Wednesday, November 19, 2008
कब्र
जब तुम ज़िन्दगी की टेड़ी-मेढ़ी
और उदास राहों पर
चलकर ,थककर ;
किसी अपने की तलाश करने लगो ,
तो एक पुरानी ,जानी पहचानी राह पर चली जाना ......
ये थोडी सी आसान सी राह है ,
इसमे भी दुःख है, दर्द है ;
पर ये थकाने वाली राह नही है ..
ये मोहब्बत की राह है !!!
जहाँ ये रास्ता ख़त्म होंगा ,
वहां तुम्हे एक कब्र मिलेंगी ;
उस कब्र के पत्थर अब उखड़ने लगे है ,
कब्र से एक झाड़ उग आया है ;
पहले इसमे फूल उगते थे ,अब कांटो से भरा पड़ा है...
कब्र पर कोई अपना , कई दिन पहले ;
कुछ मोमबत्तियां जला कर छोड़ गया था ....
जिसे वक्त की आँधियों ने बुझा दिया था !
अब पिघली हुई मोम आंसुओं की
शक्लें लिए कब्र पर पड़ी है
काश , कोई उस कब्र को सवांरने वाला होता ..
पर मोहब्बत की कब्रों के साथ
ज़माना ऐसा ही सलुख करता है ..
कुछ फूल आस-पास बिखरे पड़े है
वो सब सुख चुके है
पर अब भी चांदनी रातों में उनसे खुशबू आती है .....
चारो तरफ़ बड़ी वीरानी है ..
तुम उस कब्र के पास चली आना ,
अपने आँचल से उसे साफ़ कर देना ;
अपने आंसुओं से उसे धो देना ,
फिर अपने नर्म लबों से ;
उसके सिरहाने को चूम लेना !
वो मेरी कब्र है !!!
वहां तुम्हे सकून मिलेंगा
वहां तुम्हे एहसास होंगा
कि मोहब्बत हमेशा जिंदा रहती है ..!!
मेरी कब्र पर जब तुम आओंगी ;
तो , वहां कि मनहूसियत ;
थोड़े वक्त के लिए चली जायेंगी ,
कुछ यादें ताज़ा हो जायेंगी ..!!
जब सन्नाटा कुछ और गहरा जायेगा ,
तब, तुम्हे एक आवाज सुनाई देंगी ;
तुम्हे मेरी आह सुनाई देंगी ;
क्योकि मेरी वो कब्र
तुमने ही तो बनाई है !!!!
तुम्हे याद आयेगा कि
कैसे तुमने मेरा ज़नाजा
वहां दफनाया था ...!!
वक्त बड़ा बेरहम है ......
जब तुम वापस लौटोंगी
तो , मेरी आँखें ,तुम्हे ..
दूर तलक जातें हुए देखेंगी ....!
तुम;
फिर कब अओंगी मेरी कब्र पर !!!!!!!
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pighli hui mom aasuon ki shakl le kabr par padi hain
ReplyDeletebahut khubsusurat bangi hai dard ki inthaa ki.......
right now iam speachless....
ReplyDeleteapki kavityao mein amrita ji jisa dard dekne ko milta hai...
keerti
गजब का लिखते हैं विजय जी... मेरा सलाम है आपकी लेखनी को।
ReplyDeletemain aaj kuch nahii likhunga
ReplyDeletemujhe jo kuch bhii likhna thaa woh to upar waalon ne likh diya hai ..............par fir bhii ek saval hai
meri kabr par fir se kab aaogii ??/
ahsas..khyaal...aur anshuo se bani ek asardaar tahreer...jo sedhe dil par jake kahin waar kare yaise shabdo ka chayan bhaut khub...
ReplyDeletekya kahun itni bhavuk si rachna pe...
bas dil me kahin sukun saa aaya pada jo apko..
acha bhaut acha
sakhi
bahot khub. likhnekaa aapka andaaj pasand aayaa.
ReplyDeletekya khoob likha hai.......
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