिर ;
सिर्फ “मोहब्बत” लिख दूं !
इन दोनों से बेहतर भला
कोई और नज़्म क्या होंगी...!!!
ab dheere dheere karke aap apne rang me waapas aa rahe hain,,,
holi mubaarak,,,,
muflis ji bhi saath hi baithe hain,
dono ke phone par ek saath sms aayaa ,,,,maine dekhaa aapka thaa,,,
muflis ji jeb se phone nikaalne lage to maine kahaa,,,apne vijay ji kaa sms hi hogaa,,,,
main ekdam sahi tha,,,,,
ab muflis ji ke comment ke liye main band kartaa hoon,,,,ek baar fir badhaai,,,,,,
सोचता हूँ ,
ReplyDeleteया तो ;
सिर्फ “खुदा” लिख दूं !
या फिर ;
सिर्फ “मोहब्बत” लिख दूं !
इन दोनों से बेहतर भला
कोई और नज़्म क्या होंगी...!!!
ab dheere dheere karke aap apne rang me waapas aa rahe hain,,,
holi mubaarak,,,,
manu ji bhi saath hi baithe hain,
dono ke phone par ek saath sms aayaa ,,,,maine dekhaa aapka thaa,,,
manu ji jeb se phone nikaalne lage to maine kahaa,,,apne vijay ji kaa sms hi hogaa,,,,
main ekdam sahi tha,,,,,
ab manu aur muflis ki taraf se badhaai,,,,,,
---MUFLIS---
Vijay ji...aapne mujhe apnee nazm ke baareme ittelaa dee, iske liye tahe dilse shukr guzaar hun...
ReplyDeleteNazm ke baareme kya likhun, mere paas shabdon kee hameshaa qillat rehtee hai...aap pratibhawaan hain...behad achha abhivyakt kar sakte hain...yahee har baar likh detee hun !
mohabbat hi khuda hai aur khuda hi mohabbat hai......ye aap jante hain to kuch bhi likhiye .............dil se nikli baat dil tak phunch hi jayegi.
ReplyDeletevijay ji,
ReplyDeletemera blog aapka intzaar kar raha hai kafi din ho gaye.
HAPPY HOLI TO U AND UR FAMILY
Vijay bhai
ReplyDeleteAchhee kavita likhi hai.
Badhaai.
Tejedra Sharma
Waah ! Itne sankshep me kitni sundar baat kah di aapne....
ReplyDeleteGazal yaad aa gayi-
koun kahta hai muhhabat ki juban hoti hai,
ye haqeeqat to nigahon se bayan hoti hai...
Holi ki bahut bahut shubhkaamnayen.
रंगों के त्योहार होली पर आपको एवं आपके समस्त परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDelete---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
विजय जी ,अब जाकर आपकी नज़्म पढने का मौका मिला .अच्छी नज़्म है .गुलजार जी की भी एक ऐसी ही नज़्म है .बधाई
ReplyDeleteहोली की शुभकामनायें
विजय जी
ReplyDeleteहोली के अवसर पर, इतनी संवेदन शील रचना, गहन चिंतन के साथ, बहूत सुन्दर अभिव्यक्ति
आपको और आपके परिवार को होली की शुभ कामनाएं
Vijayji...mere blogpe zaroor jayen....
ReplyDeleteKuchh mahatvpoorn sandesh post karne pade hain....intezaar rahegaa...aur besabreese...post padhenge to pata chalega...
लिखो खुदा या
ReplyDeleteलिखो मोहब्बत
लिखो अवश्य
चंद विचार
मानस और
मनकी मत
करो बंद
किवाड़।
आपको तथा आपके पुरे परिवार को मेरे तरफ से रंगीन होली की ढेरो बधईयाँ और शुभकामनाएं..
ReplyDeleteregards
"शब्द कही खो गये हैं ,
ReplyDeleteजज़्बात कही उलझ गये हैं
हाथों की उंगलियाँ हार-सी गयी हैं..."
वाह ! वाह !!
खुदा और मुहोब्बत के बीच रिश्ता बनाये रखने का
एक खूबसूरत प्रयास ........
पूर्ण रूप से समर्पण भाव , सही सोच , और विचारों की तन्मयता
बहुत ही भावनात्मक कविता ....
रचनात्मकता के विकास और गुणवत्ता की ओर मुड़ना एक अच्छा क़दम साबित होगा
बधाई स्वीकारें ..........
(पहले दी गयी टिप्पणी mei...
दिल्ली में आदरणीय मनु जी के साथ बैठे हुए
आपके साथ होली की अठखेलियाँ bhi थीं ....)
---मुफलिस---
विजय जी,
ReplyDeleteशानदार नज़्म के साथ,,,,होली की मुबारक बाद,,,,,,,,,,,,
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ .
ReplyDeletevijay bhaaee
ReplyDeleteholi mubaarik ho.
nazm bhee bahut khoob lagee.
सोचता हूँ ,
ReplyDeleteया तो ;
सिर्फ “खुदा” लिख दूं !
या फिर ;
सिर्फ “मोहब्बत” लिख दूं !
इन दोनों से बेहतर भला
कोई और नज़्म क्या होंगी...!!!
वाह! लिख़नेवाले! तुमने तो बहोत कुछ लिख़ डाला।