Monday, April 18, 2011

मोहब्बत




तुम अपने हाथो की मेहँदी में मेरा नाम लिखती थी
और मैं अपनी नज्मो में तुझे पुकारता था जानां ;

लेकिन मोहब्बत की बाते अक्सर किताबी होती है
जिनके अक्षर वक्त की आग में जल जाते है
किस्मत की  दरिया में बह जाते है ;

तेरे हाथो की  मेंहदी से मेरा नाम मिट गया
लेकिन मुझे तेरी मोहब्बत  की  कसम ,
मैं अपने नज्मो से तुझे जाने न दूंगा...
ये मेरी मोहब्बत है जानां  !!

5 comments:

  1. यही तो मोहब्बत है...बहुत खुब।
    i agree wid u...

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  2. Love never dies... coz its above ol..its divine....truelly beautiful poem :)

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  3. मोहब्बत की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....

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  4. निस्संदेह प्रेम ऐसा ही होता है .बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .

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  5. मोहब्बत की मेंहदी का रंग कभी फ़ीका नही पडता बेशक हाथ से मिट जाये दिल से कभी नही मिटता।

    एक बार फिर गहन अभिव्यक्ति …………प्रेम मे सराबोर्।

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