Thursday, February 26, 2009

हीर दे लयी


दोस्तों , मेरी बहुत दिनों से इच्छा थी की ,मैं मराठी , पंजाबी और अंग्रेजी में कवितायेँ लिखूं . मैंने अंग्रेजी में तो लिखा है ,फिर कभी उन्हें पेश करूँगा .. बहुत जल्दी मराठी में भी लिख लूँगा .. रही बात पंजाबी की , तो एक कविता लिखा , जितनी पंजाबी मुझे आती थी , उस से उसका श्रृंगार किया , लेकिन बात कुछ बन नहीं रही थी .. फिर मैंने उसे अपने गुरु , आदरणीय नीरज जी को भेज दिया . अब गुरु तो गुरु है .उन्होंने उस कविता को बस पूर्ण रूप से पंजाबी बना दिया ...हालांकि ,उन्होंने कहा की ,कविता में थोडा और सुधार हो सकता है ....और मैंने कोशिश भी की , लेकिन ज्यादा कुछ और नहीं कर सका .. नीरज जी को नमन करते हुए ,कहूँगा की , बहुत जल्दी मैं एक सूफी गीत लिखूंगा और वो पंजाबी में रहेंगा ,और वो शुभ कार्य [ translation ] भी ,उन्ही को करना होंगा.. गुरु की जय हो...अब आप इस कविता को पढिये और अगर पसंद आये तो बहुत ज्यादा तारीफ , नीरज जी की और थोडी सी तारीफ मेरी भी कर दीजिये......

हीर दे लयी

आजा हुन ते प्यार लै हीरिये
तैनू मेरा दिल दा वास्ता हीरिये !!
आजा हुन ते प्यार लै हीरिये !!!

तेरे लई मैं जग छड्या
आजा हुन ते इकरार कर लै सोणिये
आजा हुन ते प्यार लै हीरिये !!!

तेरे बिना दिल दी तड़प न जावे
आजा हुन ते मेरी बावाँ विच माहिये
आजा हुन ते प्यार लै हीरिये !!!

तेरियां अख्खां विच नींद्रा वांग वां मैं
तैनू मेरा दिल कैंदा ;दिलदार चनवे ;
आजा हुन ते प्यार लै हीरिये !!!

हुन मिन्नू एक पल वि चैन नहियों औंदा
हुन मिन्नू अपना बना लै हीरिये ;
आजा हुन ते प्यार लै हीरिये !!!

आजा हुन ते प्यार लै हीरिये !!!
तैनू मेरे दिल दा वास्ता !!
आजा हुन ते प्यार लै हीरिये !!!

19 comments:

  1. वाह जी वाह पंजाबी में भी हाथ चला लिया। बहुत ही खूबसूरत रचना बन पडी है। वैसे इतनी पंजाबी नही आती हमें, पर आप दोनों ने साधाहरण शब्दों से अपने ज़ज्बात कह दिये। आप दोनों को ढेर सारी बधाईयाँ।
    हुन मिन्नू एक पल वि चैन नहियों औंदा
    हुन मिन्नू अपना बना लै हीरिये
    आजा हुन ते प्यार लै हीरिये !

    बहुत ही उम्दा।

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  2. आप सब पाठकों को बता दूं की इस रचना में एक भी शब्द मेरा नहीं है, मैंने सिर्फ जहाँ हिंदी के शब्द थे उन्हें पंजाबी में लिख दिया है बस....इसलिए इस कविता की अच्छाई और बुराई दोनों विजय जी की ही है ... मैंने विजय जी को कहा था की वे इस कविता पर मेहनत करें क्यूँ की इसमें वो रंग नहीं है जिसके लिए वो जाने जाते हैं...बहुत कुछ आधा अधूरा सा है...लेकिन विजय जी अपने सब्र के बाँध को अधिक समय तक नहीं रोक पाए और इसे जस का तस् आप के समक्ष प्रस्तुत कर दिया...अब जब प्रस्तुत कर ही दिया है तो आप सब इसे पढिये और मुस्कुराते हुए कमेन्ट करिए...

    नीरज

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  3. चंगा लिखया है जी..
    पर होशियार रैणा...पंजावी बिच हर गल दे दो मतलब हुंदे ने :)

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  4. मेरे दिल विच तू वसदी हे
    अज कर ली ऐ इकरार सोनिये

    विजय जी...........मस्त लिखा है, की गल है तुस्सी वि हुन पंजाबी हो गए

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  5. waah आप दोनों की जुगलबंदी से बढ़िया रचना बन गयी बहुत सुन्दर बहुत पसन्द आई

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  6. वाह वाह, क्या बात है, बहुत सुन्दर!

