Monday, March 2, 2009
रिश्ते की राख़........
बहुत सी तस्वीरे बनाई मैंने
सोचा कि
एक तस्वीर तुम्हारी भी बना लूँ ...
कल रात कोशिश की,
तो ;
जिंदगी के कागज पर एक रिश्ता बन गया !
सुबह हुई तो देखा कि ,
कोई यार तेरा,
उस कागज़ को जला रहा था......
और तुम मेरे इश्क की राख
अपने अजनबी रिश्ते में घोल रही हो .......
सुनो !!!
तुम अगर कभी इश्क की कब्रगाह से गुजरो ,
और ;
वहां किसी कब्र से तुम्हारे नाम की
आह सुनाई दे....
तो समझना;
वहां मैं सोया हूँ , तेरा नाम लेते हुए !!
बस सिर्फ इश्क के नाम पर..
तुम उस रिश्ते कि राख़ मेरे कब्र पर डाल देना ;
जो कभी हम दोनों ने जिया था !!!
बस ...और क्या !!!
मोहब्बत की दुनिया यूँ ही तो ख़त्म की जाती है …….
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एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता
घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...
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घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...
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मिलना मुझे तुम उस क्षितिझ पर जहाँ सूरज डूब रहा हो लाल रंग में जहाँ नीली नदी बह रही हो चुपचाप और मैं आऊँ निशिगंधा के सफ़ेद खुशबु के साथ और त...
Asusual filled with feelings and emotions to the core!! Excellent!
ReplyDeletedilchasp....khas taur se aakhiri line.
ReplyDeleteमोहब्बत की दुनिया कभी ख़त्म नहीं होती...ये सतत है....अनवरत चलती है...रास्ते बदलती है...लेकिन चलती है...जिस दिन मोहब्बत की दुनिया ख़त्म हो जायेगी फिर बचेगा ही क्या?
ReplyDeleteअच्छे शब्दों से रची है आपने अपनी ये रचना...बधाई ... लेकिन कवि को आशावादी होना चाहिए...
नीरज
बहुत सुन्दर लिखते है आप ..अच्छी लगी आपकी यह कविता भी शुक्रिया
ReplyDeletewo rishta hi kya
ReplyDeletejiski rakh ban jaye
wo pyar hi kya
jiski tasveer ban jaye
mohabbat kabhi mitti nhi
wo to fizaon mein zinda rahti hai
hamara to yahi khayal hai .
vaise aapka dard vyakt ho raha hai magar use dekhne ka nazariya badlein to ho sakta hai aapko ye na kahna pade.
rachna hamesha ki tarah bahut dardbhari hai.
अद्भुत !!! बहुत सुन्दर कविता !!!
ReplyDeleteमित्र ,कविता बहुत अच्छी है किन्तु उसका केन्द्रीय भावः है प्यार और प्यार की कभी कब्र नहीं बनती बल्कि प्यार तो फूलों की तरह kabron को भी महका देता है ,सुन्दर बना देता है .में भी नीरज जी से सहमत हूँ kavi को आशावादी होना चाहिए .
ReplyDeleteविजय जी
ReplyDeleteबहुत अलग अंदाज की कविता, नया pan लिए, अच्छी अभिव्यक्ति
तो समझना;
ReplyDeleteवहां मैं सोया हूँ , तेरा नाम लेते हुए !!
बस सिर्फ इश्क के नाम पर..
तुम उस रिश्ते कि राख़ मेरे कब्र पर डाल देना ;
जो कभी हम दोनों ने जिया था !!
"bhut sundr alfaaj....these last words have touched my heart..."
regards
वाह वाह बहुत सुन्दर
ReplyDeleteओह!! वाह!! बहुत गहरे....आनन्द आ गया.
ReplyDeleteहर बार की तरह सुन्दर लिखा है। अच्छा लगा पढकर।
ReplyDeleteबहुत सी तस्वीरे बनाई मैंने
सोचा कि
एक तस्वीर तुम्हारी भी बना लूँ ...
कल रात कोशिश की,
तो ;
जिंदगी के कागज पर एक रिश्ता बन गया
खूबसूरत।
ऐसा भी होता है। पर नही होना चाहिए।
वहां से तो बहुत सी
ReplyDeleteआवाजें आ रही होंगी
उनमें वो सिर्फ आपकी
आवाज कैसे पहचानेगी
कोई और निशानी भी
बतलाओ उसे जिससे
न आए परेशानी उसे
पहचानने में तुम्हें।
bahut ghari
ReplyDeletekoi yaar tera jala raha tha
विजय जी कोई बधाई ,
ReplyDeleteएक अच्छी कविता आयी,,
सब पर है छायी,
बधाई बधाई बधाई।
लाजवाब भाव,मार्मिक कविता....
ReplyDelete"जिंदगी के कागज़ पर एक रिश्ता बन गया..."
ReplyDeleteयूं लगा मन-भावन और पठनीय शब्दों से रची-बसी विजय की एक और कविता आ गयी है ........
लेकिन ...
"कोई यार तेरा" उस कागज़ को जला रहा था..
ये अस्वभाविक और असहज शब्दावली और वो भी आपके काव्य में ...?
सृजन-प्रक्रिया में क्या ऐसे प्रयोग को निरुत्साहित नहीं किया जाना चाहिए ...?
भाषा की मधुरता, कोमलता, और सात्विकता को बनाये रखना क्या हम रचनाकारों की जिम्मेदारी नहीं ...?
कविता तो हो गयी , बुत से अच्छे कमेन्ट भी मिल गये लेकिन
विजय की काव्य-शैली इसी भीड़ का हिस्सा हो कर रह गयी ...
मेरा अनुरोध है कि नीरज जी, सीमा जी, वंदनाजी के विचारों पर भी गौर फरमाएं
भाव कि शुद्धता ही आपके अनुपम काव्य की पहचान है ....
---मुफलिस---
सुबह हुई तो देखा कि ,
ReplyDeleteकोई यार तेरा,
उस कागज़ को जला रहा था......
और तुम मेरे इश्क की राख
अपने अजनबी रिश्ते में घोल रही हो .......
Vijay ji bhot sunder paktiyan ...!!
आप की कवितायों में नकारात्मक भाव मुखर होते हैं..
ReplyDeleteऐसा क्यों?
प्रेम भाव बहुत ही निराला और अमृत समान होता है..आप की इस कविता में आप अलग अंदाज में लिखते समझ आ रहे हैं.
"इश्क के नाम पर
ReplyDeleteउस रिश्ते की राख को मेरी कब्र पर डाल देना
जो कभी हम दोनों ने जिया था"
इन पंक्तियों को पढ़कर, इश्क के वो सारे किस्से याद आ गए जिन्हें इतिहास में सबसे खूबसूरत कहानियों के तौर पर याद किया जाता है।
कल रात कोशिश की,
ReplyDeleteतो ;
जिंदगी के कागज पर एक रिश्ता बन गया !
.....bahut hi sunder
sach kalpnao ka rishta
कल रात कोशिश की,
ReplyDeleteतो ;
जिंदगी के कागज पर एक रिश्ता बन गया !
.....bahut hi sunder
sach kalpnao ka rishta