Monday, February 23, 2009
एक फौजी की शहादत
उस दिन मैंने उस गाँव में ,
उस बुढे किसान को देखा
उसके चश्मे का कांच टुटा हुआ था
और पैरो की चप्पले फटी हुई थी...
उसके चेहरे पर बड़ी वीरानी थी
मुझे बस से उतरते देख ;
वो दौड़ कर मेरे पास आया
मेरा हाथ पकड़ कर बोला ;
मेरा बेटा कैसा है
बड़े दिन हुए है , उसे जंग पर गए हुए ;
कह कर गया था कि ;
जल्दी लौट कर आऊंगा
पर अब तक नही आया
मेरी हालत तो देखो ....
इस उम्र में मुझे कितनी तकलीफे है
उसकी माँ का इलाज़ कराना है
उसकी बीबी उसका रास्ता देखती है ;
उसका बेटा उसके लिए तरसता है ...
मुझे अपने गले में मेरे आंसू फंसते हुए लगे ;
मैंने कुछ कहना चाहा ,पर मेरा गला रुंध गया था !
उसके पीछे खड़े लोगो ने कहा
कि; वो पागल हो चुका है
अपने बेटे की शहादत पर
जो की एक
फौजी था !!!
मेरी आँखें भीग उठी
वो बुढा अचानक
मेरा हाथ पकड़ कर बोला
बेटा घर चलो
हमने उसके बारे में बताओ....
तुम उसके पास से आ रहे हो न ..
मैंने खामोशी से वो उजाड़ रास्ता
तय किया , उस बुढे पिता के साथ ;
और उसके टूटे -फूटे घर पर पहुँचा !
उसने ,मुझे एक बूढी औरत से मिलाया
उसे मोतियाबिंद था !
उसने उससे कहा ,बेटे के पास से आया है
उसकी ख़बर लाया है ;
बूढी औरत रोने लगी
मैं स्तब्ध था , मुझे कुछ सूझ नही रहा था !
फिर उस फौजी की बेवा ;
ने मुझे पानी दिया पीने को .
मैंने उसकी तरफ़ देखा
कुल जहान का दुख उसके चेहरे पर था
इतनी उदासी और वीरानी मैंने कहीं और नही देखी थी
मैंने रुकते हुए पुछा घर का खर्चा कैसे चलता है
उसने कहा , औरो के घर के काम करती है
मुझसे रहा नही गया
मैंने कहा ,फौजी के कुछ रूपये देने थे ;
उससे बहुत पहले लिए थे...
ये ले लो !!!
और घर से बाहर आ गया
पीछे से एक बच्चा दौडता हुआ आया
मेरे कमीज पकड़ कर बोला
नमस्ते !
मैंने भीगी आंखों से उसे देखा
और पुछा ,
बड़े होकर क्या बनोंगे ?
उसने मुझे सलाम किया और कहा
मैं फौजी बनूँगा !!!
आँखों में आंसू लिए
मैंने बस में बैठते हुए अपने आप से कहा
मेरे देश में शहादत की ऐसी कीमत होती है !!!
वो फौजी हमें बचाने के लिए अपनी जान दे गया
और ये देश , उसके परिवार की जान ले लेंगा
मेरे देश में शहादत की ऐसी कीमत होती है !!!
फिर मैंने बस की खिड़की से उस बच्चे को देखा ,
वो दूर से हाथ हिला रहा था ......
उसने कहा था की वो फौजी बनेगा ..
एक और शहादत के लिये...
हमारे लिये ...
इस देश के लिये ........
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This is the true situation, and a person with a good heart can feel the same.. ur poems are always filled with emotions...
ReplyDeleteThis is the real situation of teh heroes who sacrifice their lives for iyr safety. Only a person with a good heart can feel for them... Ur poems are always filled with emotions..
ReplyDeleteआज का सच यही है। बहुत ही अच्छा लिखा है आपने। पढ़ कर लगा सब कुछ हमारी ही आँखों के आगे से गुजरा है। सशक्त अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteऐसे ही लोगों के बल पर हम चैन की नींद सोते हैं। उनको हम सबका सलाम।
ReplyDeleteसलाम है फौजी भाइयों को
ReplyDeleteउम्दा रचना है
sachhi baat kahi hai aapne... salaam sabhi viron ko....
ReplyDeletearsh
सच्चाई ही है इसमें सिर्फ
ReplyDeleteकविता का नहीं है एक हर्फ
सच्चाई देती है सिर्फ दुख
कविता की है इसमें भावना।
एक मर्म स्पर्शी रचना. हमारे देश का दुर्भाग्य है कि यहां पर एक आतंगवादी की जान और एक सैनानी की जान को एक ही तुला मे तोला जाता है..
ReplyDeleteएक और शहादत के लिये...
ReplyDeleteहमारे लिये ...
इस देश के लिये ........
सलाम है उन को ..सुंदर रचना लिखी है आपने
काश हमारी व्यवस्था के शीर्ष पर जमे गधों की आंखें भीगतीं।
ReplyDeletehaqeeqat hai.............bahut hi marmik rachna.