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  7. मुझे ज्यादा पंजाबी आती नहीं, पर यह तो समझ आगई। आपने अच्छा लिखा है।

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  8. टिप्पणी के लिए आया तो नीरज जी के लिखे अल्फाज़ से भी गुज़रना हुआ ...
    phir अपना अंदाज़ और तेवर दोनों बदलने पड़े ..

    khair ! आपकी ये 'boliyaan'
    किसी भी तरह बे-asar न rahein...
    यही kaamna करता हूँ
    ---MUFLIS---

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  9. आपकी प्रतिभा तो हमें बस हतप्रभ कर देती है.........आपकी कलम के कमाल के क्या कहने........वाह और आह एक साथ मुंह से निकल जाता है.
    ईमानदारी से कहूँ तो आपकी हिंदी कविताओं से भी अधिक सरस आपकी यह पंजाबी कविता लगी......
    आगे भी आपसे अनुरोध है कि इसी तरह पंजाबी कविता का रसास्वादन हमें कराएँ.......फिर आपको तो इतने गुनी सलाहकार भी मिले हुए हैं.....आप दोनों का साथ जैसे सोने पर सुहागा.....

    इस अद्वितीय रचना के लिए बहुत बहुत बधाई.....

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  10. विजय जी, मैं तो यह भी नहीं कह सकता कि पंजाबी में हाथ तंग है. कह सकते हैं कि पंजाबी में हाथ ही नहीं हैं. लेकिन खोजकर जब पंजाबी शब्दों की हिंदी की तो जिस मधुर आनंद की प्राप्ति हुई उसका वर्णन करना कठिन ही नहीं अपितु नामुमकिन है. वैसे भी जिनके नीरज जी जैसे गुरु हों, उनकी प्रतिभा निखरती ही रहेगी.

    एक अनुरोध है. मेरे जैसे अन्य लोग जिन्हें मराठी, पंजाबी वगैरह भाषाएँ नहीं आती, उनके लिए हिंदी में भी अनुवाद ज़रूर दीजिये. कविता और गीत तो उनमें छिपी भावनाओं के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में वे अगर समझ में जाए तो आनंद बढ़ जायेगा. आपकी अंग्रेजी, मराठी और अन्य भाषाओँ में कविताओं और गीतों का इंतजार रहेगा. मैंने तो जिस दिन नीरज जी के ब्लॉग पर मिष्टी के ऊपर में लिखी गई आपकी कविता पढी, उसी दिन से आपका फैन हो गया.

    इतनी सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई.

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  11. wah ji wah kya kahane aapke.. bhai maan gaye kyapako.......kya likhate ho...dhero badhai aapko.....



    arsh

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  12. ओ जी छा गए तुस्सी... :)
    सच है हुनर कभी नहीं छिपता। भाषा बदली तो क्या... भाव तो अब भी वही दिल को छू लेने वाले हैं।

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  13. पंजाबी की कविताओं में जो अभिव्यक्ति और अंदाज़ होते हैं, वो वक्त दूर नहीं सपत्ती जी स्वतंत्रता से लिखा करेंगे। अच्छा प्रयास है।

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  14. वाह जी वाह ,कुछ कहते ही नहीं बन रहा है .नीरज जी और आप , दोनों को ही ऐसे अनूठे प्रयास के लिए बधाई .

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  15. हम को तो दिल्ली में पंजाबियों के साथ रह कर भी कुछ नहीं आया....और विजय जी ने कविता ही रच डाली .....बाकी मुफलिस जी पंजाब में ही रहते हैं ,,तो जो भी उन्होंने कहा होगा....उसी को सही मान लेता हूँ......
    वरना मुझे तो कहीइन से भी पल्ले नहीं पडी...
    पर और भी लोग हैं बड़े बड़े ...जो तारीफों के पूल बाँध रहे हैं...तो ठीक ही होगी...
    बाकी मुफलिस जी या विजय जी जाने....की क्या लिखा है,,,,???

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  16. हीर लयी
    विजय दी
    गल
    गल ही हेगी ए
    गुल नहीं
    हुन मराठी
    दा इंतजार है।

    पर विजय जी तो
    गुरु बनाने में माहिर
    हैं
    शिष्‍य एक
    गुरु अनेक
    शिष्‍य का
    कमाल देख
    काम कर
    रह्या है नेक।

    शिष्‍य इनना
    बदिया हेगा ए
    कि गुरु कतार
    बांधे बिना तार के सहारे
    खलोते रहंदे नै।

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  17. maza dila ditta tussi... bahut changi kavita si.. :)

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  18. vadhiya jee badhaiyi hovey tuvannu bahut bahut inny sourey pryas layi.........isnnu kahndey hai jee panjabi di tang tourna...............
    ha ha ha ha...........
    arry nahi nahi galat mat samjhna
    bahut accha likha hai...........padney main bahut accha laga dost...........

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  19. Wah vijay ji aap to harfanmoula nikle..bahut badhiya.
    मेरे दिल विच तू वसदी हे
    अज कर ली ऐ इकरार सोनिये bahut khoob.

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