ReplyDeletewah bahut khoob, aapki yeh rachna bahut gehre tak choo gayi
ReplyDeletebahut hi emotional poem vijay
shukriya
manuj mehta
marm sparshi rachna. satya ko samete,
ReplyDeleteविजय जी भावुक कर दिया।
ReplyDeleteफिर मैंने बस की खिड़की से उस बच्चे को देखा ,
वो दूर से हाथ हिला रहा था ......
उसने कहा था की वो फौजी बनेगा ..
ये वो लोग है जो भगत सिहँ को चाहते ही नही भगत सिहँ बनाते भी है।
यह कविता अपने आप में एक पूरी कहानी है। कहा जाता है कि कहानी हर विधा की जननी होती है क्योंकि हर लेखक कुछ कहना चाहता है। उसके कहने की चाहत ही कुछ लिखवाती है, जो उसकी कहानी होती है। कविता मर्मस्पर्शी है किन्तु पहले पैरा के बारे में कुछ कहना चाहूंगा। पहली तीन पंक्तियों में तीन बार शब्द उस आता है और एक बार उसका। यह कविता को कमज़ोर करता है। विजय लिखते हैं, उस दिन मैनें उस गांव में / उस बूढ़े किसान को देखा / उसके चश्मे का कांच टूटा हुआ था. बेहतर होता यदि विजय लिखते, एक दिन मैनें गांव में / उस बूढ़े किसान को देखा / जिसके चश्मे का कांच टूटा हुआ था।
ReplyDeleteतेजेन्द्र शर्मा, कथा यू.के., लन्दन
मुझे तो यह हर तरह अपने दिल की बात लगती है!
ReplyDeleteनई कविताओ में एक ख़ास बात यह होती हे की हमें तुक नही मिलाना होता, बस यदि जहा से शुरू करे उसी अर्थ को विस्तृत करते हुए वो अपने अंत तक पहुचती है, उसकी सार्थकता सिध्ध हो जाती है, आपकी कविताओ में वो बात है. बहुत अच्छी रचना है, मर्म है और एक संकेत देश के एक बेहद ही संवेदनशील क्षेत्र के लिए .....
ReplyDeleteबधाई हो.
शहीदों के परिवार केवल सरकारों कह जिम्मरी नहीं होते। वे हमारी जिम्मेदारी पहले होते हैं और बाद में सरकार की।
ReplyDeleteसरकारो को गाली देकर अपने आप को बचा लेने की बेशर्मी हम निरन्तर बरतते चले आ रहे हैं और आगे भी बरतते रहेंगे।
शहीद सरकारों को नहीं, देश के लोगों को बचाते हैं।
बहुत मर्म स्पर्शी रचना है आपकी...लेकिन क्या हर फौजी के साथ जो अपने वतन के लिए शहीद होता है ऐसा ही होता है...शायद नहीं...मेरे हिसाब से फौजियों को रिटायर होने के बाद पेंशन मिलती है और शायद मूलभूत सुविधाएँ भी जैसे केन्टीन से सस्ता राशन बीमारी पर मुफ्त इलाज आदि...यदि हर फौजी की शहादत के बाद ऐसी स्तिथि हो तो बताईये कौन जाएगा फौज में?
ReplyDeleteपरिवार जिसके भरोसे चलता है उसकी मृत्यु से पूरा परिवार ही बिखर जाता है...फ़िर वो किसी भी व्यवसाय में क्यूँ न हो.
आपने जो देखा महसूस किया वो वाकई ह्रदय स्पर्शी है...सोचनीय और विचारणीय प्रश्न है...
नीरज
नीरज जी शायद ये कविता फौज के सबसे छोटे ओहदे पर खड़े जवान के लिए लिखी गयी है..शायद
ReplyDeleteकविता मर्म को भेद गयी. दिल में उतर गयी. बहुत कुछ कह गयी.
ReplyDeleteएक मर्मस्पर्शी सशक्त रचना है। हमारे उन वीरों को सलाम!
ReplyDeleteमहावीर शर्मा
बहुत अच्छा और बेहतरीन लिखा है
ReplyDeleteबधाई स्वीकारें
Respected Vijaya ji,
ReplyDeleteapkee is rachna ne man ko bhavook kar diya.marmsparshee kavita.
Poonam
Vijay ji,
ReplyDeletevyastta ki vajah se der hui chma chahti hun.... marmik rachna hai shhid ki pr Niraj ji aur Trjendra ji ki bat se bhi sahmat hun...waise bhi shhidon k parivaron ko sarkar kafi sahuliyat deti hai unki mali halat aisi to nahi honi chahiye.... ab pta nahi aapne kis fouji ko dekh liya...!!
Tejendra ji aapka blog kyun khali hai...? khani nahi to koi kavita hi dal den....!!
Bahut hi achhi kavita hai is desh ke logo ko phoji bhai ki respect karni chahiye "jai hind"
ReplyDeletehttps://sayari-kavita.blogspot.in/2017/07/blog-post_15.html
ReplyDeletegreat
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